आठ साल कानूनी लड़ाई के बाद मिली कामयाबी
आठ साल की कानूनी लड़ाई के बाद नगर निकाय कर्मियों को सातवें वेतनमान देने की सहमति कैबिनेट ने दी है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। कोर्ट ने पहले आदेश दिया था, पर अनुपालन...
आठ साल कानूनी लड़ाई के बाद मिली कामयाबी सुपौल, हिन्दुस्तान संवाददाता। आठ साल के संघर्ष के बाद नगर निकाय कर्मियों को सातवें वेतन देने की सहमति पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। 21 अगस्त को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मुहर लगने पर निकाय कर्मियों में हर्ष है।
बिहार लोकल बॉडिल इम्पलाईज फेडरेशन के प्रदेश संगठन सचिव मो. असजद आलम ने कहा कि इसके लिए आठ साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। तब जाकर 22 अगस्त को सरकार ने सातवें वेतन देने के प्रस्ताव पर सहमति दी।
संगठन मंत्री ने बताया कि इसके लिए फेडरेशन की तफ से हाईकोर्ट में याचिका 3596/21 दायर की गई थी। कोर्ट ने 31 जनवरी 2022 को आदेश जारी किया। इसमें निकाय कर्मियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समतुल्य सारी सुविधा चार माह के अंदर प्रदान करने का आदेश लागू करने को कहा था। लेकिन इसका लाभ नहीं मिला तो उन्होंने फेडरेशन की तरफ से हाईकोर्ट में अवमाननावाद 3564/23 दायर किया। इसके बाद कोर्ट ने 1 अप्रैल 2024 को कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं होने पर विभाग पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को 23 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट में उपस्थित होने का आदेश भी दिया है। संगठन मंत्री की मानें तो 19 अगस्त को ही उन्हें अर्थदंड की राशि भी प्रदान की गई। उधर, सातवां वेतनमान मिलने पर नगर निकाय कर्मियों ने खुशी जाहिर की है।
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