पटना: तख्त साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई राजेंद्र सिंह का इलाज के दौरान निधन, कृपाण से हो गए थे घायल
तख्त श्रीहरिमंदिरजी, पटना साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई राजेंद्र सिंह का रविवार की देर रात इलाज के दौरान पीएमसीएच में निधन हो गया। गले में कृपाण लगने से जख्मी होने के बाद उन्हें 13 जनवरी को पीएमसीएच में...
तख्त श्रीहरिमंदिरजी, पटना साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई राजेंद्र सिंह का रविवार की देर रात इलाज के दौरान पीएमसीएच में निधन हो गया। गले में कृपाण लगने से जख्मी होने के बाद उन्हें 13 जनवरी को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। जहां उनकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा था। गले का ट्रेकिया कटने के कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। पाइप के जरिए उन्हें तरल आहार दिया जा रहा था। रविवार की देर रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और 2:45 बजे उनका निधन हो गया।
भाई राजेन्द्र सिंह के निधन की खबर मिलते ही सिख संगतों में शोक की लहर दौड़ गयी। सोमवार की दोपहर पोस्टमार्टम के बाद उनका शव तख्त साहिब लाया गया। जहां भारी सुरक्षा बदोबस्त के बीच सैंकड़ों लोगों ने उनका दर्शन किया। अंतिम अरदास के बाद शव यात्रा निकाली गयी। देर शाम खाजेकलां घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। जहां पुत्र दया सिंह ने मुखाग्नि दी। भाई राजेन्द्र सिंह के निधन पर प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों समेत पूर्व महासचिव सरदार महेन्द्र पाल सिंह ढिल्लन, सदस्य राजा सिंह, गुरविंदर सिंह, सेवादार समाज के संरक्षक त्रिलोक सिंह निषाद समेत अन्य लोगों ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
72 वर्षीय मुख्यग्रंथी भाई राजेन्द्र सिंह 13 जनवरी की सुबह अपने कमरे में जख्मी हालत में पाए गए थे। प्रारंभिक तौर पर यह बात सामने आयी थी कि उन्होंने कृपाण से गले पर वार कर आत्महत्या का प्रयास किया है। वहीं घटना के बाद स्थानीय संगत व सेवादारों ने इसे गहरी साजिश करार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। चौक पुलिस उनके स्वस्थ होने का इंतजार कर रही थी। इस घटना में भाई राजेन्द्र सिंह का बयान अहम था। लेकिन उनके निधन से यह रहस्य बरकारार रह गया कि उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की थी या वे किसी साजिश के शिकार हुए थे।
मुख्यग्रंथी भाई राजेन्द्र सिंह के निधन के बाद परिजनों की सहमति से पीएमसीएच में उनकी दोनों आंखें दान की गयीं। वे मरकर भी अमर हो गए। दधिचि देहदान समिति के सदस्य संजीव यादव की पहल पर पीएमसीएच के नेत्र अधिकोष की टीम की चिकित्सकों द्वारा नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की गयी। मुख्यग्रंथी की आंख से दो लोगों को नेत्र ज्योति मिलेगी।