अनिल अंबानी और उनके बेटे जय अनमोल का बड़ा ऐलान, टूट गए रिलायंस पावर और इंफ्रा के शेयर, बेचने की होड़
- अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस पावर लिमिटेड और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयर आज सोमवार को कारोबार के दौरान फोकस में हैं। रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयरों में आज इंट्रा डे में 3% से अधिक की गिरावट देखी जा रही है।
Anil Ambani Company Share's: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस पावर लिमिटेड और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयर आज सोमवार को कारोबार के दौरान फोकस में हैं। रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयरों में आज इंट्रा डे में 3% से अधिक की गिरावट देखी जा रही है। रिलायस इंफ्रा के शेयर 3.39% टूटकर 282.25 रुपये पर कारोबार कर रहे हैं। वहीं, रिलायंस पावर के शेयर करीबन 3% टूटकर 37.90 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं। कंपनी के शेयरों में इस गिरावट के पीछे एक ऐलान है। दरअसल, कंपनी के शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव होने वाला है। दोनों 'प्रमोटर' की भूमिका से निकलना चाह रहे और 'पब्लिक शेयरहोल्डर' बनना चाहते हैं।
क्या है डिटेल
रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी और उनके बेटे जय अनमोल अंबानी ने "प्रमोटर्स" के रूप में अपनी भूमिका से हटने के लिए आवेदन किया है और "पब्लिक शेयरधारकों" के रूप में री-क्लासिफिकेशन की मांग की है। शुक्रवार को किए गए खुलासे के अनुसार, दोनों कंपनियों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित यह कदम, दोनों संस्थाओं के साथ अंबानी परिवार के जुड़ाव में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। बता दें कि अनिल अंबानी और जय अनमोल के पास वर्तमान में दोनों कंपनियों के शेयर हैं, लेकिन री-क्लासिफिकेशन के लिए रेगुलेटरी सीमा के भीतर आते हैं।
किसके पास कितने शेयर
सितंबर 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में अनिल अंबानी के पास 1,39,437 शेयर हैं, जबकि जय अनमोल के पास 1,25,231 शेयर हैं। वहीं, रिलायंस पावर में अनिल अंबानी के पास 4,65,792 शेयर हैं और जय अनमोल के पास 4,17,439 शेयर हैं। दोनों कंपनियों ने सेबी के लिस्टिंग नियमों (खासकर विनियमन 31ए, जो प्रमोटर री-क्लासिफिकेशन को कंट्रोल करता है) का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से अप्रूवल के लिए आवेदन किया है।
क्या है नियम
सेबी के मानदंडों के तहत, री-क्लासिफिकेशन चाहने वाले प्रमोटरों के पास कंपनी की इक्विटी के 10% से अधिक का वोटिंग अधिकार नहीं होना चाहिए। अंबानी का कदम इन दिशानिर्देशों के अनुरूप है। 2024 में, सेबी पैनल ने कॉर्पोरेट लचीलेपन को प्रोत्साहित करने के लिए सीमा को 25% तक आसान बनाने पर बहस की। हालांकि, 10% सीमा को बरकरार रखते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था।
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