Hindi Diwas Speech : हिंदी दिवस पर 2 मिनट का शानदार भाषण, आसानी से होगा याद
- Speech On Hindi Diwas : गांधीजी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। हिंदी का महत्व इस बात से पता चलता है कि आज देश में डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कई संस्थानों में हिंदी में होने लगी है। हिंदी दिवस पर आप यह प्रभावशाली भाषण देकर इनाम जीत सकते हैं।
Speech On Hindi Diwas : हिंदी भाषा भारत की विविधता को एकता के सूत्र में बांधने वाली अटूट कड़ी है। हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। एक दूसरे से जुड़ने का सहज और सरल साधन भी है। हिंदी भारत की सांस्कृतिक विविधता में एकता की महत्वपूर्ण कड़ी के साथ ही हमारी पहचान की मजबूत बुनियाद भी है। ये हिंदी भाषा ही है जो देश के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोती है। देश के एक रखने वाली हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि भावों की अभिव्यक्ति है। 14 सितंबर का दिन इसी हिंदी को समर्पित है। हिंदी दिवस के मौके पर स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। सरकारी दफ्तरों में हिंदी पखवाड़े का आयोजन होता है। हिंदी दिवस के अवसर पर राजभाषा हिंदी से संबंधित संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक आयोजन होता है। स्कूलों, कॉलेजों में निबंध, भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगता, कविता पाठ आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
यहां हम स्कूली छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर भाषण का एक उदाहरण दे रहे हैं। इस हिंदी दिवस अगर आप भाषण (Speech on Hindi Diwas) देने वाले हैं तो आप इस तरह का भाषण दे सकते हैं।
हिंदी दिवस भाषण (Hindi Diwas Speech)
आदरणीय मुख्य अतिथि, प्रिंसिपल सर, शिक्षकों और मेरे मित्रों को नमस्कार...
आप सभी को हिंदी दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। सोचो हिंदी, लिखो हिंदी, बोलो हिंदी, पढ़ो हिंदी। आज 14 सितंबर है और यह दिन हिंदी भाषा को समर्पित किया गया है। देश को एकता के सूत्र में बांधने वाली हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि भावों की अभिव्यक्ति है। हमारे लिए, हमारे समाज के लिए और देश के लिए हिंदी की कितनी ज्यादा अहमियत है, इसी की ध्यान में रखकर हर वर्ष 14 सितंबर के दिन देश में हिंदी दिवस ( Hindi Diwas ) मनाया जाता है। आज हिन्दी के प्रचार और प्रसार के लिए संकल्प लेने का दिन है।
साथियों, आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया। तब से हर साल पूरे देश में हिंदी दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग अलग धर्म व जाति के लोग रहते हैं। अलग अलग भाषाएं, बोलियां बोलने वाले, अलग अलग वेश-भूषा, खानपान व संस्कृति के लोग रहते हैं। ये हिंदी भाषा ही है जो देश के सभी लोगों एकता के सूत्र में पिरोती है। देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। हिन्दी सिर्फ भाषा या संवाद का ही साधन नहीं है, बल्कि हर भारतीय के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक सेतु भी है। हिन्दी भाषा हमें हमारे वर्तमान के साथ साथ भारतीय संस्कृति की धरोहर उन महान प्राचीन संस्कृत ग्रंथों से भी जोड़ती है, जो आज हमारे लिए गर्व का कारण है। एक लोकतांत्रिक देश में तो अपनी मिट्टी से जन्मी भाषा के प्रयोग का महत्व इसलिए भी और महत्वपूर्ण व अनिवार्य हो जाता है क्योंकि वही लोकमत की अभिव्यक्ति का सही और स्वभाविक माध्यम हो सकता है। यह हम सब भारतवासियों का कर्त्तव्य है कि हम हिंदी भाषा के विकास, विस्तार, प्रचार प्रसार में अपना योगदान हें। साथियों हमारे देश की महान हस्तियां भी हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए पुरजोर समर्थन देती रही हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। आचार्य विनोबा भावे ने कहा था कि मैं दुनिया की सभी भाषाओं की इज्जत करता हूं पर मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं सह नहीं सकता।
हिंदी ने हमें दुनियाभर में पहचान दिलाई है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदी बोली जाती है। इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है। हिंदी भाषा भारत के बाहर 20 से अधिक देशों में बोली जाती है। हिंदी का महत्व इस बात से पता चलता है कि आज देश में डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कई संस्थानों में हिंदी मीडियम में होने लगी है। एमबीबीएस व बीटेक की किताबें हिंदी में आने लगी हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग जमकर हिंदी का इस्तेमाल करने लगे हैं।
साथियों, यह भी सच है कि हिंदी के प्रति आज हीनता का भाव रहता है। लोगों पर अंग्रेजी भाषा का ऐसा भूत सवार है कि सब यही चाहते हैं कि वे अपने बच्चे को हर वक्त अंग्रेजी रटाते रहें। स्थिति तो यह है कि अपना पेट काटकर भी लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में भेजना चाहते हैं। भले ही हिंदी हमारा गौरव है और नई शिक्षा नीति भी मातृभाषा की पक्षधर है। मगर स्कूलों में हिंदी महज एक विषय है, और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की बढ़ती संख्या बच्चों में हिंदी के प्रति हीन भावना पैदा कर रही है। संविधान जब लागू किया जा रहा था, तब जल्द ही सारा कामकाज हिंदी में करने का आश्वासन दिया गया था, किंतु आज भी हिंदी को देश में उचित स्थान नहीं मिल पाया है। इसे अपना अधिकार मिलना ही चाहिए।
साथियों, हिंदी महज भाषा नहीं, बल्कि हमारी पहचान है। हिंदी बोलें, रोजमर्रा के व्यवहारिक जीवन में अमल में लाएं, हिंदी सीखें और सिखाएं। आज के दिन हमें अधिक से अधिक प्रयोग में लाने का संकल्प लेना चाहिए।
मैं अपने भाषण का समापन कुछ पक्तियों के साथ करना चाहूंगा।
बाकी भाषा को मैंने महज किताबों में रखा
हिंदी को सब जगह अपने भावों में रखा।
हिंदुस्तान की जान है हिंदी, देश की पहचान है हिंदी
सात समंदर पार भी... हिंदुस्तान की शान है हिंदी
धन्यवाद। जय हिन्द।
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