वक्फ को लोकतांत्रिक बनाना हमारा मकसद
- मान्यवर, वक्फ विधेयक राज्यसभा से पारित होकर लोकसभा में आया है। मैं सदन के सामने आपकी अनुमति से प्रस्ताव करता हूं कि सदन इस पर विचार करे...।
सीताराम केसरी, तत्कालीन केंद्रीय कल्याण मंत्री
मान्यवर, वक्फ विधेयक राज्यसभा से पारित होकर लोकसभा में आया है। मैं सदन के सामने आपकी अनुमति से प्रस्ताव करता हूं कि सदन इस पर विचार करे...। मैं प्रस्ताव करता हूं कि वक्फ बोर्डों के कुशल प्रशासन और उससे संबंधित या अनुरूप विषयों का प्रावधान करने वाले विधेयक को, जिसे राज्यसभा द्वारा पारित किया गया है, विचारार्थ लिया जाए।
साल 1991 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में हमने वायदा किया था कि हम वक्फ अधिनियम की समीक्षा के बाद इसमें संशोधन कर इसे और कारगर बनाएंगे। 1991 में कल्याण मंत्रालय का कार्यभार लेते ही मैंने इस दिशा में कार्रवाई शुरू करके इस मुद्दे पर माननीय मुस्लिम सांसदों, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मुस्लिम सदस्यों तथा मुस्लिम समुदाय के अन्य गणमान्य नेताओं के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया।
मान्यवर, मैं स्मरण कराना चाहूंगा कि मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को वक्फ अधिनियम, 1954 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। वक्फ अधिनियम, 1954 का मूल प्रयोजन देश में वक्फ संपत्तियों को कुशल प्रशासन प्रदान करना था। फिर भी, 1954 के अधिनियम को लागू होने के तत्काल बाद ही इसके विभिन्न प्रावधानों के विरुद्ध प्रतिवेदन एवं आपत्तियां आनी शुरू हो गईं। इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए इस कानून में 1959, 1964 एवं 1969 में भी संशोधन किए गए। ...वैसे वक्फ संशोधन विधेयक, 1954 इस सदन द्वारा पारित किया गया था, लेकिन इसके सिर्फ दो प्रावधानों को लागू किया गया। अत: वक्फ कानून के प्रावधानों को सर्वसम्मत बनाने के उद्देश्य से 1980 के दशक में एक गहन प्रयास शुरू किया गया। ...मुझे प्रसन्नता है कि इस संदर्भ में विस्तृत बातचीत के फलस्वरूप हम ठोस निष्कर्षों पर पहुंचे और इसी के आधार पर यह विधेयक बनाकर इस सदन में विचारार्थ प्रस्तुत किया गया है। इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर को छोड़ पूरदेश में वक्फ कानून को समान रूप में लागू करने का प्रावधान किया गया है। ...
इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्डों को और अधिक लोकतांत्रिक बनाना है। वक्फ बोर्डों के अधिकांश सदस्यों का निर्वाचन संबंधित निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा, जिसमें मुस्लिम सांसद, मुस्लिम विधायक, राज्य अधिवक्ता परिषद और मुतवल्लियों के सदस्यगण शामिल होंगे। ...
मान्यवर, वक्फ कमिशनर एवं वक्फ बोर्ड की शक्तियों को लेकर बहुत विवाद रहा है। अत: हमने इस विवाद को खत्म करने के लिए इस विधेयक में उपयुक्त प्रावधान किया है। ...माननीय सदस्य जानते हैं कि अधिकांश वक्फ बोर्डों की माली हालत बहुत कमजोर है। वे अपने कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में भी नहीं हैं, इसलिए इस विधेयक के पारित होने के पश्चात मुझे आशा है, वक्फ बोर्डों की माली हालत में सुधार होगा। वक्फ ट्रिब्यूनल की स्थापना का प्रावधान किया गया है, ताकि वक्फ संपत्तियों से संबंधित दीवानी विवादों का शीघ्र निपटारा हो सके और वक्फ संपत्तियों को बेवजह की मुकदमेबाजी का शिकार न होना पड़े। इस विधेयक के पारित होने से वक्फ संपत्तियों का लेखा-जोखा भी व्यवस्थित ढंग से संभव हो सकेगा।...
मान्यवर, हमने विधेयक में यह भी प्रावधान रखा है कि यदि किसी कारणवश राज्य सरकार वक्फ बोर्ड को निरस्त करती है, तो छह महीने में वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन करना होगा, इसके अलावा यह भी प्रावधान किया गया है कि नाजायज कब्जे से वक्फ संपत्तियों को मुक्त करने के लिए लिमिटेशन का कानून लागू नहीं होगा। ...मुझे यकीन है, वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रशासन व सदुपयोग से वक्फ बोर्डों की आय में इजाफा होगा, जिससे मुस्लिम समुदाय का विकास संभव हो सकेगा।
(लोकसभा में दिए गए उद्बोधन से)
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