Hindi Newsबिहार न्यूज़Teachers union opposes new transfer policy of Bihar government said discrimination to male teacher

बिहार सरकार की नई तबादला नीति के विरोध में आया शिक्षक संघ, कहा- पुरुष टीचर से भेदभाव क्यों

बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने नई तबादला नीति का विरोध करते हुए इसे पुरुष शिक्षकों से भेदभाव वाली पॉलिसी बताया है। संघ ने कहा कि इसमें सक्षमता परीक्षा पास करने वाले नियोजित शिक्षकों को भी प्रताड़ित करने वाली नियमावली है।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, अररियाWed, 6 Nov 2024 03:40 PM
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बिहार सरकार द्वारा शिक्षकों के लिए लाई गई नई तबादला नीति का विरोध शुरू हो गया है। बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने इसे शिक्षकों को प्रताड़ित करने की साजिश करार दिया है। संघ के अररिया जिलाध्यक्ष मोहम्मद जाफर रहमानी ने कहा कि इस नई नीति में सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों को जो जिला आवंटित किया गया है, उसी में उनका स्थानांतरण करना चाहिए। मगर सरकार ने खासकर पुरुष शिक्षकों को नए पदस्थापन के लिए गृह अनुमंडल एवं पदस्थापित अनुमंडल को छोड़कर अन्य दस अनुमंडलों का विकल्प मांगा है। यह सभी पुरुष शिक्षकों को घर परिवार, बूढ़े एवं बीमार माता-पिता से बहुत दूर दूसरे ज़िला एवं दूसरे प्रमंडल पदस्थापित करने की साजिश है। सरकार पुरुष शिक्षकों एवं उनके बूढ़े माता पिता को सजा देना चाहती है।

उन्होंने कहा कि नई नियमावली में माता-पिता की बीमारी को आधार नहीं बनाया गया है। सरकार को लिंग के आधार पर असंवैधानिक भेदभाव के बजाए महिला शिक्षिकाओं के समान ही पुरुष शिक्षकों को भी अपने गृह पंचायत को छोड़कर पड़ोस के पंचायत में पदस्थापन की नीति लानी चाहिए। ताकि सभी शिक्षक चिंतामुक्त एवं तनावमुक्त होकर विद्यालय में बेहतर ढंग से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें। महिलाओं एवं असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षकों से 10 विद्यालय का विकल्प लेने के बजाए 10 पंचायत का विकल्प लेने से ये लोग भी अपने घर अथवा नैहर/ससुराल से दूर हो जाएंगे। उन्हें भी मनचाही जगह मिलने की गारंटी नहीं है।

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शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रहमानी ने कहा कि सरकार की गलत मंशा को भांप कर अधिकांश सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षक स्थानांतरण नहीं चाहते हैं बल्कि नियोजित शिक्षक ही बने रहना चाहते हैं। लेकिन सरकार ऐसे सभी शिक्षकों को बलपूर्वक हटाने की नीति लाई है। यह अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक एवं अव्यवहारिक कार्रवाई है। उच्च न्यायालय पटना ने शिक्षक को अपने पूर्व की सेवा में बने रहने का स्वैच्छिक अधिकार दिया है। सरकार उच्च न्यायालय का अवहेलना करने पर भी तुली हुई है। अध्यक्ष ने मांग की है कि राज्य सरकार दोषपूर्ण स्थानांतरण नीति के बदले स्वैच्छिक स्थानांतरण नीति लाए। ताकि सभी कोटि के शिक्षकों को एक साथ सुविधायुक्त स्थानांतरण व पदस्थापन हो सके। स्थानांतरण चाहनेवाले शिक्षकों से ही आवेदन लिया जाए। स्थानांतरण नहीं चाहने वाले शिक्षकों को आवेदन देने हेतु बाध्य नहीं किया जाए।

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