UPS, NPS या OPS, सरकारी कर्मचारियों के लिए क्या है बेहतर? समझें विस्तार से
- UPS vs NPS: केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते यूपीएस को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को गारंटीड रिटर्न मिलेगा। आइए जानते हैं कि ओपीएस, यूपीएस और एनपीएस में क्या बेहतर रहेगा?
UPS vs NPS vs OPS: पिछले हफ्ते केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दिया था। इस स्कीम के तहत अब सरकारी कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन मिलेगी। यह तीसरी पेंशन योजना है। इससे पहले ओल्ड पेंशन स्कीम और एनपीएस लाया गया था। आइए जानते हैं कि ओपीएस, यूपीएस और एनपीएस में क्या बेहतर रहेगा?
UPS की क्या हैं खूबियां...
सरकार की तरफ से बढ़ाया गया योगदान
यूपीएस (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) में कर्मचारियों को 25 साल की नौकरी के बाद आखिरी वर्ष के औसत मूल वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन मिलेगी। यूपीएस में कर्मचारियों के अंशदान (कंट्रीब्यूशन) को एनपीएस की मौजूदा व्यवस्था के 10 प्रतिशत के बराबर ही रखा गया है, जबकि सरकार ने अपने अंशदान को 14 से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है। इस पेंशन योजना में पारिवारिक पेंशन, गारंटीशुदा न्यूनतम पेंशन और रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त भुगतान के भी प्रावधान किए गए हैं।
यूपीएस लागू करने से एरियर के रूप में चालू वित्त वर्ष में सरकार को करीब 800 करोड़ रुपए व्यय करने पड़ेंगे जबकि यूपीएस के लिए लगभग 6250 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
2004 के बाद रिटायर हो रहे कर्मचारियों को भी मिलेगा फायदा
1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में आने वाले जितने कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं या एक अप्रैल 2025 तक सेवानिवृत्त होंगे, उन्हें भी इस विकल्प को चुनने का अवसर मिलेगा। ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके रिटायमेंट बेनेफिट्स को फिर कैलकुलेट करके बकाया का ब्याज समेत भुगतान किया जाएगा।
परिवार के लिए भी गारंटीड पेंशन की व्यवस्था
अगर किसी पेंशनभोगी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को पेंशनभोगी की मृत्यु से ठीक पहले मिलने वाली पेंशन का 60 प्रतिशत मिलेगा। इस पर डीआर भी 60 प्रतिशत दिया जाएगा। कोई कर्मचारी अगर न्यूनतम 10 साल की सेवा के बाद कोई नौकरी छोड़ता है तो कम से कम दस हजार रुपए पेंशन मिलेगी। अधिक नौकरी वाले को उसी अनुपात में अधिक पेंशन मिलेगी।
एकमुश्त पैसा भी मिलेगा
यूपीएस में रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी की राशि के अलावा एक और एकमुश्त राशि से अलग से मिलेगी। यह राशि सेवाकाल में हर छह महीने की सेवा के बदले एक माह के मासिक वेतन (वेतन+डीए) का दसवां हिस्सा जुड़कर सेवानिवृत्ति पर मिलेगा।
ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme)
इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के लिए कोई योगदान नहीं करना पड़ता है। सरकार की तरफ से आखिरी सैलरी का 50 प्रतिशत भुगतान पेंशन के तौर पर सरकारी कर्मचारियों को किया जाता है।
GPF का क्या है कैलकुलेशन
वहीं, फंड की बात करें तो सरकारी कर्मचारियों का 10 प्रतिशत हिस्सा सैलरी में कटता है। यही ब्याज के साथ रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारियों को मिलता है। कुछ डिपार्टमेंट में GPF अपनी स्वेच्छा से अधिक योगदान करने का विकल्प कर्मचारियों को मिलता है।
पेंशन बेचने का विकल्प
पुरानी पेंशन योजना में सरकारी कर्मचारियों के पास पेंशन बेचने का विकल्प रहता है। रिटायरमेंट के समय मान लीजिए किसी सरकारी कर्मचारी की पेंशन 25,000 रुपये बन रही थी। और वह 5000 रुपये की पेंशन बेच देता है। तो उसे हर 100 रुपये पर 115 रुपये का भुगतान एक साथ किया जाता है। 15 साल पेंशन पाने के बाद फिर से बिका हुआ पेंशन फिर से कर्मचारियों को वापस मिल जाता है। ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए सरकारी कर्मचारियों को कोई योगदान नहीं करना होता था। लेकिन यूपीएस और एनपीएस में करना होता है।
NPS की क्या हैं खूबियां?
2004 में केंद्र सरकार ने एनपीएस की योजना शुरू की थी। इस योजना में कई राज्य सरकारों की भी तब सहमति थी।
रिटायमेंट के समय मिलता 60% पैसा वापस
एनपीएस के नियमों के तहत कोई भी कर्मचारी रिटायरमेंट के समय पर अधिकतम फंड में 60 प्रतिशत निकाल सकता है। जबकि बचे हुए 40 प्रतिशत का उसे एन्युटी प्लान खरीदना होता। जिसके आधार पर सरकारी कर्मचारियों को नियमित पेंशन मिलती है।
टैक्स में छूट
एनपीएस में योगदान करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती थी। एनपीएस सब्सक्राइबर्स 80सीसीडी नियम के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये सालाना छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं। बता दें, पुरानी पेंशन में कर्मचारी कोई योगदान करता ही नहीं था इसलिए छूट की को बात नहीं थी।
टैक्स फ्री मिलता था पैसा
कर्मचारी रिटायरमेंट को बाद एनपीएस अकाउंट से जो 60 प्रतिशत पैसा निकालते हैं उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। जोकि इसे और आकर्षक बना देता है।
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