OPS Vs NPS: कर्मचारियों को ज्यादा मुनाफे वाली योजनाओं में निवेश के विकल्प दे सकती है सरकार
सरकार कर्मचारियों को उनकी पेंशन आय को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्थित निकासी योजनाओं (एसडब्ल्यूपी) और मुद्रास्फीति-आधारित उत्पादों में एनपीएस राशि का 40 फीसदी से अधिक निवेश करने की अनुमति देने पर भी विचार कर रही है।
कुछ राज्यों में अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से शुरू करने और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को त्यागने की घोषणा से केंद्र पर एपीएस को ज्यादा आकर्षक बनाने का दबाव बढ़ा है। ऐसे में केन्द्र सरकार कर्मचारियों को ज्यादा मुनाफे वाली योजनाओं में निवेश के विकल्प दे सकती है।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार कर्मचारियों को उनकी पेंशन आय को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्थित निकासी योजनाओं (एसडब्ल्यूपी) और मुद्रास्फीति-आधारित उत्पादों में एनपीएस राशि का 40 फीसदी से अधिक निवेश करने की अनुमति देने पर भी विचार कर रही है। एनपीएस के तहत, किसी व्यक्ति के कार्य वर्षों के दौरान योगदान से संचित राशि का 60 फीसदी सेवानिवृत्ति के समय निकालने की अनुमति है। इस तरह की निकासी भी कर मुक्त है। शेष 40 फीसदी एन्यूटी में निवेश किया जाता है, जो एक अनुमान के अनुसार, अंतिम वेतन के लगभग 35 फीसदी के बराबर पेंशन प्रदान कर सकता है।
ओपीएस के तहत, सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के रूप में अंतिम वेतन का 50 फीसदी मिलता था। यदि योगदान का 60 फीसदी, जो मोटे तौर पर केंद्र/राज्य सरकार के योगदान से मेल खाता है, की एन्यूटी की जाती हैहै, तो एनपीएस में पेंशन अंतिम वेतन के 45 फीसदी के करीब हो सकती है।
संबंधित सरकार एनपीएस में थोड़ा और योगदान करके पांच फीसदी के अंतर को पाट सकती है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि यह अस्थिर ओपीएस मॉडल को वापस लाने के बजाय एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कर्मचारियों के पास बाहर निकलने के समय पूरी तरह से अपने स्वयं के योगदान से कोष निकालने का विकल्प भी होगा।
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