Hindi Newsबिहार न्यूज़Whatever speech we give we will vote only for Nitish otherwise Sudhakar Singh fear came to the fore

हम भाषण कुछ भी दें, वोट नीतीश को ही देंगे, नहीं तो..., सामने आया सुधाकर सिंह का डर

पूर्व मंत्री और आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम भाषण कुछ भी दें लेकिन वोट नीतीश कुमार को ही देंगे। नहीं तो सुबह तक हमारी सदस्यता चली जाएगी।

Sandeep हिन्दुस्तान, बक्सरThu, 12 Oct 2023 11:31 AM
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अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम भाषण कुछ भी दें अगर विधानसभा में वोट देना होगा तो किसको देंगे? सरकार के पक्ष में देंगे अगर नहीं देंगे तो सबेरे हमारी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। इस बयान से कयास लगा जा रहे हैं कि क्या सुधारक सिंह पर सख्ती की गई है। या फिर ये उनके अंदर का डर बोल रहा है।

हालांकि सुधाकर सिंह ने सीएम नीतीश पर तंज कसते हुए कहा हमारी स्थिति तो दूल्हे की डोली उठाने वाले कहार की तरह है। जैसे कहार बदलते रहते है, वैसे ही हमें बदल दिया गया। सुधाकर सिंह ने कहा कि राज्य में 18 सालों से एक आदमी की सरकार है। यहां के मुखिया इतने भारी-भरकम हैं। कि जिस डोली में दूल्हा बनकर जा रहे हैं। उसके कहार बदलते रहते हैं। इससे पहले भभुआ में किसानों को संबोधित करते हुए सुधाकर सिंह ने अजीबोगरीब बयान दिया था। जिसको लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी। 

आपको बता दें बक्सर के  चौसा पावर प्लांट में मुआवजे की मांग को लेकर किसान धरना पर बैठे हैं। जिसमें सुधाकर सिंह भी किसानों के समर्थन  पहुंचे थे। जहां वो नीतीश सरकार पर जमकर बरसे। वहीं किसानों के गेट पर दो दिनों के धरने से कंपनी को आठ से दस करोड़ रुपये की क्षति हुई है। बॉयलर लाइटअप का कार्य बंद हो गया है। इसके अलावा कंपनी के भीतर कोई भी कार्य दूसरा नहीं हो रहा हैं क्योंकि एक भी लेबर या कर्मी अंदर नहीं जा रहे हैं। कंपनी के कर्मियों का कहना है कि प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में मजदूरों का पलायन शुरु हो जायेगा जिससे प्लांट का कार्य अधर में लटक जायेगा। 

बता दें कि पावर प्लांट हेतु वाटर पाइप लाइन और रेलवे कोरिडोर के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के उचित मुआवजे सहित कई अन्य मांगों को लेकर पिछले साल 17 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना देने वाले किसानों के आंदोलन की वजह से समस्या बढ़ गई है। 360 दिनों से लगातार दिए जा रहे धरना के बावजूद अभी तक मांगों पर कंपनी और प्रशासन द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। आक्रोशित किसानों द्वारा प्लांट के गेट के सामने धरना शुरू किए जाने से प्लांट का काम पूरी तरह से ठप हो गया है।

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