Hindi Newsबिहार न्यूज़Nitish minister Alok Mehta clarified on the statement of ten percent said it was distorted never spoke on caste

'दस फीसदी' वाले बयान पर नीतीश के मंत्री आलोक मेहता की सफाई, कहा- तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, जाति पर कभी नहीं बोला

दस फीसदी वाले को अंग्रेजों का दलाल बताने वाले बिहार के मंत्री आलोक मेहता ने अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होने कहा कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। जाति पर उन्होने कभी नहीं बोला।

Sandeep अनिरबन गुहा रॉय, पटनाSun, 22 Jan 2023 07:04 PM
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बिहार के राजस्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कथित तौर पर यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था। कि जो लोग 10% आबादी के रूप में गिने जाते हैं, वो मंदिरों में घंटी बजाते थे और अंग्रेजों के एजेंट थे। रिपोर्ट के मुताबिक ये उच्च जातियों के लिए कहा गया था। हालांकि रविवार को मेहता ने पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट किया कि उनके बयान को गलत तरीके और तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। मेहता ने कहा कि मैंने किसी जाति के संदर्भ में बयान नहीं दिया। मेरे कहने का मतलब यह है कि हमेशा 90% आबादी जो उत्पीड़ित है और 10% आबादी जो उन पर शासन करती है, उसके बीच हमेशा लड़ाई होती रही है। पूर्व में आजादी के समय, 10% आबादी ब्रिटिश थी जबकि 90% आबादी मूल निवासी थी। उन्होंने अपने बयान पर सफाई देने के लिए एक वीडियो भी जारी किया।

जगदेव बाबू  के विचार व्यक्त किए 
राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि अनुभवी समाजवादी नेता शहीद जगदेव प्रसाद हमेशा कहा करते थे। कि 100% आबादी में से 90% पर अत्याचार किया जाता है। 90% से अधिक 10% के शासन की अनुमति नहीं दी जाएगी, और वह सिर्फ जगदेव प्रसाद के विचारों को व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा, 90% आबादी की संरचना बदलती रहती है, और ऐसा ही 10% की है। मैंने जाति पर कभी कोई बयान नहीं दिया है।

मंत्री आलोक मेहता ने भागलपुर में दिया था बयान
विवाद तब शुरू हुआ जब राजद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी और पूर्व सांसद मेहता भागलपुर में समाजवादी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री जगदेव प्रसाद की जयंती मनाने की तैयारी से संबंधित एक राजनीतिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मीडिया में आई खबरों में कहा गया है, कि मंत्री ने कथित रूप से अनारक्षित श्रेणियों से उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 10% कोटा पर निशाना साधा है। जिसमें कहा गया कि 10% आबादी को ईडब्ल्यूएस कहा जाता है। यह दलितों और कमजोर वर्गों के लिए अच्छा नहीं है। साथ ही  रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े और कमजोर वर्गों का कोटा खतरे में है। मेहता ने कथित तौर पर कहा, कि अंग्रेजों ने 10% आबादी को बड़ी जमीन दी, जो बाकी लोगों पर अत्याचार करती रही। 

सीएम योगी के संदर्भ में कही बात
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस ग्रंथ को 'मनुस्मृति' और एमएस गोलवलकर की 'बंच' की तरह ही नफरत फैलाने वाला बताया था। और अब मंत्री आलोक मेहता के बयान ने राज्य में एक बार फिर सियासी गर्मी बढ़ा दी है। वहीं पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि राजद नेताओं के बयान पिछड़े वर्गों और कमजोर वर्गों के बीच वोट आधार को मजबूत करने के लिए पार्टी के सामाजिक न्याय एजेंडे के अनुरूप हैं। संयोग से, राजस्व मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि 'मंदिरों में घंटी बजाने वालों' से संबंधित उनके बयान को भी तोड़ा-मरोड़ा गया था। क्योंकि उन्होंने इसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संदर्भ में कहा था। वह पहले एक मंदिर में महंत थे, और घंटियां बजाते थे। अब, वह सत्ता में हैं और दूसरों से घंटी बजाने के लिए कह रहे हैं।

वहीं बीजेपी मेहता के इस बयान पर आक्रामक रूख अपनाए हुए हैं। बिहार विधान परिषद  के नेता विपक्ष सम्राट चौधरी ने राजस्व मंत्री के इस बयान पर कहा कि राजद सामाजिक तनाव पैदा करना चाहता है और बिहार में जाति के आधार पर समाज को विभाजित करना चाहता है। 

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