चीन को पड़ी भारतीय कंपनियों की जरूरत, इस काम के लिए मांग रही मदद
कई चीनी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों से अपने ग्राहकों को सामान की सप्लाई करने के लिए संपर्क किया है।

China's companies suffer from trump tariffs: अमेरिकी टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित चीन की कंपनियां भारतीय निर्यातकों से मदद के लिए संपर्क में हैं। खबर है कि चीन स्थित कुछ कंपनियां अमेरिकी कस्टमर को बनाए रखने के लिए भारतीय निर्यातकों से संपर्क कर रही हैं, ताकि वे अपने अमेरिकी ऑर्डर को समय रहते पूरे कर सकें। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 5 मई तक गुआंगजौ में चलने वाले कैंटन फेयर में (जो दुनिया का सबसे बड़ा कारोबार मेला है) कई भारतीय कंपनियों से चीनी कंपनियों ने अपने अमेरिकी ग्राहकों को सामान की सप्लाई करने के लिए संपर्क किया है।
चल रहा है दुनिया का सबसे बड़ा कारोबार मेला
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि अमेरिकी ऑर्डर पूरे करने के लिए चीन की कई कंपनियां भारतीय निर्यातकों से संपर्क में हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि बिक्री के बदले में भारतीय कंपनी चीनी कारोबार को कमीशन का भुगतान करेंगी। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप के टैरिफ द्वारा टारगेटेड कई चीनी निर्यातकों ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की ओर रुख किया, वियतनाम में कारखाने स्थापित किए या थाईलैंड जैसी जगहों पर सामान भेजा, जहां से उन्हें फिर अमेरिका में निर्यात किया गया। इस बार, ट्रंप द्वारा वियतनाम जैसे देशों पर 46% पारस्परिक टैरिफ लगाए जाने के बाद, भारतीय निर्यातकों को अधिक ऑर्डर मिलने की संभावना है।
क्या है डिटेल
सहाय ने कहा कि अधिकांश संपर्क हाथ के औजार, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू इक्विपमेंट जैसे सेक्टर के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि कुछ अमेरिकी ग्राहक सीधे भारतीय सप्लायर्स के साथ बातचीत शुरू कर सकते हैं। सहाय ने कहा कि चीनी फर्मों को दिए जाने वाले कमीशन पर खरीदारों और सप्लायर्स के बीच बातचीत होगी। जालंधर स्थित ओके टूल्स (जो ड्रॉप फोर्ज हैमर और कोल्ड स्टैम्प मशीन जैसे हाथ के औजार बनाती है) अमेरिकी मार्केट में सप्लाई के लिए चीन स्थित अमेरिकी कंपनियांं और चीनी कंपनियों दोनों के साथ बातचीत कर रही है।
ओके टूल्स के निर्यात अधिकारी सिद्धांत अग्रवाल ने कहा, "कुछ चार से पांच कंपनियों ने हमसे संपर्क किया है। उनके पास एक ब्रांड नाम है, इसलिए उन्हें ग्राहकों की सेवा करनी है।" निर्यात ऑर्डर में वृद्धि तब हुई है जब भारत की सरकार ने व्यापार सौदे पर ट्रंप प्रशासन के साथ अपनी बातचीत में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे नई दिल्ली को उम्मीद है कि वह उच्च अमेरिकी टैरिफ से बच जाएगी। उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने पिछले सप्ताह भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग के एक नए युग का आह्वान किया था, जहां उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर दोनों पक्षों द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डाला था, जिसे वे इस वर्ष के अंत तक पूरा करना चाहते हैं। विक्टर फोर्जिंग्स, जो 1954 से प्लायर्स, हैक्सॉ और हथौड़ों जैसे हाथ के औजारों का निर्माण कर रही है, एक और भारतीय फर्म है जो अमेरिका और चीन के बीच टकराव के बीच व्यापार बढ़ाने का अवसर देख रही है। उत्तरी राज्य पंजाब के जालंधर में स्थित विक्टर फोर्जिंग्स के प्रबंध साझेदार अश्विनी कुमार ने कहा, "हमसे न केवल चीनी आपूर्तिकर्ताओं ने अमेरिकी ग्राहकों के ऑर्डर पूरे करने के लिए संपर्क किया, बल्कि अमेरिकी फर्मों ने भी हमसे संपर्क किया, जिनके चीन में प्लांट हैं, लेकिन उच्च टैरिफ के कारण अब आपूर्ति करने में असमर्थ हैं।" कुमार ने कहा कि कंपनी मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए विस्तार और विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियां दक्षिण एशियाई राष्ट्र में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने के लिए भारतीय फर्मों के साथ तकनीकी जानकारी साझा करने को तैयार हैं।