JSSC CGL : जेएसएससी सीजीएल परीक्षा बाद उत्तर लिख पेज फाड़ा, किया वायरल
- हिंदुस्तान एक्सक्लूसिव : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को बदनाम करने के लिए सीजीएल परीक्षा समाप्त होने के बाद कुछ प्रश्नों के उत्तर लिखकर उसके फोटो लिए गए।
जेएसएससी द्वारा 21 और 22 सितंबर को आयोजित सीजीएल परीक्षा के पेपर लीक नहीं हुए थे, बल्कि कुछ व्यक्तियों ने आयोग की छवि धूमिल करने और उक्त परीक्षा को असफल करने की साजिश के तहत ऐसा किया था। आयोग को बदनाम करने के लिए परीक्षा समाप्त होने के बाद कुछ प्रश्नों के उत्तर लिखकर उसके फोटो लिए गए। इसके बाद एप के माध्यम से उन फोटो के वीडियो बनाकर एडिटिंग कर तिथि और समय बदली गई और प्रश्नपत्र को लीक बताकर उसे वायरल कर दिया गया। यह खुलासा राज्यपाल के आदेश पर जेएसएससी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है। जांच समिति ने यह रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी है।
शिकायतों के आलोक में जांच समिति ने जांच के दौरान रांची और हजारीबाग के डीसी और संबंधित एजेंसी से तथ्यात्मक प्रतिवेदन भी प्राप्त किया। समिति ने उपलब्ध कराए गए पेन ड्राइव और सीडी में रक्षित वीडियो और फोटोज की सूक्ष्मता से जांच की। उसमें दर्ज तिथि और समय की वास्तविकता और प्रामाणिकता पर विशेष रूप से तहकीकात की गई। इसके बाद इस साजिश का खुलासा हुआ।
एडिटेड साक्ष्यों से छात्रों को भड़काया गया था
जांच समिति ने कहा है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा एडिटेड साक्ष्यों के माध्यम से प्रश्नपत्र लीक का मामला बनाया गया है। परीक्षा संचालन की सामान्य प्रक्रिया को नकारात्मक रूप से पेश करते हुए छात्रों को भड़काया गया। इसका सत्यापन साक्ष्य के मूल स्रोत से तकनीकी विशेषज्ञ से कराया जा सकता है।
कागज के फटे टुकड़े को प्रश्नों के उत्तर बता दिए
साक्ष्य के रूप में दिए गए एक वीडियो में कागज के फटे टुकड़े दिखाए गए हैं, जिसे प्रश्नों के उत्तर बताए गए हैं। लेकिन, जांच में वीडियो की अवधि 0129 मिनट पर तिथि 22.09.2024 और समय 0525 पीएम दिखाई पड़ता है। जबकि, उसी वीडियो में अन्य जगह तिथि 22.09.2024 और समय 0701 एएम से 0708 एएम तक दिखाया गया है। यानी परीक्षा समाप्ति के बाद कुछ प्रश्नों के उत्तर लिखकर फाड़े गए हैं।
जेएसएससी द्वारा 21 और 22 सितंबर को आयोजित सीजीएल परीक्षा के पेपर लीक नहीं हुए थे, बल्कि कुछ व्यक्तियों ने आयोग की छवि धूमिल करने और उक्त परीक्षा को असफल करने की साजिश के तहत ऐसा किया था। आयोग को बदनाम करने के लिए परीक्षा समाप्त होने के बाद कुछ प्रश्नों के उत्तर लिखकर उसके फोटो लिए गए। इसके बाद एप के माध्यम से उन फोटो के वीडियो बनाकर एडिटिंग कर तिथि और समय बदली गई और प्रश्नपत्र को लीक बताकर उसे वायरल कर दिया गया। यह खुलासा राज्यपाल के आदेश पर जेएसएससी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है। जांच समिति ने यह रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी है।
शिकायतों के आलोक में जांच समिति ने जांच के दौरान रांची और हजारीबाग के डीसी और संबंधित एजेंसी से तथ्यात्मक प्रतिवेदन भी प्राप्त किया। समिति ने उपलब्ध कराए गए पेन ड्राइव और सीडी में रक्षित वीडियो और फोटोज की सूक्ष्मता से जांच की। उसमें दर्ज तिथि और समय की वास्तविकता और प्रामाणिकता पर विशेष रूप से तहकीकात की गई। इसके बाद इस साजिश का खुलासा हुआ।
एडिटेड साक्ष्यों से छात्रों को भड़काया गया था
जांच समिति ने कहा है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा एडिटेड साक्ष्यों के माध्यम से प्रश्नपत्र लीक का मामला बनाया गया है। परीक्षा संचालन की सामान्य प्रक्रिया को नकारात्मक रूप से पेश करते हुए छात्रों को भड़काया गया। इसका सत्यापन साक्ष्य के मूल स्रोत से तकनीकी विशेषज्ञ से कराया जा सकता है।
कागज के फटे टुकड़े को प्रश्नों के उत्तर बता दिए
साक्ष्य के रूप में दिए गए एक वीडियो में कागज के फटे टुकड़े दिखाए गए हैं, जिसे प्रश्नों के उत्तर बताए गए हैं। लेकिन, जांच में वीडियो की अवधि 0129 मिनट पर तिथि 22.09.2024 और समय 0525 पीएम दिखाई पड़ता है। जबकि, उसी वीडियो में अन्य जगह तिथि 22.09.2024 और समय 0701 एएम से 0708 एएम तक दिखाया गया है। यानी परीक्षा समाप्ति के बाद कुछ प्रश्नों के उत्तर लिखकर फाड़े गए हैं।
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इससे प्रमाणित होता है कि परीक्षा समाप्ति के बाद कुछ प्रश्नों के उत्तर लिखकर फाड़े गए हैं। तिथि समय एडिट कर वायरल किया गया है।
शिकायतकर्ता ने जो फोटो (आईएमजी 20240923164854.जेपीजी) उपलब्ध कराए थे, उसकी जांच में पता चला कि यह फोटो 23 सितंबर संध्या 44854 बजे ली गई है। इसको एडिट करके 22 सितंबर, सुबह 731 बजे दिखाकर वायरल किया गया। समिति ने कहा है कि फोटो के नाम में तिथि 20240923, जबकि समय 164854 दर्शाता है।
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