ज्योतिष हमेशा शास्त्र ही रहेगा
- पिछले दिनों ‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित एक आलेख में इस सवाल का जवाब ढूंढ़ा गया था कि ज्योतिष सेवा है या कारोबार? मेरा मानना है कि ज्योतिष हजारों साल पुराना शास्त्र है। हमारे ऋषि-मुनियों ने बहुत तपस्या के बाद ग्रहों और नक्षत्रों के बारे में…
पिछले दिनों ‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित एक आलेख में इस सवाल का जवाब ढूंढ़ा गया था कि ज्योतिष सेवा है या कारोबार? मेरा मानना है कि ज्योतिष हजारों साल पुराना शास्त्र है। हमारे ऋषि-मुनियों ने बहुत तपस्या के बाद ग्रहों और नक्षत्रों के बारे में उस समय ज्ञान प्राप्त किया था, जब उनके पास आकाश के अध्ययन के लिए पर्याप्त साधन एवं यंत्र नहीं थे। इन ग्रहों और नक्षत्रों का मनुष्यों पर होने वाले प्रभाव को ही ज्योतिष के सूत्रों के रूप में स्थापित किया गया। ज्योतिष को वेदों की आंख माना जाता है। आचार्य भास्कराचार्य ने स्वग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि में लिखा है- वेदस्य निर्मलं चक्षु: ज्योतिषशास्त्रमकल्मषम, यानी ज्योतिष वेद का निर्मल चक्षु है, जो दोष रहित है। हजारों साल पहले रचित ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष के सूत्रों पर बहुत शोध हुए हैं और ज्योतिष आचार्यों ने उनमें आवश्यक संशोधन व उनका विस्तार भी किया है। ज्योतिष को एक दैविक विद्या भी कहा जा सकता है। महर्षि पाराशर ने अपने ग्रंथ बृहत् पाराशर होरा शास्त्र में ज्योतिषीय सूत्रों का विस्तार से उल्लेख किया है।
देखा जाए, तो ज्योतिष शास्त्र मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सहयोगी और कल्याणकारी है। यह मानव के जीवन से लेकर मृत्युपर्यंत उसके साथ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। विश्व के सभी कार्य कालाधीन हैं। ज्योतिष शास्त्र काल नियामक होने के कारण मानव जीवन के लिए सहायक एवं उपयोगी माना जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि जिस ज्योतिषी पर भगवान का आशीर्वाद नहीं होता, उसकी बातें सटीक एवं सत्य सिद्ध नहीं होतीं। एक कुंडली को पढ़ने के लिए कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की जन्मकालीन स्थिति, गोचर स्थिति, दशा, अंतर-दशा, वर्ग कुंडली, वर्ष कुंडली और बहुत से सूत्रों का ध्यान रखना होता है, जिसमें काफी समय जाया होता है। आचार्य वराहमिहिर ने अपने ग्रंथ बृहत् संहिता के सांवत्सरसूत्राध्याय: में ज्योतिषी के गुणों के बारे में विस्तार से बताया है। एक ज्योतिषी को ज्योतिष के ग्रंथों का भली-भांति अध्ययन करना चाहिए, जिनमें बृहत् पाराशर होरा शास्त्रम्, लघु पाराशरी, फल दीपिका, बृहत् जातक, बृहत् संहिता और मानसागरी प्रमुख हैं। इसके अलावा भविष्यवाणी करने से पहले देश, काल एवं पात्र का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।
ऐसे में, मेरी समझ से परे है कि इंटरनेट पर उपलब्ध कथित ज्योतिषी दो मिनट या कुछ ही पल में कैसे कुंडली का अध्ययन कर लेते हैं? दरअसल, इन्होंने ही ज्योतिष शास्त्र को व्यापार बना दिया है। मगर ऐसे चंद लोगों की वजह से पूरे ज्योतिष शास्त्र पर सवाल उठाना गलत है। इससे हमें बचना चाहिए।
विनोद शर्मा, ज्योतिष आचार्य
अब यह कारोबार ज्यादा बन गया
कहते हैं, नियति आप नहीं बदल सकते। यानी, जिसके भाग्य में जो बदा है, उसके साथ वह होकर रहता है। जब आप इस मत में विश्वास करते हैं, तो फिर ज्योतिष का कोई अर्थ नहीं रह जाता। वैसे भी, ज्योतिष कारोबार ही ज्यादा है। चूंकि इंसानों का यह मनोविज्ञान होता है कि वह अपना भविष्य जानने को इच्छुक रहता है और यह पता करना चाहता है कि उसके जीवन में कुछ बुरा तो नहीं होने वाला? इसी आशंका का फायदा ज्योतिषी लोग उठाते हैं और अच्छे-खासे पैसे लेकर कथित भविष्य बांचने का दावा करते हैं।
वास्तव में, ऐसे लोग अब शायद ही होंगे, जिन्होंने ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन किया होगा। इसमें एक से बढ़कर एक ग्रंथ हैं, लेकिन आजकल के कथित ज्योतिषाचार्य एक-दो किताबें पढ़कर खुद को सबसे बड़े ज्योतिषी के रूप में पेश करने लगते हैं। पहले के दिनों में ज्योतिष विद्या का इस्तेमाल सद्कर्मों में होता था, यानी देश और समाज के हित में इसका इस्तेमाल होता था, लेकिन अब तो सब कुछ पर बाजार हावी है। ज्योतिष विद्या भी बाजार के हवाले है और ऐसे-ऐसे गुरु बाजार में मौजूद हैं, जिनको खुद भले ही यह विद्या न आती हो, लेकिन वे दूसरों को ज्योतिषाचार्य बनाने का सर्टिफिकेट जरूर बांटते हैं। आप बाजार में निकल जाइए, आपको पता चलेगा कि कैसे यू-ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम या पॉडकास्ट पर पैसे देकर इंटरव्यू करवाकर भ्रामक प्रचार किया जाता है और एप डाउनलोड करने या फॉलोअर बनने पर विशेष सुविधा देने की बात कही जाती है। जबकि, ऐसे कथित ज्योतिषियों को अगर हाथ की लिखी कुंडली पकड़ा दी जाए, तो न वे उसकी भाषा पढ़ पाएंगे और न उचित गणना कर सकेंगे। अब तो अपनी कुंडली जानने के लिए आपको किसी ज्योतिषी की भी जरूरत नहीं होती। बस सॉफ्टवेयर डाउनलोड कीजिए और बन जाइए ज्योतिषाचार्य। दुर्भाग्य से, ऐसे लोग ही अब ज्योतिषी माने जाते हैं। ग्रह-नक्षत्रों की असल गणना करने वाली बिरादरी या तो लुप्त हो चुकी है या शांत हो चुकी है।
बहरहाल, यहां मेरा मतलब ज्योतिष शास्त्र पर सवाल उठाना नहीं है, लेकिन आज के जो हालात हैं, उनमें इस पर विश्वास करने का कोई मतलब नहीं है। यह अब विशुद्ध रूप से कारोबार बन चुका है, जिसमें आप जितना पैसा झोंकते हैं, उतना तमाशा देखते हैं। आलम यह है कि कोई भी कथित ज्योतिषाचार्य बिना पैसे लिए आपकी कुंडली नहीं देखता और कुंडली देखने के बाद आपके भविष्य को लेकर कुछ न कुछ ऐसा जरूर बोल देगा कि आप समस्या के समाधान के लिए तत्पर हो उठेंगे। आपमें पैदा होने वाला यही डर इस धंधे को सजाता-संवारता है।
दीपक, टिप्पणीकार
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