बारिश नहीं थमी तो खेतों में पड़े धान हो जाएंगे खराब, कैसे होगी बेटा-बेटियों की शादी? दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे किसान
बिहार में बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। एक ओर जहां खेतों में रखे धान बारिश के पानी में भींगकर नष्ट हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ परती खेतों में चल रही रबी फसल की बुआई का काम भी ठप पड़ गया है।
बिहार में कई जिलों में हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। एक ओर जहां खेतों में रखे धान बारिश के पानी में भींगकर नष्ट हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ परती खेतों में चल रही रबी फसल की बुआई का काम भी ठप पड़ गया है। कटनी-दवनी तो पहले से बंद थी। खेती में कड़ी मेहनत से रोपनी-सोहनी व खाद-बीज पर काफी पैसे खर्च करने के बाद खेत-खलिहानों में डूब रही पूंजी को देख राज्य भर के धरती पुत्रों की पीड़ा बढ़ गई है। खेती की बदौलत घर-परिवार का खर्च चलाने वाले किसानों के सामने जीविकोपार्जन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।
किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर असमय बारिश के कारण कहीं खेत-खलिहानों में पड़े धान भींगकर नष्ट हो गए तो दो जून के भोजन के लाले पड़ जाएंगे और घर का सारा बजट भी बिगड़ जाएगा। खेती करके सूबे के किसान बेटा-बेटियों की शादी, उनकी पढ़ाई, परिवार के बीमार सदस्यों का इलाज जैसे कार्यों को निपटाते हैं। इस बाद अच्छी फसल हुई थी, जिसे देख किसानों ने कई सपने बुने थे। लेकिन, बारिश ने उनके सपनों को सपना ही रहने दिया।
कैमूर जिले के मींव गांव के किसान बुचुन तिवारी व राजवंश सिंह, एकौनी के किसान दानी दुबे व अप्पू दुबे, सपनौतियां गांव के किसान रामाश्रय दुबे व सीवों गांव के किसान सत्येन्द्र सिंह ने बताया कि कुछ धान की फसल खेत में खड़ी है और कुछ हार्वेस्टर से कटने के बाद खलिहान में पड़ा है। दो-दिनों से हो रही रिमझिम बारिश व हवा के कारण तैयार धान के पौधे खेत में गिर रहे हैं। जबकि हार्वेस्टर से कटनी के बाद खलिहान में रखा गया धान पानी में भींगकर नष्ट हो रहा है। किसानों ने बताया कि उनकी जीविका खेती पर निर्भर है। दो जून के भोजन से लेकर सालभर तक घर का सारा खर्च खेती पर ही टिका हुआ है। ऐसे में असमय बारिश होने से अगर खेत-खलिहानों में पड़ा धान भींगकर बर्बाद हो गया तो सारा बजट बिगड़ जाएगा और हम लोग अन्न के एक-एक दाने के लिए मोहताज हो जाएंगे।
इस साल पिछड़ जाएगी रबी की बुआई
असमय बारिश के कारण अगर खेतों में लगी धान की कटनी-दवनी समय पर नहीं हुई तो रबी की खेती भी पिछड़ जाएगी। असमय बारिश के कारण इन दिनों कैमूर के किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। कसेर गांव के किसान अनिल दुबे, कुर्था के किसान महेन्द्र सिंह व सिंघी के किसान मुरारी पाठक ने बताया कि असमय बारिश के कारण अगर खेतों में लगी धान की कटनी समय पर नहीं हुई तो गेहूं, चना, मसूर व अन्य दलहन व तेलहन फसल की बुआई का काम काफी पिछड़ जाएगा। तब धान के साथ-साथ रबी की खेती में भी काफी घाटा सहना पड़ेगा।
मूसलाधार बारिश ने बढ़ाई चिंता
कैमूर जिले के पहाड़ी प्रखंड अधौरा में गुरुवार को मूसलाधार बारिश हो रही है। जबकि भभुआ, रामपुर, चैनपुर, चांद, भगवानपुर, कुदरा, रामगढ़, मोहनियां, नुआंव व दुर्गावती में रिमझिम बारिश होने की सूचना मिली है। जानकार सूत्रों की माने तो जिन क्षेत्रों में हलकन धान की कटनी पिछले पखवारे कर ली गई है, वहां के किसानों ने गेहूं, चना, मसूर व अन्य दलहन तथा तेलहन फसल की बुआई कर दी है। उनके लिए यह बारिश संजीवनी साबित हो रही है। लेकिन, जिन किसानों के खेतों में अभी धान की फसल खड़ी है, उनके लिए यह बारिश नुकसान दायक साबित हो रही है।
धान व उपला को बचाने में जुटे लोग
असमय बारिश के कारण खेत-खलिहानों में धान की फसल के साथ-साथ उपला भी बर्बाद हो रहा है। समाचार कवरेज के दौरान रिपोर्टर ने किसानों व अन्य लोगों को बारिश में भींग रहे धान व उपले को बचाव करते हुए देखा। कुछ लोग धान व उपला को उठाकर घरों में रखते हुए नजर आए, तो कुछ लोगों को पॉलीथिन व पुआल से ढंककर बारिश के पानी से भींगने का बचाव करते देखा गया। किसान नचकु गोंड व बिगनरायाण पासवान ने बताया कि हमलोग पॉलीथिन से धान व उपला को ढंक कर पानी में भीगने से बचाव कर रहे हैं।
असमय बारिश के कारण खेत-खलिहानों में धान की कटनी व दवनी का काम प्रभावित हो गया है। अगर तेज बारिश हुई और फसल पानी में डूब गई तो किसानों को आर्थिक नुकसान होगा।
- रेवती रमण, जिला कृषि पदाधिकारी