रिलायंस इंडस्ट्रीज को अमेरिका से मिली गुड न्यूज, शेयर खरीदने को मची लूट
- RIL Share Price Today: सेंसेक्स पर रिलायंस एक फीसद से अधिक बढ़त के साथ 3005 रुपये के आसपास ट्रेड कर रहा था। दरअसल रिलायंस को वेनेजुएला से कच्चे तेल के आयात को फिर से शुरू करने के लिए अमेरिकी मंजूरी मिल गई है।
RIL Share Price Today: मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए अमेरिका से एक गुड न्यूज आई है। इसकी वजह से आज शेयर मार्केट में गिरावट के बावजूद आरआईएल के शेयरों में तेजी है। सुबह करीब 11 बजे सेंसेक्स पर रिलायंस एक फीसद से अधिक बढ़त के साथ 3005 रुपये के आसपास ट्रेड कर रहा था। दरअसल रिलायंस को वेनेजुएला से कच्चे तेल के आयात को फिर से शुरू करने के लिए अमेरिकी मंजूरी मिल गई है।
ईटी की खबर के मुताबिक इस घटनाक्रम से परिचित लोगों के अनुसार, रिलायंस ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद वेनेजुएला से तेल आयात को फिर से शुरू करने के लिए अमेरिकी मंजूरी हासिल कर ली है। भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट रिफाइनर ने जल्द ही वेनेजुएला से कच्चे तेल की खरीद शुरू करने की योजना बनाई है। अमेरिकी ट्रेजरी ने इस अपडेट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है और रिलायंस ने ईमेल का जवाब नहीं दिया है।
वेनेजुएला से भारत के कच्चे तेल के आयात में लगभग 90% थी रिलायंस की हिस्सेदारी
सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, " डेटा इंटेलिजेंस फर्म केपलर के अनुसार पिछले साल प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से वेनेजुएला से भारत के कच्चे तेल के आयात में रिलायंस की हिस्सेदारी लगभग 90% थी। वाशिंगटन ने पिछले साल दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र के सोने और ऑयल सेक्टर पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध हटा दिए थे, जब राष्ट्रपति निकोलस मादुरो और विपक्ष ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की गारंटी देने के लिए एक समझौते पर साइन किए थे।
वेनेजुएला ने समझौते का सम्मान नहीं किया तो अप्रैल में प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया गया और तेल कंपनियां वहां ट्रेड जारी रखने के लिए अमेरिकी ट्रेजरी विभाग से परमिट के लिए आवेदन कर रही हैं। रिलायंस के अलावा, भारत की सरकारी स्वामित्व वाली तेल और ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने भी वेनेजुएला से कच्चे तेल के आयात के लिए छूट के लिए आवेदन किया है।
शिपिंग रिपोर्ट और केपलर के आंकड़ों के मुताबिक जून में वेनेजुएला का कच्चा तेल निर्यात बढ़कर 654,000 बैरल रोजाना हो गया। यह अप्रैल 2020 के बाद सबसे अधिक है। क्योंकि, अमेरिका ने प्रतिबंधों के बावजूद कंपनियों को ड्रिलिंग जारी रखने के लिए एक विशिष्ट लाइसेंस दिया है।
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