बेउर जेल में बैठकर रच दिया देहरादून में 20 करोड़ की लूट का प्लान, बेल पर निकलते ही गिरफ्तार
पिछले 9 नवंबर को देहरादून से 20 करोड़ रुपये के सोना लूट मामले में बेउर थाना क्षेत्र के महावीर कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया था। उस पर पश्चिम बंगाल, बिहार और मध्य प्रदेश में सोना लूट के कई केस दर्ज हैं।
बिहार एसटीएफ और देहरादून पुलिस की संयुक्त टीम ने सोना लूट कांड के मास्टर माइंड में से एक शशांक सिंह उर्फ सोनू राजपूत को फिर से गिरप्तार कर लिया है। पुलिस ने सोनू को उस समय दबोच लिया जब वह बेऊर जेल से बाहर निकला। सोनू सहरसा जिले के सिमरी-बख्तियारपुर थाना अंतर्गत सोनापुर गांव निवासी है। इस केस से जुड़े पुलिस अधिकारी ने बताया कि सोनू राजपूत का जमानत का आदेश शनिवार को बेउर जेल पहुंच गया, लेकिन दोबारा गिरफ्तारी के डर से उसने बेउर जेल प्रशासन को मैनेज कर लिया और अवैध रूप से जेल के अंदर ही छिपा रहा।
दरअसल देहरादून पुलिस को पता चला कि कोर्ट सेने उसे पहले ही जमानत मिल गई है लेकिन सोनू अवैध रूप से जेल के अंदर रह रहा था। यह मामला गृह विभाग तक पहुंचा तो रविवार को सोनू को रिहा कर दिया गया। इस मामले में बेउर जेल के अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने दावा किया कि सोनू राजपूत को शनिवार को रिहा कर दिया गया। देहरादून की पुलिस उससे पूछताछ करने आई थी।
इस ऑपरेशन के एडिशनल डीजी सुशील मान खोपड़े ने कहा कि सोनू को पिछले 9 नवंबर को देहरादून से 20 करोड़ रुपये के सोना लूट मामले में बेउर थाना क्षेत्र के महावीर कॉलोनी से रविवार को गिरफ्तार किया गया था। उस पर पश्चिम बंगाल, बिहार और मध्य प्रदेश में सोना लूट के कई मामले दर्ज दर्ज हैं। सीनियर उपनिरीक्षक प्रदीप रावत के नेतृत्व में देहरादून की कोतवाली पुलिस आई थी। बताया कि कहा कि सोनू राजपूत ने अपने गिरोह के साथ जेल से डकैती की योजना बनाई थी। सोनू और उसके साथी सुबोध सिंह ने मिलकर 2016 में पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में मन्नापुरम गोल्ड स्टोर में लगभग 28 किलोग्राम सोना और 2017 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल में मुथूट फाइनेंस शाखा में लगभग 55 किलोग्राम सोने की डकैती की घटना को अंजाम दिया था।
बेउर पुलिस स्टेशन में पूछताछ के दौरान सोनू राजपूत ने कबूल किया कि वह वीपीएन सर्वर का उपयोग करके जेल के भीतर से अपनी नापाक गतिविधियों को अंजा देने के लिए वीओआईपी कॉल और इंस्टाग्राम, फेसबुक मैसेंजर जैसे इंटरनेट-आधारित मैसेजिंग एप्लिकेशन के माध्यम से काम करता है। यह उस व्यक्ति और उस सेल नंबर की ट्रैकिंग से बचने के लिए किया जाता है जिससे फोन संचालित किया जा रहा है।मामले से जुड़े एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। बताया कि लूटपाट के दौरान हथियार का प्रदर्शन करने वाले गिरोह के सदस्यों को सोनू की मिलीभगत से हथियार उपलब्ध कराये जाते थे। यहां तक कि उन्होंने सुबोध सिंह के कहने पर गाड़ी और अन्य सहायता भी प्रदान दी जाती थीं। पता चला है कि बेउर के अधिकारियों की मदद से परिवार के सदस्य चोरी-छिपे मोबाइल फोन ले जाकर पहुंचा देते थे। अब जेल प्रशासन की मिलीभगत से कैदियों को मोबाइल फोन मिलते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फोन, सिम कार्ड, ड्रग्स और सर्जिकल ब्लेड जैसी प्रतिबंधित वस्तुएं अक्सर जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से चोरी-छिपे लाई जाती हैं।
सोमवार को सोनू को पटना की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से देहरादून पुलिस उसे तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर ले गई। सोना लूट मामले में उत्तराखंड पुलिस ने अब तक मुजफ्फरपुर, वैशाली और देश के अन्य हिस्सों से सुबोध गिरोह के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। बिहार की सबसे बड़ी जेलों में से एक, बेउर सेंट्रल जेल हाल ही में संदिग्ध गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में रही है। हाल ही में देहरादून (उत्तराखंड) में एक रिलायंस ज्वेलरी शोरूम से दिनदहाड़े डकैती की साजिश जेल के अंदर से रची गई जिसमें जेल अधिकारियों की संलिप्तता पर सवाल उठ रहे हैं।