6.8% की दर से बढ़ेगी देश की GDP, दुनिया में सबसे तेज रफ्तार का अनुमान
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने वर्ष 2024 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ा दिया है। IMF ने देश के GDP अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत किया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने वर्ष 2024 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ा दिया है। IMF ने देश के GDP अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत किया है। इस तरह भारत दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इसी अवधि में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं, वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर इस साल 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
IMF ने कहा?
भारत में वृद्धि दर वर्ष 2024 में 6.8 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। घरेलू मांग में निरंतर मजबूती और कामकाजी उम्र की बढ़ती आबादी से इस तेजी को बल मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया में वृद्धि दर पिछले साल के अनुमानित 5.6 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2024 में 5.2 प्रतिशत और 2025 में 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह अनुमान जनवरी में जताए गए पिछले अनुमान की तुलना में थोड़ा बेहतर है। बता दें कि IMF ने अपनी जनवरी रिपोर्ट में 2024 के लिए भारत की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
चीन की अर्थव्यस्था का हाल
इसके साथ ही IMF ने चीन में वृद्धि दर 2023 के 5.2 प्रतिशत की तुलना में सुस्त पड़कर इस साल 4.6 प्रतिशत और 2025 में 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक वृद्धि वर्ष 2024 और 2025 में भी पुरानी रफ्तार से जारी रहने का अनुमान है। जबकि 2023 में इसकी वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत थी। वहीं, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान की वृद्धि दर 2024 में 0.9 प्रतिशत रहने की संभावना है जो बीते वर्ष 1.9 प्रतिशत थी।
यूरो क्षेत्र की वृद्धि दर इस साल 0.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2023 की वृद्धि दर से दोगुनी है। ब्रिटेन की आर्थिक वृद्धि दर 2024 में 0.5 प्रतिशत और अगले साल 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2023 में 0.1 प्रतिशत थी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर IMF ने क्या कहा?
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गॉरींशेस ने कहा, "निराशाजनक अनुमानों के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था सशक्त बनी हुई है। स्थिर वृद्धि और मुद्रास्फीति लगभग उतनी ही तेजी से धीमी हो रही है, जितनी तेजी से बढ़ी थी।'' गॉरींशेस ने कहा, "अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले ही अपने महामारी-पूर्व रुझान से आगे निकल चुकी है। लेकिन अब हमारा आकलन है कि कम आय वाले विकासशील देशों को अधिक नुकसान होगा क्योंकि इनमें से कई देश अब भी महामारी और जीवनयापन की लागत के संकट से उबरने की जद्दोजहद में लगे हैं।"
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