आयकर सुधार
- नया आयकर अधिनियम 2025 स्वागतयोग्य है। आयकर एक ऐसा संवेदनशील विषय है, जिसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है और रहेगी। मध्य युग के बाद से ही आयकर या संपत्तिकर में सुधार का क्रम जारी है। एक समय था, जब हर नागरिक…
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नया आयकर अधिनियम 2025 स्वागतयोग्य है। आयकर एक ऐसा संवेदनशील विषय है, जिसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है और रहेगी। मध्य युग के बाद से ही आयकर या संपत्तिकर में सुधार का क्रम जारी है। एक समय था, जब हर नागरिक या हर परिवार से पूरी कड़ाई से कर या लगान की वसूली होती थी, लेकिन देश की आजादी के बाद आयकर कानून में समय-समय पर खूब सुधार हुए हैं। ताजा सुधार को भी इसी कड़ी में देखना चाहिए। आयकर की दुनिया में जिसे ‘सरल’ कहा जाता है, वह वास्तव में आम आदमी के लिए जटिल है। यदि हम नए अधिनियम के जरिये बची हुई जटिलता से आगे जरूरी सरलता की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह सुखद है। आयकर के मोर्चे पर अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। कर प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि कोई भी आदमी कर चुकाने के मामले में जमीनी और कागजी, दोनों ही स्तरों पर आत्मनिर्भर हो जाए।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए आयकर अधिनियम 2025 को लोकसभा में पेश कर दिया है और इसमें टैक्स फाइलिंग से जुड़ी कठिनाइयों को घटाने की कोशिश दिखती है। नए विधेयक को पुराने अधिनियम से छोटा किया गया है और नए अधिनियम में कम शब्दों में कर प्रक्रिया को यथोचित ढंग से समझाने की कोशिश हुई है। बेशक, कर कानून को सरल, पारदर्शी और करदाता के अनुकूल बनाना विकसित भारत के अनुकूल किया गया फैसला है। आम बजट के समय ही आयकर रियायत से पहले ही नया आयकर अधिनियम पेश करने की घोषणा हुई थी। यह अच्छी बात है कि ‘फाइनेंशियल ईयर’, ‘प्रीवियस ईयर’, ‘असेसमेंट ईयर’ जैसे शब्द के लिए अब केवल टैक्स ईयर शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। नए कानून के तहत रक्षा सेवा जैसे सेना, अर्द्धसैनिक बल और अन्य कर्मचारियों को मिले ग्रेच्युटी को कर से छूट दी जाएगी। चिकित्सा, आवास ऋण, पीएफ, उच्च शिक्षा के लिए ऋण पर कर राहत पहले की तरह ही जारी रहेगी। अनुमान के मुताबिक, यह आयकर अधिनियम अगर इस वर्ष पारित हो जाएगा, तो वर्ष 2026 से इसे लागू कर दिया जाएगा। अगर ऐसा हुआ, तो साल 2025 आयकर के मामले में एक ऐतिहासिक वर्ष होगा। इस वर्ष 12 लाख रुपये तक की कमाई को आयकर से आजादी मिली है। इस वर्ष हमारे देश ने एक तरह से यह मान लिया कि 12 लाख रुपये की कमाई सामान्य बात है और यहां से देश की एक नई विकास यात्रा शुरू होती है।
वैसे यह ध्यान रहना चाहिए कि आयकर का विषय हर देश में विवाद का विषय रहा है। आयकर को दोहरा और गैर-जरूरी कराधान मानने वाले अर्थशास्त्री भी कम नहीं हैं। यह माना जाता है कि एक नागरिक लगभग हर वस्तु और सेवा के लिए कर चुकाता है, तो फिर उससे आयकर वसूलने की जरूरत क्या है? यह एक विचार है, लेकिन आज के समय में जब सरकारों को आसान कर या राजस्व की जरूरत है, तब आयकर सबसे कारगर है। आय के स्रोत पर ही कर लगाने की यह आसान प्रक्रिया शासन-प्रशासन को भी मुफीद लगती है। पिछले वर्ष जब आयकर स्लैब में अपेक्षा के अनुरूप बदलाव नहीं किया गया था, तब सरकार की मजबूरी की भी चर्चा हुई थी। हालांकि, ऐसी मजबूरी के बावजूद इस साल सरकार ने त्याग का परिचय दिया है और इसके लिए उसकी तारीफ भी हो रही है। उम्मीद करनी चाहिए कि आने वाले समय में कर के मोर्चे पर तारीफ का यह क्रम जारी रहेगा।
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