Hindi Newsबिहार न्यूज़What is Vaishali Cooperative Bank Scam in which case ED is raiding RJD leader Lalu Yadav associate Alok Mehta

क्या है करोड़ों का बैंक घोटाला, जिसमें ED लालू यादव के करीबी आलोक मेहता तक पहुंची

  • आलोक मेहता के पिता तुलसी दास मेहता ने एक कोऑपरेटिव बैंक खोला था जिसमें लगभग 85 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। नियमों को ताक पर रखककर मेहता से जुड़े लोगों को पैसे देने और गबन का आरोप है।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, पटनाFri, 10 Jan 2025 11:06 AM
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वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक में करीब 85 करोड़ के घपले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम राष्ट्रीय जनता दल के बड़े नेता और लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव के करीबी आलोक मेहता के घर समेत चार राज्यों में 19 ठिकानों पर शुक्रवार की सुबह-सुबह छापा मार रही है। जून 2023 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक के ग्राहकों की शिकायत पर शुरुआती जांच में गड़बड़ी को देखते हुए इस बैंक के लेन-देन पर रोक लगा दी थी। इस मामले में हाजीपुर में तीन प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसी केस के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला पकड़ा और उसकी जांच के सिलसिले में पटना और हाजीपुर में 9, कोलकाता में 5, वाराणसी में 4 और दिल्ली में 1 ठिकाने पर रेड चल रही है। आलोक मेहता बिहार सरकार में मंत्री और लोकसभा के सांसद रह चुके हैं।

वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना आलोक मेहता के पिता तुलसीदास मेहता ने लगभग 37 साल पहले की थी। तुलसीदास मेहता कई बार विधायक और राज्य सरकार में मंत्री भी रहे थे। उनकी राजनीतिक रसूख के कारण बैंक बना और इससे हजारों लोग जुड़ भी गए। तुलसी का 2019 में निधन हो गया था। आलोक मेहता ने उनके बाद बैंक की बागडोर संभाली थी। बाद में घपले की बात खुलने पर वो बैंक से हट गए। अब उनके भतीजे संजीव कुमार बैंक के चेयरमैन हैं। बैंक की साइट पर संजीव के मैसेज में 2021-22 के एजीएम में पेश रिपोर्ट है। इसमें पिछले पांच वित्तीय वर्ष में बैंक का शुद्भ मुनाफा चार साल 1 करोड़ से ऊपर दिखाया गया है।

राजद नेता आलोक मेहता के घर ED की रेड, बैंक घोटाला केस में 4 राज्यों के 19 ठिकानों पर तलाशी

बैंक के पास लगभग 24 हजार ग्राहक हैं जो 2023 के नवंबर में घपले की बात सामने आने के बाद जुटकर आलोक मेहता के व्यापारिक ठिकानों पर गए और वहां ताला मार दिया था। ग्राहक अपने पैसे वापस मांग रहे थे। बैंक पर आरोप है कि लिच्छवी कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड और महुआ कोऑपरेटिव कोल्ड स्टोरेज को लगभग 60 करोड़ का लोन दबा लिया। ये दोनों कंपनियां मेहता के परिवार से जुड़ी हैं और इन्हें कर्ज देने में नियमों का पालन नहीं किया गया। इनके अलावा लगभग 30 करोड़ रुपए फर्जी पहचान पत्र और फर्जी एलआईसी पेपर के आधार पर निकालने का आरोप भी लगा है। इन सब मामलों को लेकर तीन मुकदमे दर्ज हुए थे और उसकी जांच के आधार पर ही ईडी अब इस मामले में घुसी है। ईडी की जांच में 383 ऐसे कर्ज का पता चला है जिसमें फर्जी और गलत कागज पर लोन दिया गया।

सहकारी बैंकों को व्यवसाय का दायरा बढ़ाने की है जरूरत: आलोक मेहता

1996 में आरबीआई ने वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक को लाइसेंस दिया था। उस समय आलोक मेहता ही बैंक के चेयरमैन थे जो 1995 में अपने पिता तुलसी दास मेहता की जगह ले चुके थे। 2012 में आलोक मेहता ने चेयरमैन का पद छोड़ दिया और तुलसी दास मेहता फिर से अध्यक्ष बने थे। तीन साल बाद बैंक के कारोबार में कुछ गड़बड़ी की शिकायत पर 2015 में तुलसी दास ने पद छोड़ दिया और फिर संजीव कुमार चेयरमैन बने। सूत्रों का कहना है कि उस समय भी बैंक का कारोबार आरबीआई ने बंद करवा दिया था।

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