जेपी इंफ्राटेक मामला, कर्जदाताओं को 17 जुलाई को पेश होने का निर्देश
जेपी इन्फ्राटेक के मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को बैंकों , आवंटियों और अन्य अंशधारकों के प्रतिनिधियों को 17 जुलाई को पेश होने का निर्देश दिया। उस तारीख को...
जेपी इन्फ्राटेक के मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को बैंकों , आवंटियों और अन्य अंशधारकों के प्रतिनिधियों को 17 जुलाई को पेश होने का निर्देश दिया। उस तारीख को यह विचार किया जाएगा कि घर खरीदारों के लाभ के लिए सरकारी क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी की पेशकश में कैसे कोई संशोधन किया जा सकता है।
वित्तीय संकट में घिरी जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए एनबीसीसी की पेशकश को बैंकों ने मतदान में खारिज दिया है। उसके बाद न्यायाधिकरण ने यह निर्देश दिया है। न्यायाधिकरण को बताया गया कि मतदान के दौरान , 34.75 प्रतिशत घर खरीदारों ने एनबीसीसी की बोली के पक्ष में और 1.44 प्रतिशत ने विरोध में मतदान किया। घर खरीदारों में 23.8 प्रतिशत ने मत नहीं किया। हालांकि, सभी 13 बैंकों की कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) में 40.75 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बैंकों ने जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक कंपनी एनबीसीसी की बोली के खिलाफ मतदान किया था। बोली प्रक्रिया 31 मई को शुरू हुई और 10 जून को समाप्त हुई।
मामले की सुनवाई के दौरान, एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि अडाणी समूह के पास बुनियादी ढांचा क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है , इस स्थिति में वह उसकी बोली पर विचार करने का इच्छुक नहीं है। एनसीएलएटी ने अडाणी समूह के साथ बैंकों की पर्दे के पीछे हुई बातचीत को लेकर भी सवाल उठाया।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने जोर देकर कहा कि उसकी प्राथमिकता घर खरीदारों के हितों का ध्यान रखना है। पीठ ने विभिन्न अंशधारकों के प्रतिनिधियों को अगली सुनवाई में पेश होने के लिए कहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि सभी अंशधारकों खासकर घरखरीदारों के हित में एनबीसीसी की योजना में कैसे बदलाव किया जा सकता है। एनसीएलएटी ने कहा कि एनबीसीसी एक सरकारी कंपनी और कोई भी इस पर भरोसा कर सकता है। पीठ ने कहा कि एनबीसीसी "आवंटियों के दर्द को समझती है" और उनके साथ न्याय कर सकती है।
न्यायाधिकरण ने बैंकों को बातचीत के लिए उच्च स्तर का अधिकारी नामित करने को कहा है जबकि एनबीसीसी की ओर से जमा समाधान योजना के निष्कर्ष और योजना से जुड़ी आपत्तियों को सामने रखने को कहा है। एनबीसीसी ने अपनी संशोधित पेशकश में 200 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी डालने , 5000 करोड़ रुपये मूल्य की 950 एकड़ जमीन का बैंकों को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव किया है। साथ ही वित्तीय कर्जदाताओं के 23,723 करोड़ रुपये के कर्ज के निपटान के लिये जुलाई 2023 तक फ्लैट को पूरा करने का प्रस्ताव किया है।
पीठ को जब यह बताया गया कि अडानी ने तेजी गति से घर निर्माण की पेशकश की है तो पीठ ने कहा कि वह वर्तमान स्थिति में इस पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं है। उसने कहा कि अगर कंपनी इसके लिए इच्छुक पक्ष थी , तो उसे अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष "हस्तक्षेप" करना चाहिए था। न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय ने दोहराया कि घर खरीदारों के हित में , जेपी इंफ्राटेक के समाधान को विफल नहीं होने दिया जाएगा और अगर एनबीसीसी की बोली के माध्यम से समाधान खोजना संभव नहीं होगा , तो पीठ अडाणी या किसी अन्य बोली पर विचार करेगी।
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