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बिहार के बच्चे सबसे ज्यादा खेल रहे ऑनलाइन गेम, कई गलत संगत में पड़े तो 48 फीसदी कर्ज में डूबे; सर्वे में दावा

दो लाख बच्चों में एक लाख 79 हजार बच्चे नियमित हर दिन सात से आठ घंटे ऑनलाइन गेम खेलते हैं। अधिकतर बच्चे इसके लिए रात का समय चुनते हैं जब उन्हें कोई परेशान ना करे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस रिपोर्ट को सभी राज्य बाल संरक्षण आयोग को भेजा है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, पटना, रिंकू झाSun, 22 Sep 2024 05:20 AM
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ऑनलाइन गेम खेलने में बिहार देश भर में पहले स्थान पर है। राज्य के 78.65 फीसदी किशोर ऑनलाइन गेम खेलते हैं, इसमें सबसे ज्यादा सात साल से 17 साल आयुवर्ग के बच्चे शामिल हैं। ये बच्चे 24 घंटे में सात से आठ घंटे इसमें समय बिताते हैं। ये बातें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक सर्वे रिपोर्ट से निकली है। यह सर्वे जुलाई से अगस्त 2024 में किया गया है। देश भर में दूसरे स्थान पर उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य हैं। इन दोनों ही राज्यों के 75 फीसदी बच्चे ऑनलाइन गेम खेलते हैं।

बता दें कि आयोग ने राज्य के दो लाख बच्चों पर यह सर्वे किया। बच्चों से प्रश्नोत्तरी भरवायी गयी, जिसमें बच्चों ने खुलकर अपनी बातें रखीं। दो लाख बच्चों में एक लाख 79 हजार बच्चे नियमित हर दिन सात से आठ घंटे ऑनलाइन गेम खेलते हैं। अधिकतर बच्चे इसके लिए रात का समय चुनते हैं जब उन्हें कोई परेशान ना करे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस रिपोर्ट को सभी राज्य बाल संरक्षण आयोग को भेजा है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें

● गेम में असफलता के कारण 50 बच्चे रहते हैं तनाव में

● लगातार बैठने से कमर, सिर और कंधा दर्द की होती है समस्या

● लत से गलत संगत में ले जा रहे

● 60 से अधिक बच्चे अभिभावकों के हजारों रुपये कर चुके हैं बर्बाद

● सहपाठी से कर्ज लेकर 45 से अधिक किशोर डूब चुके हैं कर्ज में

गेम की लत से छूट रही पढ़ाई, कर्ज में डूब रहे किशोर

ऑनलाइन गेम में समय का पता नहीं चलता है। ऐसे में 20 फीसदी ऐसे बच्चे हैं, जिनकी कई बार स्कूल की परीक्षा तक छूट गई। वहीं 48 फीसदी से अधिक बच्चे हैं जो कर्ज में डूब चुके हैं। वह अपने सहपाठी आदि से कर्ज लेकर गेम खेलते हैं। ऐसे बच्चे कई बार गलत संगत में फंस चुके हैं। गेम के लत के कारण 45 फीसदी से अधिक बच्चे सिर्फ एक साल में काउंसलर के पास पहुंच चुके हैं। जब अभिभावकों को पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी रहती है और फिर अभिभावक उन्हें काउंसलर के पास लेकर जाते हैं।

ये गेम को बताया गया है खतरनाक

ब्लू व्हेल चुनौती, चोकिंग गेम, गैलर चुनौती, दालचीनी चुनौती, टाइड पॉड चुनौती, अग्नि परी, मरियम का खेल, पांच उंगली पट्टिका, काटने की चुनौती, नमक और बर्फ चुनौती, चार्ली चार्ली आदि। इधर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, डॉ. बिंदा सिंह ने कहा कि शुरुआती दौर में लालच देकर बच्चों को फंसा जाता है। आदत लगने से दिमाग में एक नये तरह के हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो बार-बार गेम खेलने के लिए विवश करता है।

ये सावधानी बरतें

● इंटरनेट से बच्चे को रखें दूर

● खतरनाक ऑनलाइन गेम की होनी चाहिए जानकारी

● आउटडोर गेम के प्रति बच्चे को करें उत्साहित

● बिना जरूरत के इंटरनेट इस्तेमाल नहीं करने दें

● ऑनलाइन गेम के नुकसान के बारे में बताएं

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