बिहार से विदेश गए थे कमाने, बन गए साइबर गुलाम; गृह मंत्रालय की खुफिया रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा
- दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से सीमांचल के सात लोग को साइबर अपराधियों ने अपने चंगुल में फंसा लिया है। वहीं बैठे-बैठे इन लोगों से भारत में साइबर क्राइम कराया जा रहा है। गृह मंत्रालय की खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से सीमांचल के सात लोग को साइबर अपराधियों ने अपने चंगुल में फंसा लिया है। वहीं बैठे-बैठे इन लोगों से भारत में साइबर क्राइम कराया जा रहा है। गृह मंत्रालय की खुफिया रिपोर्ट के बाद बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने सभी जिलों के एसपी को पत्र भेजकर ऐसे लोगों का सत्यापन करने का निर्देश दिया है, जो 2022 के बाद दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों कंबोडिया, म्यांमार, लाओस, थाइलैंड, वियतनाम में रोजगार या घूमने के लिए गए थे।
जानकारी के अनुसार इनमें किशनगंज के छह व पूर्णिया के एक शख्स को साइबर गुलाम बनाए जाने की आशंका जतायी गई है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरी का झांसा देकर और पासपोर्ट जब्त कर जबरन इन लोगों से बिहार सहित भारत के कई इलाके में साइबर क्राइम कराया जा रहा है। गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले आप्रवासन ब्यूरो (बीओआइ) के तैयार किए गए एक डेटा से यह जानकारी मिली है। किशनगंज के एसपी सागर कुमार ने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में गए किशनगंज के छह लोगों के साइबर गुलाम बनने की आशंका को देखते हुए ईओयू के एडीजी के निर्देशानुसार सत्यापन शुरू कर दिया गया है।
वित्तीय सलाह देकर ठगने वालों पर शिकंजा कसेगा
बाजार नियामक सेबी ने वित्तीय सलाह के नाम पर निवेशकों से धोखाधड़ी करने वाले लोगों पर सख्ती करने की तैयारी की है। इसके लिए सेबी ने सरकार से ऐसे ठगों के व्हाट्सअप और टेलीग्राम के चैट तथा कॉल रिकॉर्ड खंगालने की अनुमति देने की मंजूरी मांगी है। इसका मकसद ऐसे लोगों पर निगरानी बढ़ाना है।
बताया जा रहा है कि सेबी ने सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि सोशल मीडिया चैनलों पर किसी भी संदेश, सूचना, लिंक और समूहों को हटाने की शक्ति सेबी के पास होनी चाहिए ताकि नियमों के खिलाफ सामग्री वाले समूहों पर कार्रवाई की जा सके। अभी सोशल मीडिया मंच सेबी को जांच में सहयोग नहीं करते हैं। उनका कहना है कि मौजूदा आईटी कानून के तहत सेबी इसके लिए अधिकृत एजेंसी नहीं है।
क्यों पड़ी जरूरत
व्हाट्सएप ग्रुप और टेलीग्राम चैनल अनधिकृत वित्तीय सलाह का गढ़ बन गए हैं। बहुत से निवेशक भी इनके झांसे में आ रहे हैं। इसके अलावा ऐसे समूहों की वजह से बाजार की निष्पक्षता को भी खतरा पैदा होता है, क्योंकि वित्तीय रूप से प्रभावशाली लोग पैसे के बदले में यहां विशिष्ट शेयरों पर ट्रेडिंग टिप्स साझा करते हैं।