रेरा से निकलेगी राह, विश टाउन के होमबायर्स की पूरी होगी विश! सुप्रीम कोर्ट से करेंगे गुजारिश
कभी बूम पर रहा रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह पिट गया है। दिल्ली-एनसीआर में साल 2015 से ही नए प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग और उनकी बिक्री में भारी गिरावट आई है। होमबायर्स दिवालिया डेवलपर्स द्वारा...
कभी बूम पर रहा रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह पिट गया है। दिल्ली-एनसीआर में साल 2015 से ही नए प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग और उनकी बिक्री में भारी गिरावट आई है। होमबायर्स दिवालिया डेवलपर्स द्वारा निर्माणाधीन घरों पर कब्जा पाने के लिए जूझ रहे हैं। होमबायर्स की इन समस्यओं के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। चाहे वो रेरा हो या दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016, लेकिन अभी भी करीब 20,000 होमबॉयर्स दिवालिया डेवलपर द्वारा निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। खरीदारों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) को निर्देश दिया गया था कि वह एनबीसीसी को विश टाउन टाउन प्रोजेक्ट में निर्माण शुरू करने के लिए राजी करे और जल्द से जल्द लगभग 20,000 लंबित फ्लैटों को पूरा करे। अब विश टाउन के होम बायर्स सुप्रीम कोर्ट से मामला रेरा के तहत सुलझाने की गुजारिश करेंगे।
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दिवालिया याचिकाओं की सुनवाई करने वाला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने दिवालिया जेपी इंफ्राटेक द्वारा नोएडा एक्सटेंशन में डेवलप की गई विश टाउन प्रोजेक्ट का अधिग्रहण करने के लिए एनबीसीसी को मंजूरी दे दी। एनबीसीसी ने न्यायाधिकरण के प्रस्ताव की अपील की और अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में सभी अपीलों को एक साथ सुनने और आगे की देरी से बचने के लिए स्थानांतरित कर दिया। 2017 में जब न्यायाधिकरण ने IBC के तहत जेपी इंफ्राटेक के लिए दिवालिया कार्यवाही की अनुमति दी थी तो नियमों और कानून का परीक्षण किया गया। न्यायाधिकरण द्वारा एक दिवालिया पेशेवर को कंपनी की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था जब तक कि NBCC की योजना को न्यायाधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था। रेरा के तहत हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक जेपी की Kalypso कोर्ट है, जहां 300 घरों को अभी तक जेपी इंफ्राटेक की मूल कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड द्वारा वितरित किया जाना है।
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2017 तक विरोध प्रदर्शनों के बाद, होमबॉयर्स को लेनदारों के रूप में नामित करने की अनुमति नहीं थी। जेपी इन्फ्राटेक के मूल प्रमोटर मनोज गौड़ जो विश टाउन का निर्माण करने वाले थे, उनके बोर्ड को भंग कर दिया गया और रिज़ॉल्यूशन पेशेवर ने इस साल की शुरुआत तक कंपनी की कमान संभाली। वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने होमबायर्स को जेपी इंफ्राटेक को दिवालियापन अदालत में ले जाने के लिए कहा। केंद्रीय बैंक के आदेशों पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के सामने आने वाले 12 मामलों में से यह एक था। जेपी इंफ्राटेक के विश टाउन में अधिकांश आवास अधूरे हैं। कंपनी पर भारी मात्रा में धनराशि बकाया थी। केंद्रीय बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के मुद्दे को हल करना चाहता था और चूंकि जेपी इन्फ्राटेक का मामला ऐसा ही था, इसलिए इसे दिवालियापन अदालत (न्यायाधिकरण) में ले जाया गया।
इस बीच कोई अन्य प्रमुख रियल एस्टेट मामला दिवालिया होने की स्थिति में नहीं आया है, और कोई भी कंपनी आईबीसी के तहत सुरक्षा की मांग नहीं कर सकती है। होमबॉयर्स को डर है कि अगर डेवलपर लिक्विडेशन चाहते हैं तो उन्हें अपने घर कभी नहीं मिलेंगे। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश रेरा के सदस्य बलविंदर सिंह ने कहा कि RERA ने 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। उन मामलों में कई खरीदार सिर्फ अपने घरों पर कब्जा पाने के लिए इंतजार करने के बजाय अपने पैसे वापस चाहते हैं।
RERA ने तय किया है कि कंपनी होमबॉयर्स द्वारा भुगतान की गई सभी फीसों और रियल एस्टेट फर्म द्वारा जुटाई गई धनराशि के लिए एस्क्रो अकाउंट स्थापित करे। 2008 में होमबॉयर्स ने अपने घर बुक किए और उन्हें 2018 में कब्जा मिल जाना था। जब ऐसा नहीं हुआ तो वे 2019 में अपने मामले को RERA में ले गए। RERA ने इस साल जुलाई में फिर से निर्माण के लिए आदेश दिया। जयप्रकाश एसोसिएट्स ने महामारी के बावजूद निर्माण फिर से शुरू कर दिया है और रेरा के आदेश के अनुसार एक वर्ष के भीतर घरों को उनके मालिकों को सौंप देगा।
वहीं एक होमबॉयर्स ईश्वर केवलरमानी कहते हैं कि समाधान योजना कानूनी उलझनों में फंस गई है और एक अदालत से दूसरे अदालत में जा रही है। होमबॉयर्स को बिल्डर से देरी के लिए क्षतिपूर्ति नहीं मिल रहा है। प्रोजेक्ट पूरा होने के लिए हमें बिल्डर को अतिरिक्त भुगतान करना होगा। ” विश टाउन प्रोजेक्ट में होमबॉयर अब अपने मामले को RERA पर ले जाने पर विचार कर रहे हैं। ईश्वर केवल रमानी बताते हैं कि होमबॉयर्स पिछले 10 वर्षों से घरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे ईएमआई और किराए का भुगतान कर रहे हैं । इस समस्या के समाधान के लिए Kalypso कोर्ट ने विभिन्न ठेकेदारों से बात करना शुरू कर दिया, लेकिन पाया कि नए ठेकेदार को सीवेज, विद्युतीकरण, प्लम्बरिंग के अधूरे काम की बारीकियों को समझने में समय लगेगा, क्योंकि यह एक इंटरग्रेटेड टाउनशिप है। अन्य साइटें जेपी के साथ थीं। हमने SC में अपील की है कि इंसाल्वेसी रिज्यूलेशन प्रोफेशनल्स को फंड जुटाने के लिए अधिकार दिया जाए और जेपी प्रोविजन अलॉटमेंट लेटर की शर्तों के मुताबिक तत्काल निर्माण कार्य शुरू कराया जा सके।
जेएएल को एक ठेकेदार के रूप में शामिल करने का फैसला
उन्होंने जेएएल को एक ठेकेदार के रूप में शामिल करने का फैसला किया, क्योंकि वे पूरे निर्माण कार्य को जानते थे और प्रोविजनल अलॉटमेंट लेटर में बताए गए विनिर्देशों के अनुसार पूरा करेंगे। RERA, Kalypso कोर्ट एसोसिएशन और JAL ने पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की और सभी औपचारिकताओं को पूरा किया। एचबीएस एस्क्रो खाते में बकाया राशि जमा करेगा और भुगतान केवल जेएएल को यह प्रमाणित करने के बाद जारी किया जाएगा कि जेएएल केवल उनके निर्माण पर धन का उपयोग कर रहा है।
बता दें IBC के तहत दिवालिया होने वाली कंपनियों के प्रमोटर कंपनियों के लिए बोली नहीं लगा सकते हैं। इसी तरह विश टाउन प्रोजेक्ट में जेपी इन्फ्राटेक के मूल प्रवर्तक मनोज गौड़ को बोली लगाने से प्रतिबंधित किया गया था। राज्य के स्वामित्व वाली NBCC को परियोजना को पूरा करने के लिए जेपी इंफ्राटेक के लेनदारों की समिति द्वारा वोट दिया गया था। इस बीच Kalypso कोर्ट में मकान खरीदने वालों ने अपने मूल बिल्डर - जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को RERA की देखरेख में प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए चुना। वहीं एक और होमबॉयर्स जयेश पटेल ने Kalypso कोर्ट में, “कंपनी को दिवाला अदालत में ले जाना हमारी समस्याओं का जवाब नहीं था। जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड परियोजना को पूरा करने में रुचि रखता था। RERA के तहत हमारे पास अपना बिल्डर चुनने का विकल्प था। हमें केवल एस्क्रौ खाते में अपना बकाया भुगतान करने की उम्मीद है। हमें अपने घरों के लिए अतिरिक्त भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। ”
रेरा होमबॉयर्स के लिए एक बेहतर विकल्प
कानूनी दृष्टिकोण से हालांकि रेरा में खामियां हैं, यह होमबॉयर्स के लिए एक बेहतर विकल्प है। रियल एस्टेट में विशेषज्ञता रखने वाली वकील सोनम चंदवानी ने कहा कि भारत में IBC बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों के मामले में ही बेहतर होगी। इसके अलावा, RERA होमबॉयर्स के लिए एक कम खर्चीला और कम थकाऊ विकल्प है। IBC कॉर्पोरेट देनदारों को पूरा करता है और हमेशा घर खरीदारों के हितों को प्राथमिकता नहीं दे सकता है। बड़े पैमाने पर चूक नहीं होने पर RERA रूट लेना उचित है। चंदवानी ने कहा, 'सरकार को सिंगल-विंडो क्लीयरेंस सिस्टम बनाने के लिए काम करना चाहिए।'
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