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एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का फैसला क्यों किया, ऐसी क्या थी मजबूरी?

  • हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण भारतीय अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह के लिए अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। सवाल यह है कि एंडरसन ने हिंडनबर्ग को बंद करने का फैसला क्यों किया?

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तानThu, 16 Jan 2025 10:25 AM
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हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नैट एंडरसन ने फर्म को बंद करने का ऐलान किया। इस ऐलान के साथ ही, कॉरपोरेट जगत के छिपे राज और गड़बड़ियों को उजागर करने वाली जांच-पड़ताल का एक दौर खत्म हो गया है। हिंडनबर्ग ने अपनी शॉर्ट-सेलिंग गतिविधियों और रिपोर्टों से उद्योग जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके कारण भारतीय अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह के लिए अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। सवाल यह है कि एंडरसन हिंडनबर्ग को बंद करने का फैसला क्यों किया?

एंडरसन ने फर्म को बंद करने के फैसले के बारे में एंडरसन ने कहा कि हिंडनबर्ग को बंद करने का निर्णय एक बहुत ही व्यक्तिगत निर्णय था। अपने नोट के जरिए उन्होंने स्पष्ट किया, "कोई एक खास बात नहीं है। कोई विशेष खतरा भी नहीं, कोई हेल्थ इश्यू नहीं और कोई बड़ा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं।"

इसके बजाय, उन्होंने राहत की इच्छा और नए अध्यायों पर आगे बढ़ने की आवश्यकता का हवाला दिया। उन्होंने बताया, "शुरुआत में, मुझे लगा कि मुझे खुद को कुछ चीजें साबित करने की जरूरत है। अब मुझे आखिरकार खुद के साथ कुछ आराम मिला है, शायद मेरे जीवन में पहली बार।"

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अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग के हमले की टाइम लाइन

24 जनवरी, 2023: अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी, 2023 को अडानी ग्रुप के खिलाफ अपनी मूल रिपोर्ट जारी की। इसका शीर्षक था 'अदानी ग्रुप: हाउ द वर्ल्ड्स 3rd रिशेस्ट मैन कॉर्पोरेट हिस्ट्री में सबसे बड़ा कॉन खींच रहा है।' रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि समूह दशकों के दौरान स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी में लगा हुआ था"।

रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग ने अडानी परिवार के सदस्यों पर मॉरीशस, यूएई और कैरेबियाई द्वीप समूह जैसे टैक्स हैवन में ऑफशोर शेल कंपनियां बनाने, फेक रेवेन्यू दिखाने के लिए जाली आयात-निर्यात दस्तावेज का उपयोग करने और अपनी लिस्टेड सार्वजनिक कंपनियों से मनी लॉन्ड्रिंग करने का भी आरोप लगाया। हालांकि, अडानी ग्रुप ने सभी आरोपों से इनकार किया।

अगस्त 2024: हिंडनबर्ग के आरोपों का दूसरा दौर 10 अगस्त, 2024 को सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ आया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बुच का हितों का टकराव है। इसने दावा किया कि SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति, धवल बुच के कथित निवेश के कारण मार्केट रेगुलेटर अपनी जनवरी 2023 की अडानी रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के लिए "अनिच्छुक" था।

हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने आईपीई प्लस फंड 1, मॉरीशस में रजिस्टर्ड फंड और ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड, बरमूडा स्थित फंड में निवेश किया था।

गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित कंपनी ने ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड में निवेश किया था, जिसने तब आईपीई प्लस फंड 1 में निवेश किया था, जिसके संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा थे। इन्होंने अडानी एंटरप्राइजेज के निदेशक के रूप में कार्य किया था। माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया।

सितंबर 2024: 12 सितंबर को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया कि स्विस अधिकारियों ने अडानी समूह के मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिभूति जांच से जुड़े कई स्विस बैंक खातों में $310 मिलियन से अधिक की धनराशि फ्रीज कर दी है।

अपने पोस्ट में हिंडनबर्ग ने एक स्विस मीडिया आउटलेट गोथम सिटी का हवाला देते हुए दावा किया कि फेडरल क्रिमिनल कोर्ट (एफसीसी) के एक आदेश से पता चला है कि जिनेवा लोक अभियोजक का कार्यालय अडानी समूह के कथित गलत कामों की जांच कर रहा था।

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