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बिहार में बागियों ने बिगाड़े एनडीए और महागठबंधन के समीकरण, इन लोकसभा सीटों पर टक्कर में निर्दलीय

बिहार की बक्सर, पूर्णिया, काराकाट, नवादा, वाल्मीकिनगर जैसी सीटों पर निर्दलीयों ने महागठबंधन और एनडीए की टेंशन बढ़ाई हुई है। ये प्रमुख पार्टियों से टिकट न मिलने पर बागी होकर चुनावी मैदान में उतरे हैं।

Jayesh Jetawat सुभाष पाठक, एचटी, पटनाSat, 18 May 2024 04:48 PM
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लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बिहार में पांच सीटों पर बागियों ने एनडीए और महागठबंधन के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। सबसे ज्यादा रोचक मुकाबला काराकाट लोकसभा सीट पर होने के आसार हैं। यहां बीजेपी के बागी भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने निर्दलीय पर्चा भरा। इसके अलावा बक्सर में आनंद मिश्रा, पूर्णिया में पप्पू यादव, नवादा में विनोद यादव और वाल्मीकिनगर में प्रवेश मिश्रा भी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी टक्कर में हैं।

काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला होने की पूरी संभावना है। पवन सिंह को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से टीएमसी नेता एवं एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और काराकाट से बतौर निर्दलीय अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी ने भी इस सीट से निर्दलीय पर्चा भरा, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। अब पवन सिंह का मुकाबला काराकाट में एनडीए समर्थित प्रत्याशी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन समर्थित सीपीआई माले के पूर्व विधायक राजाराम सिंह कुशवाहा से है। इस सीट पर सबसे आखिरी सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है। 

2014 में काराकाट से उपेंद्र कुशवाहा ने बतौर एनडीए उम्मीदवार जीत हासिल की थी। हालांकि, 2019 में उन्होंने महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ा और जेडीयू के महाबली सिंह से हार गए। इस बार फिर वे एनडीए से चुनावी मैदान में हैं। काराकाट के रहने वाले किसान विजय मिश्रा कहते हैं कि पवन सिंह की एंट्री ने कुशवाहा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। भोजपुरी स्टार की रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है। पवन सिंह राजपूत जाति से आते हैं, जो इस क्षेत्र की आबादी का प्रमुख हिस्सा है। उन्हें राजपूत के अलावा अन्य जातियों और समुदाय से भी समर्थन मिल रहा है। 

दूसरी ओर, बक्सर लोकसभा सीट पर असम कैडर के एक युवा आईपीएस अधिकारी रहे आनंद मिश्रा निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। उन्होंने आईपीएस की नौकरी से वीआरएस लिया था। उन्हें उम्मीद थी कि बक्सर से बीजेपी उन्हें टिकट देगी। मगर पार्टी ने मौजूदा सांसद अश्विनी चौबे का टिकट काटकर गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर से विधायक रहे मिथिलेश तिवारी को बक्सर से प्रत्याशी बना दिया। टिकट न मिलने पर आनंद मिश्रा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन किया है। कहा जा रहा है उन्हें कुछ स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं का भी समर्थन मिल रहा है, जो सांसद अश्विनी चौबे का टिकट काटने के पार्टी के फैसले के खिलाफ हैं। यहां से आरजेडी ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। बक्सर में भी एक जून को वोटिंग होगी।

पूर्णिया लोकसभा सीट की बात करें तो जन अधिकार पार्टी (जाप) के संस्थापक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बीते मार्च में अपने दल का कांग्रेस में विलय कर दिया। कांग्रेस के टिकट पर उनके पूर्णिया से चुनाव लड़ने की संभावना थी, मगर उन्होंने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ दिया। आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कई दिनों तक अपनी पार्टी के प्रत्याशी बीमा भारती के समर्थन में प्रचार करने के लिए पूर्णिया में डेरा डाला। 26 अप्रैल को दूसरे चरण में यहां वोटिंग हो चुकी है। बीमा भारती और पप्पू यादव के अलावा, जेडीयू से मौजूदा सांसद संतोष कुशवाहा फिर से चुनावी मैदान में रहे।

नवादा लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे पूर्व आरजेडी नेता विनोद यादव ने भी आरजेडी प्रत्याशी श्रवण कुमार कुशवाहा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। विनोद आरजेडी के पूर्व कद्दावर नेता और विधायक राजबल्लभ यादव के भाई हैं और उन्हें क्षेत्र के कई विधायकों से सक्रिय समर्थन मिल रहा है। वहीं बीजेपी ने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है। नवादा में एक जून को मतदान होना है। 

उत्तर बिहार की वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर पूर्व कांग्रेस नेता प्रवेश मिश्रा बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने 3.80 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इस बार यह सीट महागठबंधन के अंदर आरजेडी के खाते में चली गई और तेजस्वी यादव की पार्टी ने दीपक यादव को मैदान में उतारा है। एनडीए की ओर से जेडीयू के मौजूदा सांसद सुनील कुमार फिर से मैदान में हैं। यहां 25 मई को छठे चरण में मतदान होना है।

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