PFI का कई छोटे शहरों में नेटवर्क, पटना से कंट्रोल; NIA की तहकीकात में खुल रहे नए राज
फुलवारीशरीफ के बाद मोतिहारी और पटना समेत अन्य स्थानों पर इससे जुड़े कई छोटे ठिकाने बनाए थे। पीएफआई के अलावा दो-तीन ऐसे कट्टरपंथी विचारधारा को प्रचारित प्रसारित करने वाले संगठन बनाए थे।
पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) ने फुलवारीशरीफ के अलावा पटना व आसपास के कुछ शहरों में अपना ठिकाना बना रखा था। एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी)की जांच में इसका खुलासा हुआ है। फुलवारीशरीफ में छापेमारी के दौरान जब्त कई डिजिटल दस्तावेज और साक्ष्य का विश्लेषण करने के बाद यह बात सामने आयी है। एनआईए के पटना स्थित विशेष न्यायालय में मामले के एक मुख्य अभियुक्त अनवर रासिद के खिलाफ दायर चार्जशीट में भी इस बात का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। एनआईए ने अब इन छोटे ठिकानों से जुड़े लोगों की तहकीकात तेज कर दी है। जल्द ही इससे जुड़े कई लोग गिरफ्त में आ सकते हैं।
एनआईए की अब तक हुई जांच में यह बात भी सामने आई है कि सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) को प्रतिबंधित किए जाने के बाद इसके मुख्य नुमाइंदों में शामिल अथर परवेज, मो. जल्लाउद्दीन खान, नुरुद्दीन जंगी उर्फ एडवोकेट नुरुद्दीन, अरमान मल्लिक ने बिहार में पीएफआई की जड़ें मजबूत करने के लिए खासतौर से पहल की।
फुलवारीशरीफ के बाद मोतिहारी और पटना समेत अन्य स्थानों पर इससे जुड़े कई छोटे ठिकाने बनाए थे। पीएफआई के अलावा दो-तीन ऐसे कट्टरपंथी विचारधारा को प्रचारित प्रसारित करने वाले संगठन बनाए थे, जिसमें वहादत-ए-इस्लामी हिंद और वहादत-ए-इस्लामी प्रमुख हैं।
फुलवारीशरीफ वाले केस में इस संगठन से जुड़े लोगों की भूमिका प्रमुखता से सामने आई है। अनवर रासिद इसका मुख्य उदाहरण है। इस प्रतिबंधित संगठन के लोग भी फुलवारीशरीफ केंद्र से सीधे तौर पर जुड़े थे। ये अलग-अलग स्थानों पर छोटे संगठनों में खासकर युवाओं को भड़काने का काम करते थे। आतंकी फंडिंग जुटाने और पीएफआई के यहां के ठिकानों तक पहुंचाने में भी इनकी भूमिका काफी खास थी। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि पीएफआई और इससे जुड़े अन्य छोटे संगठनों ने शुक्रवार की नमाज के बाद राज्य में कई स्थानों पर मुद्दे को भड़काने का काम किया था।