पैसेंजर ट्रेन की जनरल बोगी में सफर, पैदल पहुंचे स्कूल; ACS सिद्धार्थ की सादगी से शिक्षक भी हैरान
शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ का अनोखा अंदाज देखने को मिला है। जब वो ट्रेन से आरा पहुंचे। और पैदल ही स्कूल पहुंच गए। और फिर निरीक्षण किया, उनकी ये सादगी देख शिक्षक भी हैरान रह गए।
बिहार शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ ने सादगी की ऐसी मिसाल पेश की है। जिसके कायल उनके विभाग के शिक्षक भी हो गए हैं। आरा में एक स्कूल के निरीक्षण के लिए पटना से आरा जाने के लिए पैसेंजर ट्रेन के स्लीपर कोच में सफर किया। वो भी बिना किसी तामझाम के, न तो उनके साथ कोई सुरक्षाकर्मी थे। और न ही उनके साथ चलने वाले सहयोगी स्टाफ। इस दौरान ट्रेन में जो लोग उन्हें पहचान गए। उनसे उन्होने बातचीत भी की।
इस दौरान वो आम आदमी की तरह सफर करते दिखे। ट्रेन कोच में भीड़ के बीच खड़े दिखे। ट्रेन से उन्होने बिहिया तक यात्रा की। इसके बाद बिहिया के ही एक स्कूल पहुंचे वो भी पैदल, स्कूल की ही छात्राओं से पता पूछकर उनके साथ विद्यालय पहुंचे। और छात्राओं से इस दौरान बातचीत भी की। पढ़ाई के बारे में जानकारी ली।
और जब बिहिया के प्राथमिक स्कूल पहुंचे तो पहले तो प्रिंसिपल से लेकर टीचर भी उन्हें पहचान नहीं पाए। आखिर कौन स्कूल में निरीक्षण के लिए आया है। जब पता चला तो शिक्षकों को भी यकीन नहीं हुआ कि एससीएस रैंक के अधिकारी इतनी शालीनता और सादगी से स्कूल निरीक्षण के लिए आ सकते हैं। इस दौरान एस सिद्धार्थ ने हाजिरी का रजिस्टर चेक किया। शिक्षकों से पढ़ाई की जानकारी ली। छात्र-छात्राओं से भी बातचीत की। और पूछा कि स्कूल में कैसी पढ़ाई होती है।
शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ अपनी सादगी और अपने व्यवहार से चर्चा में बने हुए हैं। इससे पहले पटना के स्लम एरिया में बने स्कूल में निरीक्षण करने अचानक पहुंच गए थे। तब भी किसी को कोई खबर नहीं हुई थी। इस दौरान उन्होने स्कूल से लेकर छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से भी बातचीत की थी। और स्कूल में बच्चों की कम हाजिरी पर शिक्षकों दिशा-निर्देश भी दिए थे। और अब एक बार फिर उनका वहीं खास अंदाज देखने को मिला है।
इससे पहले जब केके पाठक शिक्षा विभाग के एसीएस थे, तो वो अपने सख्त मिजाज के लिए जाने जाते थे। स्कूल निरीक्षण के दौरान पूरा लाव-लश्कर उनके साथ चलता था। लेकिन वहीं दूसरी केके पाठक जितने सख्त थे। वहीं अब शिक्षा विभाग के नए एसीएस एस सिद्धार्थ उतने ही संवेदनशील और सादगी की मिसाल हैं। वहीं स्कूलों के निरीक्षण का तरीका भी बेहद खास है।