Hindi Diwas : हिंदी क्यों नहीं बन सकी राष्ट्रभाषा, जनवरी में क्यों मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस, 10 दिलचस्प बातें
- हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं राजभाषा है, राजभाषा यानी कामकाज की भाषा। दक्षिणी राज्यों व गैर हिंदी भाषियों के विरोध के चलते आजादी मिलने पर हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी। दुनिया की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (शब्दकोश) हर साल भारतीय शब्दों को जगह दे रही है।
15 अगस्त 1947 को जब हिन्दुस्तान आजाद हुआ तब देश के सामने तमाम सवालों में से एक यह भी था कि भारत की राष्ट्रभाषा और राजभाषा क्या होगी। उस समय देश में कई भाषाएं थीं। आजादी से पहले 1946 में ही भारत का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बन चुकी थी। संविधान सभा में तमाम राज्यों के लोग थे जहां अलग अलग भाषाएं बोली, पढ़ी व लिखी जाती थीं। संविधान सभा देश की राजभाषा पर फैसला लेना था जो कि एक चुनौतिपूर्ण काम था। तब संविधान सभा ने लंबी बहस के बाद 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने का फैसला किया। इसी को याद करते हुए 1953 से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने को लेकर गैर-हिंदी भाषी लोगों खासतौर पर दक्षिणी राज्यों का विरोध था।
यहां जानें हिंदी दिवस और हिंदी से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें
1. हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया। तब से हर साल पूरे देश में हिंदी दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदी दिवस का मकसद हिंदी भाषा को बढ़ावा देना है। इस भाषा की अहमियत के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है।
2. हमारे संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा को लेकर विशेष प्रावधान हैं। अनुच्छेद 343 (1)अनुच्छेद में कहा गया है कि भारत संघ की भाषा देवनागरी लिपी में हिन्दी होगी।
3. इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है।
4. विश्व हिंदी दिवस जनवरी में क्यों
हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है। विदेशों में बसे भारतीय लोगों को हिंदी जोड़ने का काम करती है। 10 जनवरी, 2006 को भारत सरकार ने इसे विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में किया गया था। अभी तक पोर्ट लुईस, स्पेन, लंदन, न्यूयॉर्क, जोहानसबर्ग आदि सहित भारत में विश्व हिन्दी सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है।
5. हिंदी क्यों नहीं बन सकी राष्ट्रभाषा
हिंदी आज भी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है बल्कि राजभाषा है यानी राज्य के कामकाज में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा।हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था लेकिन राष्ट्रभाषा को लेकर लंबी बहसें चलीं पर नतीजा कुछ नहीं निकला।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था। वह चाहते थे कि हिन्दी राष्ट्रभाषा बने। उन्होंने 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था। आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्दी को राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया। हिन्दी का राष्ट्रभाषा बनाए जाने के विचार से बहुत से लोग खुश नहीं थे। खासतौर पर दक्षिणी राज्य इसका कड़ा विरोध कर रहे थे। कइयों का कहना था कि सबको हिंदी ही बोलनी है तो आजादी के क्या मायने रह जाएंगे। 1960 के दशक में गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हुई कई हिंसक झड़पों के बाद देश की संसद ने एक राष्ट्रभाषा के विचार को त्याग दिया। यही वजह है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी।
6. हमारे संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा को लेकर विशेष प्रावधान हैं। अनुच्छेद 343 (1)अनुच्छेद में कहा गया है कि भारत संघ की भाषा देवनागरी लिपी में हिंदी होगी।
7. दुनिया की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (शब्दकोश) हर साल भारतीय शब्दों को जगह दे रही है। इसमें हिंदी शब्दों की भरमार है। टाइमपास, दादागिरी, जुगाड़, दोस्ताना, बिंदास, शरारत, सब्र, अच्छा, चमचा, चक्का जाम, अरे यार!’, भेलपूरी, कीमा, पापड़, करी, निर्वाण, पंडित, ठग जैसे अनेक हिन्दी शब्द इसमें शामिल हैं।
8. दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी नाम का एक द्वीप देश है जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है।
9. भारत, फिजी के अलावा मॉरीशस, फिलीपींस, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूगांडा, सिंगापुर, नेपाल, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम ,यूनाइटेड किंगडम और पाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन हिंदी बोली और समझी जाती है। विश्व के ढेरों विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई भी जाती है।
10. हिंदी में उच्चतर शोध के लिए भारत सरकार ने 1963 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की। देश भर में इसके आठ केंद्र हैं।
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