मिडिल क्लास को राहत मिलने की उम्मीद! बजट में टैक्स छूट के बाद अब RBI की बैठक पर नजर, कल ऐलान
- RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 5 फरवरी से शुरू हो चुकी है और कल 7 फरवरी को इस पर फैसला आने वाला है। बजट में टैक्स में छूट मिलने के बाद अब आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी बैठक से राहत की उम्मीद लगाई जा रही है।
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RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 5 फरवरी से शुरू हो चुकी है और कल 7 फरवरी को इस पर फैसला आने वाला है। बजट में टैक्स में छूट मिलने के बाद अब आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी बैठक से राहत की उम्मीद लगाई जा रही है। जानकारों के मुताबिक, इस बार आरबीआई नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो आम आदमी को कर्ज लेना सस्ता पड़ेगा, यानी ईएमआई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी। बता दें कि इससे पहले रिजर्व बैंक ने इससे पहले मई, 2020 में रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि अर्थव्यवस्था को कोविड महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के संकट से निपटने में मदद मिल सके। आरबीआई ने मई, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था और मई, 2023 में वृद्धि पर रोक लगी। अभी रेपो दर 6.5 प्रतिशत है।
रिजर्व बैंक के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार से शुरू हुई अपनी पहली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। छह सदस्यीय समिति के फैसले की घोषणा सात फरवरी शुक्रवार को की जाएगी। विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा स्थिति नीतिगत दर में कटौती के लिए अनुकूल है क्योंकि यह खपत आधारित मांग वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट में घोषित उपायों के पूरक के रूप में काम करेगा।
SBI की रिपोर्ट
एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत और चालू वित्त वर्ष में औसतन 4.8 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। इसमें यह भी कहा गया है कि जनवरी के मुद्रास्फीति आंकड़े 4.5 प्रतिशत के आसपास बने हुए हैं।
एक्सपर्ट की राय
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि केंद्रीय बजट में किए गए राजकोषीय प्रोत्साहन का मुद्रास्फीति पर महत्वपूर्ण असर होगा। अत: हमें लगता है कि स्थिति फरवरी, 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर में कटौती के पक्ष में है।’’ नायर ने कहा कि हालांकि, अगर वैश्विक कारक इस सप्ताह के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में और अधिक कमजोरी का कारण बनते हैं, तो नीतिगत दर में कटौती अप्रैल, 2025 तक टल सकती है।
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