लालू यादव बरगद, राजबल्लभ दतुअन! पार्टी और परिवार की लड़ाई में RJD दो फाड़; 2 MLA पर लटकी तलवार
Lok Sabha Election: राजद ने इस बार नए जातीय समीकरण (MY के साथ लव-कुश भी) बिठाते हुए और राजबल्लभ परिवार की दो बार चुनावी हार को देखते हुए श्रवण कुशावहा को उम्मीदवार बनाया, जबकि राजबल्लभ यादव के छोटे भा
Nawada Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान है। इसलिए चुनावी प्रचार का शोर और जोड़-तोड़ का तिकड़म चरम पर पहुंच गया है। मतदाता भी करीब-करीब मन बना चुके हैं। इस बीच बिहार के नवादा लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। वहां विपक्षी दल राजद के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ राजद के ही दो विधायकों ने बगावत कर दी है और निर्दलीय उम्मीदवार के पक्ष में जमकर लामबंदी और गोलबंदी कर रहे हैं। पार्टी के नेता इससे नाराज हैं। संभव है कि चुनाव बाद दोनों विधायकों पर राजद कठोर कार्रवाई करे।
राजद का वोटर पशोपेश में क्यों?
दरअसल, राजद ने नवादा से श्रवण कुमार कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। कुशवाहा इससे पहले भाजपा में थे लेकिन दो साल पहले वह भाजपा छोड़कर राजद में आ गए थे। राजद में आने के बाद पार्टी ने उन्हें नवादा से एमएलसी चुनाव में प्रत्याशी बनाया था लेकिन निर्दलीय अशोक यादव विजयी हुए। उस वक्त राजद के कैडर वोटर्स का यादव को भरपूर समर्थन मिला था। अब वही वोटर एक बार फिर पशोपेश में है।
नवादा में रसूखदार रहा है राजबल्लभ परिवार
अशोक यादव नवादा के चर्चित राजनीतिक परिवार से हैं। वह पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव के भतीजे और भूतपूर्व विधायक कृष्णा प्रसाद के बेटे हैं। उनकी मां भी विधान पार्षद रह चुकी हैं। जिले की राजनीति में राजबल्लभ परिवार का अच्छा खासा वर्चस्व रहा है। वह हाल के कई वर्षों तक राजद के पर्याय बने रहे हैं। फिलहाल वह यौन दुष्कर्म मामले में जेल में हैं। उनकी पत्नी विभा देवी भी नवादा से राजद की विधायक हैं। विभा देवी ने 2019 में नवादा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गई थीं। उनसे पहले राजबल्लभ भी 2014 में लोकसभा चुनाव हार चुके हैं।
राजद के दो विधायक हुए बागी
ऐसे में राजद ने इस बार नए जातीय समीकरण (MY के साथ लव-कुश भी) बिठाते हुए और राजबल्लभ परिवार की दो बार चुनावी हार को देखते हुए श्रवण कुशावहा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि राजबल्लभ यादव के छोटे भाई विनोद यादव पार्टी से टिकट मिलने की आस लगाए हुए थे। वह टिकट मिलने तक राजद के प्रदेश महासचिव थे लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने राजद से इस्तीफा दे दिया। अब उनके समर्थन में उनकी भाभी और राजद विधायक विभा देवी खुलकर बैटिंग कर रही हैं।
उनके साथ जिले के दूसरे राजद विधायक प्रकाश वीर भी पार्टी रुख के खिलाफ जाकर निर्दलीय उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। प्रकाश वीर रजौली सुरक्षित सीट से राजद के विधायक हैं। तीसरे विधायक यानी अशोक यादव, जो निर्दलीय एमएलसी हैं,भी अपने चाचा के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इससे राजद का वोटर कन्फूयज हो गया है क्योंकि इनके समर्थक राजद के ही कैडर वोटर हैं।
लालू यादव बरगद, राजबल्लभ दतुअन कैसे?
हालांकि, राजद के प्रदेश महासचिव और नवादा लोकसभा क्षेत्र के चुनाव अभियान प्रभारी इंजीनियर कृष्ण बल्लभ प्रसाद का कहना है कि पार्टी के दो विधायकों के बागी रुख के बावजूद राजद कै कैडर वोटर भ्रमित नहीं है। उन्होंने कहा कि लालू यादव बरगद हैं, जबकि राजबल्लभ दतुअन हैं। दतुअन कभी भी कहीं से तोड़कर लाया जा सकता है। लाइव हिन्दुस्तान. कॉम से बातचीत में केबी प्रसाद ने कहा कि पार्टी 12 अप्रैल तक बागियों का इंतजार करेगी। उसके बाद उनका राजनीतिक भविष्य तय किया जाएगा।
दरअसल, 12 अप्रैल को राजद अध्यक्ष लालू यादव और नेता विपक्ष तेजस्वी यादव की नवादा में रैली है। अगर ये विधायक पार्टी की रैली में मंच पर पहुंचते हैं, तब ये समझा जाएगा कि उन्होंने सरेंडर कर दिया है और राजद कैडर को साफ संदेश जाएगा कि पार्टी श्रवण कुशवाहा के पक्ष में एकजुट है लेकिन अगर वे मंच पर नहीं आए तो वहीं से उनके खिलाफ कठोर दंडात्मक कदम की शुरुआत हो जाएगी। केबी प्रसाद ने बताया कि तेजस्वी यादव ने साफ निर्देश दिया है कि पार्टी के नेता और पदाधिकारियों पर कड़ी नजर रखी जाए और उनके बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए कि कौन पार्टी के पक्ष में और कौन पार्टी के खिलाफ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदली हुई राजद है। अब यहां दगाबाजों के लिए माफीनामा नहीं दंड का प्रावधान है।
किस समुदाय से कितना समर्थन
जिले में लगभग 22.65 लाख मतदाता हैं। राजद प्रभारी को भरोसा है कि यादवों का 90 फीसदी वोट कुशवाहा को मिलेगा। उनके मुताबिक 10 फीसदी वोट राजबल्लभ परिवार काट सकता है, जिसका फायदा भाजपा को हो सकता है। उनके मुताबिक मुस्लिमों का 100 फीसदी, कुशवाहा का 100 फीसदी और कुर्मी जाति का 60 से 65 फीसदी वोट राजद उम्मीदवार को मिलेगा। इस बार के चुनाव में स्थानीयता भी एक बड़ा मुद्दा है।
भाजपा के विवेक ठाकुर की चुनौती
भाजपा ने भूमिहार समुदाय के विवेक ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। वह बाहरी हैं। 2009 से लगातार भाजपा यहां से जीतती रही है। पिछड़ी और अन्य अति पिछड़ी जातियों में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी फैक्टर भी बताया जा रहा है। कुल मिलाकर ये समुदाय इस बार चुनाव का निर्णायक फैक्टर साबित हो सकता है।