ITR भरने के बाद इन वजहों से आ सकता है आपके पास इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट से नोटिस
- Income Tax Notice: अक्सर आईटीआर फाइल करने के बाद सेक्शन 143(1) के तहत आयकर विभाग टैक्सपेयर्स को एक नोटिस भेजता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
Income Tax Notice: इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर (ITR) फाइल करने का आज आखिरी दिन है। अक्सर आईटीआर फाइल करने के बाद सेक्शन 143(1) के तहत आयकर विभाग टैक्सपेयर्स को एक नोटिस भेजता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ नोटिस तब आते हैं जब आपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान अपनी देनदारी से कम टैक्स भरा हो या आपने अपनी देनदारी से ज्यादा टैक्स भरा हो, या फिर आपने सही टैक्स भरा हो। जैसे…
1. एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा की एफडी
2. एक वित्तीय वर्ष में एक या अलग खातों में 10 लाख रुपये जमा कराना
3. 30 लाख या उससे ज्यादा की अचल संपत्ति खरीदने पर संपत्ति विभाग आयकर विभाग की सूचना
4. एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख या उससे ज्यादा के म्यूचुअल फंड्स, डिबेंचर्स और बॉन्ड खरीदना
5. 10 लाख रुपए या उससे ज्यादा मूल्य की विदेशी मुद्रा की खरीद समेत यात्री चेक, विदेशी मुद्रा कार्ड, डेबिट या क्रेडिट कार्ड लेना
सेक्शन 143(1) के तहत नोटिस
आयकर विभाग की ओर से अक्सर एक नोटिस जारी किया जाता है, जो इनकम टैक्स के सेक्शन 143(1) के तहत भेजा जाता है। 143(1) के तहत आने वाले टैक्स नोटिस को नोटिस ऑफ डिमांड कहा जाता है। यह बताता है कि आपकी तरफ से भरा गया रिटर्न सही है या गलत। सीए अजय बगड़िया कहते हैं कि ऐसा नोटिस अक्सर हर टैक्सपेयर के पास आता है। सीए अजय बगड़िया के मुताबिक अगर आपके पास ऐसा नोटिस नहीं आता है तो आप मान सकते हैं कि आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं किया गया है।
सेक्शन 143(2) के तहत नोटिस
इस नोटिस का उद्देश्य टैक्सपेयर्स को यह सूचित करना है कि दाखिल रिटर्न को स्क्रूटनी के लिए चुना गया है। यह तब आता है, जब आपने आईटीआर में अपनी इनकम कम बताई है या अत्यधिक नुकसान का दावा किया है या फिर कम टैक्स चुकाया है।
इस नोटिस के माध्यम से आयकर विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेजों के साथ जारी प्रश्नावली का जवाब देना होता है। मूल्यांकन अधिकारी को यह नोटिस मूल्यांकन वर्ष के पूरा होने के 3 महीने के भीतर देना होता है।
झूठा क्लेम पकड़ जाने पर 200 फीसदी तक जुर्माना
आयकर विभाग के अनुसार, गलत कर छूट दावे अथवा रिफंड का झूठा क्लेम पकड़ जाने पर 200 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है और जेल भी हो सकती है। अगर आपका दावा सही है तो निवेश के सभी सर्टिफिकेट जैसे कि एनपीएस, पीपीएफ, एसएसवाई, एनएससी, एससीएसएस, टैक्स सेविंग एफडी, यूलिप और ईएलएसएस इत्यादि के साथ-साथ लाइफ/हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, होम लोन ब्याज, होम लोन के मूल पैसे के भुगतान जैसे खर्चों और डोनेशन से जुड़े कागज तैयार रखें। विभाग इनकी कभी भी जांच कर सकता है।
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