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लोन देने के नाम पर अब नहीं होगा फ्रॉड, RBI ने बनाया तगड़ा प्लान

  • लोन या उधार देने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले ऐप से ग्राहकों को बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल लेंडिंग ऐप (DLA) के लिए एक पब्लिक रिपॉजिटरी बनाएगा।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तानThu, 8 Aug 2024 08:25 AM
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पर्सनल लोन

लोन या उधार देने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले ऐप से ग्राहकों को बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल लेंडिंग ऐप (DLA) के लिए एक पब्लिक रिपॉजिटरी बनाएगा। साथ ही आरबीआई ने बैंकों या लोन देने वाली कंपनियों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों के लोन की सूचना अब प्रत्येक 15 दिन या उससे भी कम अंतराल पर देने का निर्देश दिया है।

RBI ने क्या कहा?

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि ग्राहकों के हितों की सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, ब्याज दरों और रिकवरी पर चिंताओं, गलत बिक्री को लेकर डिजिटल लेंडिंग पर दिशानिर्देश 02 सितंबर, 2022 को जारी किए गए थे। हालांकि, मीडिया रिपोर्टों ने डिजिटल लेंडिंग में बेईमान प्लेयर्स की मौजूदगी को उजागर किया है जो आरबीआई विनियमित संस्थाओं (आरई) के साथ अपने जुड़ाव का झूठा दावा करते हैं।

इसको ध्यान में रखते हुए डिजिटल लेंडिंग ऐप (डीएलए) के आरई के साथ जुड़ाव के दावे को सत्यापित करने में ग्राहकों की मदद करने के लिए रिजर्व बैंक आरई के डीएलए का एक सार्वजनिक रिपॉज़िटरी बना रहा है जो आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। यह रिपॉज़िटरी आरई द्वारा (आरबीआई के किसी हस्तक्षेप के बिना) सीधे रिपॉज़िटरी में संग्रहित डेटा पर आधारित होगा और जब भी आरई विवरण की रिपोर्ट करेंगे, यानी नए डीएलए को जोड़ना या किसी मौजूदा डीएलए को हटाना, तो इसे अपडेट कर दिया जाएगा। इस संबंध में विस्तृत निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे।

 

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यूपीआई से पांच लाख रुपये तक का भुगतान

आरबीआई ने यूपीआई से लेनदेन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए यूपीआई के जरिये कर भुगतान करने की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है। आरबीआई ने कहा कि यूपीआई अपनी खासियतों के कारण भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है। वर्तमान में यूपीआई के लिए लेन-देन की सीमा एक लाख रुपये है। हालांकि रिजर्व बैंक ने समय-समय पर पूंजी बाजार, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) सदस्यता, ऋण संग्रह, बीमा, चिकित्सा और शैक्षिक सेवाओं जैसी कुछ श्रेणियों के लिए यूपीआई लेनदेन सीमाओं की समीक्षा की है और उन्हें बढ़ाया है।

 

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