SEBI कर रहा है UPSI के नियमों में बदलाव की योजना पर विचार, कंपनियों पर पड़ेगा असर
- मार्केट रेगुलेटर फंड जुटाने की योजना, रिस्ट्रक्चरिंग प्लान और वनटाइम बैंक सेटलमेंट (One Time Bank Settelment) को शामिल करके अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना (Unpublished Price Sensitive Information) को विस्तार देने का विचार कर रहा है।
सेबी (SEBI) बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कुछ नियमों में बदलाव करने का विचार कर रहा है। मार्केट रेगुलेटर फंड जुटाने की योजना, रिस्ट्रक्चरिंग प्लान और वनटाइम बैंक सेटलमेंट (One Time Bank Settelment) को शामिल करके अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना (Unpublished Price Sensitive Information) को विस्तार देने का विचार कर रहा है। सेबी के द्वारा प्रकाशित रविवार को कंसल्टेंसी पेपर में ये बात सामने आई है।
क्या कुछ कहा गया है पेपर में
इस पेपर में कहा गया है कि शेयरहोल्डर्स, ज्वाइंट वेंचर (Joint Venture) और फैमिली सेटलमेंट से जुड़ा एग्रीमेंट जो कि मैनेजमेंट और फर्म में कंट्रोल को प्रभावित कर सकता है उसे प्राइस सेंसटिव या फिर UPSI की परिभाषा के अंतर्गत आना चाहिए। इसके अतिरिक्त, कॉरपोरेट दिवालियापन कार्यवाही में प्रमुख घटनाक्रम, जैसे न्यायाधिकरण द्वारा समाधान योजनाओं की शुरुआत या अनुमोदन, को संभावित रूप से प्राइस सेंसटिव (Price Senstive) के तौर पर प्रकट किया जाना चाहिए।
फंड जुटाने को भी माना जाएगा प्राइस सेंसटिव
इसके अलावा किसी भी इश्यू के फंड के फाइनेंस की गलत जानकारी के लिए शुरू की गई फॉरेंसिक ऑडिट या फिर उसके पूरा होने को प्राइस सेंसटिव माना जाएगा। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना की परिभाषा में प्रस्तावित बदलाव के पीछे सेबी की मंशा है। बता दें, इस पेपर में सेबी ने कहा है कि फंड जुटाने के मामले को भी प्राइस सेंसटिव माना जाएगा।
अभी क्या है नियम?
मौजूदा समय में फंड जुटाने की प्रक्रिया को प्राइस सेंसटिव नहीं माना जाता है। लेकिन अब रिस्ट्रक्चरिंग प्लान, वन टाइम बैंक सेटलमेंट और अन्य फाइनेंशियर रिस्ट्रक्चरिंग प्लान को UPSI (Unpublished Price Sensitive Information) में शामिल करने की योजना है। सेबी ने प्रस्ताव में कहा है कि रेगुलेटर या फिर न्यायिक संस्थाओं द्वारा कंपनी या उसके अधिकारी के खिलाफ पेनाल्टी, फाइन आदि लगाता है तो उसे भी प्राइस सेंसटिव का दर्जा दिया जाएगा।
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