पटना एम्स में न्यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी में इलाज बंद, इस्तीफा दे रहे डॉक्टर; आखिर क्या है वजह?
दोनों विभाग पिछले कई सालों से बंद हैं। हृदय रोग विभाग के भी एक चिकित्सक ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है। चिकित्सक के ओपीडी में प्रति सप्ताह 300 से 500 मरीजों का इलाज होता था।अधीक्षक भी प्रभार में हैं
एम्स पटना पिछले चार सालों से कामचलाऊ अधीक्षक के भरोसे चल रहा है। दूसरी ओर 10 से ज्यादा फैकल्टी और चिकित्सक इस्तीफा दे चुके हैं। फैकल्टी की कमी के कारण एक ओर न्यूरोलॉजी विभाग पूरी तरह से बंद हो गया है तो दूसरी ओर नेफ्रोलॉजी और इंडोक्राइनिन विभाग शुरू नहीं हो पाया है।
दोनों विभाग पिछले कई सालों से बंद हैं। हृदय रोग विभाग के भी एक चिकित्सक ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है। चिकित्सक के ओपीडी में प्रति सप्ताह 300 से 500 मरीजों का इलाज होता था। इस्तीफे के कारण उस विभाग में भी मरीजों को इलाज कराना मुश्किल हो गया है। एम्स पटना अपनी क्षमता के 40 प्रतिशत फैकल्टी पर ही कार्य कर रहा है तो दूसरी ओर चार साल से यहां स्थायी अधीक्षक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। प्रभारी अधीक्षक के रूप में कम्यूनिटी एंड फैमिली मेडिसिन (सीएफएम) के हेड डॉ. सीएम सिंह अधीक्षक का कार्यभार संभाले हुए हैं। नए अधीक्षक की नियुक्ति के लिए चार सालों में एक-दो प्रयास विज्ञापन के माध्यम से हुए भी तो नियुक्ति की शर्त ऐसी रखी गई कि अधीक्षक का पद भरना मुश्किल हो गया है।
क्या है अधीक्षक नियुक्ति की शर्त
एम्स पटना में अधीक्षक नियुक्ति की एक ऐसी शर्त रखी गई है, जिसके कारण स्थायी अधीक्षक मिलना मुश्किल हो गया है। एम्स के एक प्रशासनिक स्तर के वरीय अधिकारी ने बताया कि अधीक्षक के लिए डॉक्टर को एमडी इन हॉस्पीटल मैनेजमेंट का कोर्स भी एक शर्त रखा गया है। बहुत कम डॉक्टर ऐसे होते हैं जो यह कोर्स करते हैं। जो कोर्स किए भी रहते हैं उनकी प्राथमिकता दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों की संस्थानें होती हैं। अपने स्थापना काल से अबतक के 10 सालों में एम्स में दो ही स्थायी अधीक्षक मिले हैं। उन दोनों को मिलाकर उनका कार्यकाल 19 माह का रहा था। 2014-15 में डॉ. एके पांडेय एक साल के लिए और उनके बाद डॉ. एसएस गुप्ता सात माह के लिए स्थायी अधीक्षक रहे थे। उसके बाद 2017-18 से डॉ. सीएम सिंह प्रभारी के रूप में अधीक्षक का कार्यभार संभाल रहे हैं।
नियुक्ति के लिए निकाला गया है विज्ञापन
एम्स पटना के निदेशक डॉ. जीके पाल ने कहा कि बंद पड़े विभागों को शीघ्र ही शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। रिक्त पदों को भरने के लिए 173 फैकल्टी की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया है। साथ ही 200 नर्सों की बहाली के लिए एम्स नई दिल्ली को आग्रह किया गया है। रिक्त पदों के भरने के बाद बंद पड़े विभाग शुरू हो जाएंगे।