जेपी इंफ्राटेक के 20000 होमबायर्स को अभी और करना होगा इंतजार
घर खरीदने वाले इन पीड़ितों ने एनसीडीआरसी (नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन) से लेकर एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) और अंत में सुप्रीम कोर्ट तक हर संभव दरवाजे को खटखटाया, लेकिन...
जेपी विश टाउन होमबॉयर्स को उनके फ्लैटों के पजेशन का वादा किए हुए 12 साल हो चुके हैं। घर खरीदने वाले इन पीड़ितों ने एनसीडीआरसी (नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन) से लेकर एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) और अंत में सुप्रीम कोर्ट तक हर संभव दरवाजे को खटखटाया, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके धैर्य की अभी और परीक्षा होने वाली है। कई दौर की मुकदमेबाजी और चार दौर की बोली के बाद 7 मार्च को, एनसीएलटी ने जेआईएल का अधिग्रहण करने और नोएडा और ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में विभिन्न परियोजनाओं में लगभग 20,000 फ्लैटों को पूरा करने के लिए सुरक्षा समूह की बोली को मंजूरी दे दी थी। लेकिन, यह इतना आसान नहीं दिख रहा।
एक और रोड़ा
लंबे समय से लंबित समाधान अब एनसीएलटी के आदेश के रूप में एक और अवरोध पैदा कर रहा है। सुरक्षा रियलटी के पक्ष में एनसीएलटी के आदेश को आयकर विभाग और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा एनसीएलएटी के समक्ष चुनौती दी गई है। यह 20000 होमबायर्स को एक बार फिर अधर में लटका दिया है।
जेपी इंफ्राटेक और 12 कंपनियों के साथ दिवालिया प्रक्रिया अगस्त 2017 में शुरू हुई थी। आरबीआई ने बैंकों को दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिया था। एनसीएलटी ने बीते सात मार्च को कर्ज समाधान प्रक्रिया के तहत सुरक्षा ग्रुप को जेआईएल का अधिग्रहण करने की मंजूरी दी थी और उसे एनसीआर क्षेत्र की विभिन्न अधूरी परियोजनाओं में अधूरे पड़े हुए 20,000 फ्लैट का निर्माण पूरा करने को कहा था।
हालांकि एनसीएलटी के इस आदेश के खिलाफ पिछले एक महीने में अब तक चार याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इनमें से एक याचिका जेपी एसोसिएट्स के प्रवर्तक मनोज गौर ने दायर की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पास जमा 750 करोड़ रुपये बांटने के आदेश को चुनौती दी गई है।
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