Hindi Newsओपिनियन Hindustan opinion column 11 January 2025

कानून की कमियों को दूर करे केंद्र सरकार

अध्यक्ष महोदय, कल्याण मंत्री ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए जैसी सतत चेष्टा की है, उसकी प्रशंसा करना चाहूंगा। उन्होंने पर्याप्त शक्ति, काफी समय लगाया और हमें आम सहमति के लिए बाध्य कर दिया। ...

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानSat, 11 Jan 2025 07:41 AM
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सैयद शहाबुद्दीन, तत्कालीन सांसद

अध्यक्ष महोदय, कल्याण मंत्री ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए जैसी सतत चेष्टा की है, उसकी प्रशंसा करना चाहूंगा। उन्होंने पर्याप्त शक्ति, काफी समय लगाया और हमें आम सहमति के लिए बाध्य कर दिया। ...

महोदय, वक्फ विधेयक को 1980 के दशक में संशोधित करने का प्रयास किया गया था। जल्दबाजी में संशोधित किया गया था। पूरे समुदाय ने इसका विरोध किया और सरकार द्वारा इसे लागू नहीं किया जा सका। अब 11 वर्ष बाद, आखिरकार हम एक विधेयक तैयार कर पाए हैं, जो मेरे विचार से भारत के ज्यादातर मुस्लिम समुदाय की सहमति का प्रतिनिधित्व करता है। ...आज वक्फ बोर्ड बहुत दयनीय स्थिति में हैं। उन पर कब्जा है और उनका गैर-कानूनी उपयोग हो रहा है और जिस समुदाय को इसका लाभ मिलना चाहिए, उसे वस्तुत: इनसे कोई लाभ नहीं हो रहा है।... मगर मैं इस विधेयककी तीन प्रमुख कमियों की ओर संकेत कर रहा हूं...। हम महसूस करते हैं कि सरकार इन तीनों पहलुओं के लिए उपचारात्मक उपाय ढूंढ़ लेगी।

मेरा पहला मुद्दा यह है कि कम से कम सार्वजनिक वक्फों से गैर-कानूनी, अवैधानिक और अहितकर कब्जों को खाली कराने के प्रयोजनों के लिए, इन्हें सार्वजनिक परिसर का दर्जा दिया जाना चाहिए। ...मैं जानता हूं कि इसमें कठिनाइयां हैं, इसीलिए यह एक मुद्दा अभी भी कार्य सूची में बाकी है।...

महोदय, इन वक्फ बोर्डों की कुछ परिसंपत्तियां राज्य सरकारों, केंद्रीय सरकार, अर्द्ध-सरकारी निकायों और यदा-कदा सरकार से संबंधित या अधीनस्थ कार्यालयों के कब्जे के अधीन होती हैं। मुझे पता है, प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों को अपने हस्ताक्षर से निजी स्तर पर एक परिपत्र भेजा था कि वे यह देखें कि विभिन्न राज्य प्राधिकरणों के कब्जे वाली वक्फ की परिसंपत्तियों को कम से कम खाली तो कराया जाए और यदि उन पर कोई निर्माण कार्य कराया गया है, तो उन्हें मुआवजा प्रदान किया जाए। दुर्भाग्यवश, उक्त निर्देश को लागू करने की किसी ने परवाह नहीं की और स्थिति ज्यादातर जैसी की तैसी ही है। मुझे विश्वास है कि माननीय मंत्री महोदय कम से कम स्वर्गीय प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के क्रियान्वयन की तरफ ध्यान देंगे।

महोदय, दूसरा मुद्दा वक्फों के संसाधनों के बारे में है, जिसकी हमें चिंता है। हम संसाधनों को अधिक से अधिक बढ़ाना चाहते हैं। ...कई राज्य सरकारों ने वक्फ परिसंपत्तियों को किराये से छूट दे दी है, जबकि कई राज्य सरकारों ने अभी ऐसा नहीं किया है। मैंने माननीय मंत्री महोदय को सुझाव दिया है कि इस मुद्दे पर कोई केंद्रीय निर्देश का केंद्रीय नियमन होना चाहिए। इन वक्फों के लिए संसाधन जुटाने का दूसरा तरीका यह है कि वक्फ परिसंपत्तियों के भू-भाग को कम से कम भूमि सुधार कानूनों से मुक्ति प्रदान की जाए। ...धार्मिक प्रकृति की वक्फ संपत्ति को अधिग्रहण कानून से छूट दी जानी चाहिए, इससे सभी की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।...

महोदय, मैं तीसरी बात सृजित किए गए साधनों के उपयोग के संबंध में कहना चाहता हूं। मुस्लिम समुदाय की मांग है कि वक्फ को समुदाय के शैक्षिक विकास और आर्थिक उद्धार के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए...। समस्या यह है कि अतिरिक्त साधनों का निश्चित प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने हेतु कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इस विधेयक की यह एक छोटी सी खामी है। ...अत: जरूरी संशोधनों की जरूरत है।...

मैं आशा व प्रार्थना करता हूं कि इस संबंध में माननीय मंत्री जी कोई ऐसा आश्वासन देंगे कि मेरे द्वारा उठाए गए पहलुओं पर आगे विचार किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर भविष्य में इस आशय के कुछ और संशोधन भी किए जा सकते हैं। मैं प्रसिद्ध कवि सौद की पंक्ति पेश करना चाहता हूं, ये तो नहीं कहता हूं कि सचमुच करो इंसाफ,/ झूठी भी तसल्ली हो, तो जीता तो रहूं मैं।

(लोकसभा में दिए गए उद्बोधन से)

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