पछुआ हवाओं ने बिगाड़ी मॉनसून की हालत; बिहार में अबतक 25% कम बारिश, नदियां लबालब, सूखे खेत
बिहार में पछुआ हवाओं के चलते मॉनसून बिगड़ा हुआ है। जिसके चलते अबतक 25 फीसदी कम बारिश हुई है। पड़ोसी राज्यों से आ रहे पानी के चलते नदियां तो लबालब हैं, लेकिन खेत सूखे पड़े हैं। जिसके चलते किसानों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार में नदियां लबालब हैं और खेत सूखे हैं। मानसून के पूर्वानुमान गलत साबित हो रहे हैं। मानसून कमजोर पड़ चुका है। इस कारण अबतक 25 प्रतिशत बारिश कम हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मजबूत पछुआ ने मानसून की तबीयत बिगाड़ दी है। जिस कारण राज्य में पिछले दो-तीन वर्षों से अच्छी बारिश नहीं हो रही है। वहीं बिहार के पड़ोसी राज्यों झारखंड, पश्चिम बंगाल में जमकर बारिश हो रही है। आसपास के क्षेत्रों में बारिश होने के कारण नदियां लबालब है, लेकिन खेत सूखे पड़े हैं। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार प्रदेश में तीन प्रमुख कारण से मानसून की अच्छी बारिश नहीं हो रही है।
मानसून का ट्रफ अपने सामान्य पोजिशन से दक्षिण की तरफ शिफ्ट कर गया है। इसी कारण मध्य भारत में बारिश हो रही है। पछुआ हवा के मजबूत होने और बंगाल की खाड़ी में बन रहा सिस्टम बिहार के ऊपर ना होकर मध्य भारत के ऊपर से पार करने से भी बिहार से बारिश रूठ रहा है।
206 नदियों का पानी आने से बाढ़ जैसी स्थिति
जल विशेषज्ञों ने बताया कि पड़ोसी राज्यों और अन्य क्षेत्रों के 206 छोटी-बड़ी नदियों से बिहार में पानी आता है। इसी कारण बारिश नहीं होने के बावजूद यहां की नदियां लबालब भर जाती हैं। इससे उत्तर बिहार में बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है। वहीं उत्तर और दक्षिण बिहार में इन नदियों से मात्र 500 मीटर की दूरी पर लोगों को सूखा का सामना करना पड़ रहा है। दक्षिण बिहार के कई जिले में पानी की कमी से किसानों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है।
वरीय मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर ने बताया कि बिहार और आसपास के राज्यों में पिछले कुछ वर्षों से मानसून के निम्न दाब, विचलन, वेल मार्क लो जैसी प्राकृतिक प्रणाली से बारिश हो रही है। जब इनकी दिशाएं मानसून के मुख्य क्षेत्र में होती है तो यह ओडिशा और पश्चिम बंगाल से गुजरते हुए झारखंड की ओर जाती हैं। वहां से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश होते हुए राजस्थान और गुजरात की ओर घूम जा रहे हैं।
इससे इन क्षेत्रों में अधिक बारिश होती है। कुछ प्रणाली झारखंड के उत्तरी भाग से होकर जाती है। इसके प्रभाव से दक्षिण बिहार कुछ जिलों में लगभग सामान्य बारिश होती है। निम्न दाब और विचलन मानसून ट्रफ को अपनी ओर खींच लेता है। इस बार निम्नदाब का क्षेत्र बिहार से दूर रहा। बिहार में जितना ज्यादा मानसून ट्रफ रहेगा, उतनी अच्छी बारिश होगी।
मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार ने कहा कि बिहार में बारिश मानसून के ट्रफ लाइन की अवस्थिति पर निर्भर करता है। मानसून अपने सामान्य लाइन से जब उत्तर में रहता है तो बिहार में अच्छी बारिश होती है। जब सामान्य पोजिशन दक्षिण की तरफ होती है तब मध्य और पश्चिम भारत में बारिश होगी। गुजरात, महाराष्ट्र मध्यप्रदेश में इस बार ज्यादा बारिश के यही कारण हैं। पिछले दो-तीन वर्षों से अधिकतर समय दक्षिण की तरफ ही स्थित है। यही कारण है कि बिहार में पिछले दो-तीन वर्षों से बारिश कम हो रही है।
जल विशेषज्ञ दिनेश मिश्रा ने बताया कि बिहार में पड़ोसी राज्यों एवं अन्य जगहों के 206 छोटी-बड़ी नदियों से पानी आती है। जिस कारण बिहार में अच्छी बारिश नहीं होने पर भी आसपास के राज्यों में बारिश होने पर नदियों से पानी आती है। बिहार में कोसी और गंडक में बैराज बने हुए हैं। जहां दो बड़े नदियों के पानी को कंट्रोल किया जाता है। इसका कंट्रोल राज्य सरकार के पास है। लेकिन अन्य नदियों से आने वाली पानी जहां-तहां फैल जाती है। जिस कारण बाढ़ जैसी स्थिति बनती है। इनमें मुख्य रूप से नेपाल, हिमालय की तराई, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड बंगाल से पानी आती है। इन पानी को अन्य जगहों पर विस्तार करने के लिए हमारे पास कोई योजना नहीं है
इन नदियों के जलस्तर में है बढ़ोतरी
गंगा के अलावा पुनपुन, गंडक, कोसी, बूढ़ी गंडक, बागमती, अधवारा, घाघरा नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इनके जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गयी है।