Hindustan Special- पटना मेट्रो: अंडरग्राउंड टनल की खुदाई को 10 टीबीएम की जरूरत, कितना होगा खर्च? जानिए
एक टीबीएम भूमिगत टनल की खुदाई लगभग 4 किलोमीटर तक ही कर सकती है। 4 किलोमीटर तक टनल की खुदाई के बाद टीबीएम की छमता काफी कम हो जाती है। जिस कारण उसकी उपयोगिता खत्म हो जाती है।
पटना मेट्रो का काम तेजी से चल रहा है। भूमिगत ट्रैक बिछाने के लिए सुरंग की खुदाई के लिए टनल बोरिंग मशीनें (टीबीएम) लगाई जाएंगी। दो टीबीएम ने मोइनुल हक स्टेडियम से पटना विश्वविद्यालय की तरफ मेट्रो के अप एवं डाउन लाइन के लिए खुदाई का कार्य प्रारंभ कर दिया है। यह लाइन पटना विश्वविद्यालय से पीएमसीएच होते हुए गांधी मैदान तक जाएगा। वहीं गांधी मैदान के पश्चिमी छोर से आकाशवाणी होते हुए पटना जंक्शन तक के अप एवं डाउन लाइन की खुदाई करने के लिए दो नयी टीबीएम मंगवायी जाएगी। ये जल्द विदेश से पटना आने वाली हैं।
एक टीबीएम भूमिगत टनल की खुदाई लगभग 4 किलोमीटर तक ही कर सकती है। 4 किलोमीटर तक टनल की खुदाई के बाद टीबीएम की छमता काफी कम हो जाती है। जिस कारण उसकी उपयोगिता खत्म हो जाती है। एक टीबीएम मशीन की कीमत एक करोड़ रुपया है।
दोनों कॉरिडोर में 18.466 किलोमीटर का बनेगा भूमिगत टनल
पटना मेट्रो के दोनों कॉरिडोर में 18.466 किलोमीटर का भूमिगत टनल बनना है। दोनों कॉरिडोर का अप एवं डाउन मिलाकर 36.932 किलोमीटर का टनल तैयार किया जाएगा। इसी कारण पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को लगभग 10 टीबीएम की आवश्यकता होगी। मेट्रो के पहले कॉरिडोर में 10.540 और दूसरे में 7.926 किलोमीटर का भूमिगत टनल (स्ट्रेच) बनना है।
पहले कॉरिडोर के तहत पटना मेट्रो जंक्शन से विद्युत भवन, विकास भवन, चिड़ियाघर, राजा बाजार से रुकनपुरा होते हुए पाटलिपुत्र स्टेशन तक मेट्रो जाएगी। यह दानापुर कैंट की तरफ से आने वाले आरपीएस एलिवेटेड स्टेशन के आगे से भूमिगत स्ट्रेच में मिलेगी। इसके अलावा पटना मेट्रो जंक्शन से मीठापुर की ओर भी भूमिगत टनल की खुदाई होनी है। जो मीठापुर एलिवेटेड स्टेशन के आगे आकर पटना जंक्शन की तरफ से आने वाली भूमिगत टनल में मिलेगा।