DSSSB : 12 साल कानूनी लड़ाई के बाद महिला की PGT पद पर होगी भर्ती, वर्षों की सैलरी भी मिलेगी
- DSSSB Teacher Recruitment : महिला को न सिर्फ नौकरी मिलेगी बल्कि उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को यह भी आदेश दिया कि उसे लंबित वर्षों की अनुमानित तनख्वाह भी दी जाए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला को पीजीटी (इकोनॉमिक्स) के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिल्ली सरकार को दिया। महिला ने अपने अधिकार को पाने के लिए 12 साल लंबी कानूनी जंग लड़ी है। न्यायमूर्ति सी हरीशंकर एवं न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि महिला शबाना प्रवीण को लंबित वर्षों की अनुमानित तनख्वाह दी जाए। साथ ही 12 साल पहले के हिसाब से वरिष्ठता क्रम में रखा जाए। शबाना के वकील अनिल सिंगल ने पीठ को बताया कि उनकी मुवक्किल यह मामला केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में भी जीत चुकी हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने कैट के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसकी वजह से नियुक्ति में और देरी हुई। पीठ ने इस मामले में तमाम तथ्यों को सुनने के बाद पाया कि शबाना प्रवीण इस पद पर एक दशक पहले नियुक्ति पाने की हकदार थी, परंतु तकनीकी आधार का हवाला देकर उनकी नियुक्ति को रोका गया, जोकि न्यायसंगत नहीं था।
डीएसएसएसबी परीक्षा की मेरिट लिस्ट में पाया था छठा स्थान
शबाना ने दिल्ली सबऑर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड (डीएसएसएसबी- DSSSB ) द्वारा जारी विज्ञापन के आधार पर दिसंबर 2011 में दिल्ली सरकार के स्कूल में पीजीटी (इकोनॉमिक्स) पद के लिए परीक्षा दी थी। इसके तहत पांच अनारक्षित उम्मीदवारों की नियुक्ति होनी थी। याचिकाकर्ता ने परीक्षा के नतीजे के तहत मेरिट लिस्ट में छठा स्थान पाया था। याचिका में कहा गया कि पांच प्रथम स्थान पाने वाले उम्मीदवारों में से एक महिला उम्मीदवार के दस्तावेज की जांच के दौरान खामियां पाए जाने पर उसकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया। लिहाजा शबाना प्रवीण अनारक्षित पदों के तहत तैयार मेरिट लिस्ट में पांचवें नंबर पर आ गई, लेकिन इसके बावजूद उसे नियुक्ति नहीं दी गई।
सरकार का दावा खारिज
दिल्ली सरकार ने पहले कैट और अब हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि मेरिट लिस्ट सिर्फ पांच लोगों की तैयार की गई थी। नियमानुसार छठे उम्मीदवार को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि एक उम्मीदवार की उम्मीदवारी खारिज होने पर कानूनी तौर पर छठा उम्मीदवार चयनित सूची में शामिल होने का अधिकार रखता है, जोकि इस मामले में लागू होना चाहिए था। इसलिए कैट के आदेश को बरकरार रखा जाता है और महिला शिक्षिका की नियुक्ति के आदेश दिए जाते हैं।
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