Phd है तो NET जरूरी नहीं, प्रोफेशनल्स बनेंगे कुलपति, UGC ने भर्ती नियमों पर प्रतिक्रिया की मियाद बढ़ाई
- यूजीसी ने यूनिवर्सिटी शिक्षक भर्ती और पदोन्नति संबंधी मसौदा नियमों पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की तिथि 28 फरवरी तक बढ़ा दी।
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गुरुवार को भर्ती और पदोन्नति संबंधी मसौदा नियमों पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की तिथि 28 फरवरी तक बढ़ा दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इससे पहले हितधारकों को पांच फरवरी तक अपनी प्रतिक्रिया भेजनी थी। यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने कहा, यूजीसी विनियमन, 2025 के मसौदे पर प्रतिक्रिया पेश करने की अंतिम तिथि बढ़ाने के लिए हितधारकों से मिले अनुरोधों के मद्देनजर यूजीसी ने समय सीमा 28 फरवरी तक बढ़ाने का फैसला किया है।
पिछले महीने मसौदा जारी किया : यूजीसी ने पिछले महीने मसौदा विनियमन, 2025 जारी किया था। इस मसौदे में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों व शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति तथा पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता तथा उच्च शिक्षा में उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के उपाय शामिल थे। यूजीसी ने कहा कि ये 2018 के दिशानिर्देशों की जगह लेगा।
पेशेवर बन सकते हैं कुलपति : मसौदा नियमों के अनुसार, उद्योग विशेषज्ञों के साथ-साथ लोक प्रशासन, सार्वजनिक नीति और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के वरिष्ठ पेशेवर जल्द कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र हो सकते हैं। मानदंडों ने कुलपतियों की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय खोज-सह-चयन समिति गठित करने का अधिकार भी कुलपतियों को दिया है।
मसौदा नियमों को लेकर विपक्ष ने निशाना साधा
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने यूजीसी के मसौदा नियमों का हवाला देते हुए गुरुवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इरादा देश पर एक विचार, एक इतिहास और एक भाषा थोपने का है। राहुल यूजीसी के मसौदा नियमों के खिलाफ यहां जंतर-मंतर पर डीएमके की छात्र इकाई द्वारा आयोजित प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने दावा किया कि संघ का उद्देश्य अन्य सभी इतिहास, संस्कृतियों को मिटाना है। आरोप लगाया कि संघ विभिन्न राज्यों की शिक्षा प्रणालियों के साथ ऐसा ही करने की कोशिश कर रहा है और यह उनके एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक और कदम है।
अन्य राज्यों का अपमान बताया: राहुल बोले, हर राज्य की अनूठी परंपरा, इतिहास व भाषा होती है। यही कारण है संविधान में भारत को राज्यों का संघ कहा जाता है। हमें इन मतभेदों का सम्मान करना चाहिए और समझना चाहिए। हम इस देश के प्रति संघ के दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं करते, न ही उनके इस विचार को स्वीकार करते हैं कि इस देश पर एक दिवालिया विचारधारा थोपी जानी चाहिए।
अखिलेश ने एनईपी का विरोध किया
नई दिल्ली। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाजपा-संघ पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वे राज्य सरकारों की सारी शक्ति अपने हाथ में लेना चाहते हैं। अखिलेश ने कहा, वे राजनेताओं को उद्योगपतियों का नौकर बनाना चाहते हैं। हम नई शिक्षा नीति का कभी समर्थन नहीं कर सकते।
छह गैर-भाजपा शासित राज्य भी विरोध में
कनार्टक, तमिलनाडु, तेलंगाना, झारखंड समेत छह गैर-भाजपा शासित राज्यों की भागीदारी वाले उच्च शिक्षा मंत्रियों की बैठक में यूजीसी मसौदा नियमों में खामियों का हवाला दिया गया। केंद्र से इन नियमों को तत्काल वापस लेने की मांग की गई।
यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि यूजीसी मसौदा विनियमन का उद्देश्य अधिक समावेशी व पारदर्शी चयन प्रक्रिया शुरू करके विश्वविद्यालयों में उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करना है। प्रस्तावित मसौदा विनियम उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता-जवाबदेही को बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
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