क्या कम होंगे पेट्रोल-डीजल के दाम, कच्चा तेल चार साल के निचले स्तर पर
- Petrol-Diesel Price Today 8 April: पेट्रोल-डीजल के दाम में आखिरी बार मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कटौती की गई थी। कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट ने पेट्रोल-डीजल के रेट में कटौती की उम्मीदों को बढ़ा दिया है।

Petrol-Diesel Price Today 8 April: कच्चा तेल कई साल के निचले स्तर पर आ गया है। कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट ने पेट्रोल-डीजल के रेट में कटौती की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। पेट्रोल-डीजल के दाम में आखिरी बार मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कटौती की गई थी, लेकिन सोमवार को सरकार ने कच्चे तेल की गिरती कीमतों का लाभ उठाने और अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की। उत्पाद शुल्क में वृद्धि का बोझ तेल कंपनियां उठाएंगी और इसका बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। पेट्रोलियम मंत्री ने संकेत दिया कि उपभोक्ताओं को कीमत में कटौती के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा।
Excise Duty बढ़ने के बाद आज क्या हैं पेट्रोल-डीजल के रेट
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पहले की तरह सुबह 6 बजे पेट्रोल-डीजल के रेट जारी कीं। आज यानी 8 अप्रैल 2025 को दिल्ली से पटना तक पूरे देश में कहीं भी पेट्रोल-डीजल के रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आज भी भारत में सबसे सस्ता पेट्रोल और डीजल पोर्ट ब्लेयर में है। यहां, पेट्रोल 82.46 रुपये और डीजल 78.05 रुपये लीटर बिक रहा है। जबकि, दिल्ली में पेट्रोल 94.77 और डीजल 87.67 रुपये पर स्थिर हैं।
तेल की कीमतें कैसे बढ़ी हैं?
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपने पारस्परिक टैरिफ की घोषणा के बाद तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई और चीन ने भी टैरिफ बढ़ोतरी के साथ जवाबी कार्रवाई की। बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड शुक्रवार को 11% गिरकर 64.62 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। गिरावट सोमवार को जारी रही और कच्चा तेल चार साल के निचले स्तर $ 63 से कम पर आ गया। 1 अप्रैल को यह 69 डॉलर के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
हाल ही में तेज गिरावट कीमतों में क्रमिक गिरावट के एक साल पहले हुई थी। अप्रैल 2024 की शुरुआत में ब्रेंट क्रूड $92 प्रति बैरल पर था। केवल 12 महीनों के अंतराल में, इसमें 29% तक की गिरावट आई है। हालांकि, ब्लूमबर्ग के मुताबिक आज यानी मंगलवार को क्रूड में तेजी दिख रही है। ब्रेंट क्रूड 64.99 डॉलर प्रति बैरल पर है। वहीं, डब्ल्यूटीआई 61.61 डॉलर प्रति बैरल पर।
कीमतों में गिरावट की वजह क्या है?
लाइव मिंट के मुताबिक यह एक दोहरी मार है, जिसमें डिमांड और सप्लाई दोनों पक्ष हिट लेने के लिए तैयार हैं। ट्रंप और उनके टैरिफ एंड ट्रेड वॉर, अमेरिका में सभावित मंदी इसकी वजह है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने मार्च में 2025 में तेल की मांग 103.9 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) होने की भविष्यवाणी की थी। आईईए ने मूल रूप से 103.3 मिलियन बीपीडी पर तेल आपूर्ति का अनुमान लगाया था। लेकिन यह OPEC+ द्वारा मई से उत्पादन बढ़ाने का फैसला करने से पहले था। ट्रंप ने का दावा है कि अमेरिकी तेल उत्पादन अपने चरम पर है।
यह भारत को कैसे प्रभावित करता है?
तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए निश्चित तौर पर अच्छी खबर है। क्योंकि, भारत अपनी तेल जरूरतों का 85% आयात करता है। आयात बिल कम रहने से व्यापार संतुलन या चालू खाता घाटा सुधरेगा। कम सीएडी यह सुनिश्चित करेगा कि रुपया और कमजोर न हो। अगर कच्चे तेल की कम कीमतों का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जाता है तो इससे मुद्रास्फीति में कमी आएगी। यह ईंधन सब्सिडी को कम करके और इसके उधार को कम करके सरकार के वित्त को भी आसान करेगा। अगर सरकार कम उधार लेती है, तो यह ब्याज दरों में गिरावट के लिए प्लैटफार्म तैयार करती है।
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