एआई से बन रही वेबसाइट-ऐप, तो क्या खत्म हो जाएंगी नौकरियां, क्या कहते हैं दिग्गज
- AI का खतरा: पहले जहां वेबसाइट, ऐप और सॉफ्टवेयर बनाने के लिए डेवलपर की जरूरत होती थी, अब वही काम एआई के जरिये चंद मिनट में हो रहा है। एआई आधारित गिटहब, कॉपायलट, चैटजीपीटी, कर्जर, टैबनाइन और डेविन जैसे टूल कोडिंग को आसान बना रहे हैं।

AI का खतरा: तकनीक की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है। पहले जहां वेबसाइट, ऐप और सॉफ्टवेयर बनाने के लिए डेवलपर की जरूरत होती थी, अब वही काम एआई के जरिये चंद मिनट में हो रहा है। एआई आधारित गिटहब, कॉपायलट, चैटजीपीटी, कर्जर, टैबनाइन और डेविन जैसे टूल कोडिंग को आसान बना रहे हैं। कई कंपनियां अब एआई का इस्तेमाल करके वेबसाइट और ऐप बना रही हैं। इससे डेवलपर की मांग घट रही है।
क्या कहते हैं दिग्गज
-ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन का मानना है, एआई जल्द ही सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के जटिल कार्यों को संभाल लेगा।
-इनमोबी के सीईओ नवीन तिवारी का कहना है कि उनकी कंपनी की 80 फीसदी कोडिंग साल के अंत तक एआई से होने लगेगी।
-एनवीडिया के सीईओ जेन्सेन हुआंग ने तो यहां तक कह दिया कि अब बच्चों को कोडिंग सीखने की जरूरत नहीं है।
-जेरोधा के सीटीओ कैलाश नाथ मानते हैं कि इस बदलाव से सबसे ज्यादा जूनियर डेवलपर प्रभावित होंगे।
इंसानों की जगह पूरी तरह नहीं लेगा एआई
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि एआई पूरी तरह इंसानों की जगह नहीं ले सकता। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीनियर डेवलपर की उत्पादकता बढ़ेगी, लेकिन नौकरियां खत्म नहीं होंगी। बिल गेट्स का कहना है कि एआई में रचनात्मकता और समस्या सुलझाने की क्षमता की कमी है। डीजैंगो के सह-संस्थापक साइमन विलिसन के अनुसार, एआई द्वारा लिखा कोड हमेशा भरोसेमंद नहीं होता।
नई स्किल्स सीखनी होंगी
रिपोर्ट के मुताबिक, 2027 तक 80 फीसदी सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को नई स्किल्स सीखनी होंगी। एंथ्रोपिक के सीईओ डेरियो अमोडेई का कहना है कि अगले दो साल में एआई लगभग हर तकनीकी कार्य में आगे निकल जाएगा। हालांकि, एआई में लीडरशिप, बिजनेस स्ट्रैटेजी और नैतिक निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। जो डेवलपर्स एआई टूल्स का सही उपयोग और समस्या समाधान जैसी स्किल्स सीखेंगे, उनके लिए मौके बने रहेंगे।