Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़No investments in Adani firms Sebi chair not involved in fund ops says IIFL share focus on monday

इस सुस्त शेयर वाली कंपनी का हिंडनबर्ग ने किया जिक्र, कंपनी ने दी सफाई, कहा- नहीं है अडानी के शेयरों में कोई निवेश

  • प्रॉपर्टी मैनेजमेंट कंपनी 360 वन ने हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट में किए गए दावों पर रविवार को कहा कि उसके प्रेडिसेसर IPE-प्लस फंड-1 ने अडानी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तानSun, 11 Aug 2024 06:47 PM
share Share

प्रॉपर्टी मैनेजमेंट कंपनी 360 वन ने हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट में किए गए दावों पर रविवार को कहा कि उसके प्रेडिसेसर IPE-प्लस फंड-1 ने अडानी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था। कंपनी 360 वन (पूर्व में आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट) ने एक बयान में कहा कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का इस निवेश फंड में कुल प्रवाह का 1.5 प्रतिशत से भी कम निवेश था और किसी भी निवेशक की निवेश निर्णयों में कोई संलिप्तता नहीं थी। बता दें कि सोमवार को 360 वन के शेयर फोकस में रह सकते हैं। बीते शुक्रवार को इसमें मामूली गिरावट थी और यह शेयर 1,028.70 रुपये पर बंद हुआ था।

कंपनी ने क्या कहा?

कंपनी ने कहा कि इस फंड ने नियामकीय नियमों का पूरी तरह पालन किया था। यह फंड अक्टूबर, 2013 से लेकर अक्टूबर, 2019 के बीच सक्रिय था। कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा, “फंड की पूरी अवधि के दौरान आईपीई-प्लस फंड-1 ने किसी भी फंड के जरिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अडानी समूह के किसी भी शेयर में शून्य निवेश किया है।”

फंड के लिए मैनेजमेंट के तहत अधिकतम परिसंपत्तियां लगभग 4.8 करोड़ डॉलर थीं और एयूएम का 90 प्रतिशत से अधिक लगातार बॉन्ड में निवेश किया गया था। हिंडनबर्ग ने शनिवार को कहा कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति ने विदेशी यूनिट्स में निवेश किया था, जो कथित तौर पर इंडिया इन्फोलाइन (आईआईएफएल) द्वारा प्रबंधित फंड संरचना का हिस्सा थे और उसमें विनोद अडानी का भी निवेश रहा।

हिंडनबर्ग के मुताबिक, साल 2015 में कथित तौर पर ये निवेश वर्ष 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी पुरी बुच की नियुक्ति और मार्च, 2022 में इसका चेयरपर्सन बनने से काफी पहले किए गए थे। इसके मुताबिक, बरमूडा स्थित ग्लोबल अपॉर्च्युनिटीज फंड भी इस फंड में निवेश करने वालों में शामिल था। अडानी समूह से जुड़ी इकाइयों द्वारा समूह की कंपनियों के शेयरों में कारोबार के लिए कथित तौर पर ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड का ही इस्तेमाल किया गया था। बुच और उनके पति 2015 में इनमें से एक उप-फंड में निवेशक थे। इस बीच, म्यूचुअल फंड उद्योग निकाय एम्फी ने रविवार को सेबी प्रमुख बुच का समर्थन किया।

 

ये भी पढ़ें:नोटिस का जवाब देने के बजाए आरोप लगाए जा रहे, हिंडनबर्ग पर बुच दंपति का पलटवार
ये भी पढ़ें:हिंडनबर्ग रिपोर्ट में 3 लिस्टेड कंपनियों का जिक्र, रडार पर शेयर

एम्फी ने कहा

एम्फी ने कहा, “नियामक की चेयरपर्सन पर हाल की टिप्पणियों ने न केवल भारतीय पूंजी बाजार में माधबी बुच के योगदान को कम करने का प्रयास किया है, बल्कि यह हमारे देश की आर्थिक प्रगति को भी कमजोर करता है। बाजार पारिस्थितिकी में विश्वास की कमी पैदा करने वाले प्रयासों को वास्तव में ऐसे देखा जाना चाहिए कि ये अतीत की अलग-अलग घटनाओं को जोड़कर सनसनी पैदा करने का प्रयास हैं।” म्यूचुअल फंड निकाय ने चेतावनी दी कि यदि आरोपों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के मार्ग में अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं।

 बजट 2024 जानेंHindi News  ,  Business News की लेटेस्ट खबरें, इनकम टैक्स स्लैब Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।

अगला लेखऐप पर पढ़ें