महागठबंधन में सीवान, पूर्णिया और कटिहार सीट की गुत्थी नहीं सुलझी, औरंगाबाद पर कांग्रेस के तेवर तल्ख
बिहार महागठबंधन में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तीन सीटों की गुत्थी नहीं सुलझ पाई है। आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों में खींचतान जारी है। औरंगाबाद से आरजेडी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया तो कांग्रेस नाराज है।
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर महागठबंधन में सीवान, कटिहार, पूर्णिया सीट को लेकर उलझी गुत्थी अब तक नहीं सुलझ सकी है। औरंगाबाद सीट पर आरजेडी की ओर से प्रत्याशी घोषणा के बाद कांग्रेस के तेवर तल्ख हैं। वहीं, बीमा भारती को पूर्णिया से आरजेडी द्वारा उतारे जाने को लेकर भी नाराजगी है। रविवार को कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत करने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव दिल्ली गए हैं।
पटना में सीपीआई माले आरजेडी के फैसले का इंतजार कर रही है। हालांकि, राजद पहले ही माले को तीन सीट पर सहमति दे चुकी है। ये तीनों सीटें हैं- आरा, काराकाट और नालंदा। सीपीआई माले सूत्रों का कहना है कि हमने अपनी बात आरजेडी नेतृत्व के सामने रख दी है। सीवान सीट पर समझौते का सवाल ही नहीं उठता। माले वहां से पूर्व विधायक अमरनाथ यादव को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर चुकी है। दूसरी तरफ, आरजेडी यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को प्रत्याशी बनाना चाहती है। सीवान सीट पर असली पेच यही है।
वहीं, कांग्रेस में शामिल होने के बाद पप्पू यादव ने पूर्णिया से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। आरजेडी ने रुपौली विधायक बीमा भारती को पार्टी की सदस्यता दिलाकर पूर्णिया से चुनाव लड़ाने का संकेत दिया है। औरंगाबाद से आरजेडी ने पार्टी प्रत्याशी अभय कुशवाहा को सिंबल भी दे दिया है। वहीं, निखिल कुमार के समर्थक परंपरागत सीट बताते हुए औरंगाबाद को कांग्रेस के लिए छोड़ने की मांग कर रहे हैं।
माले को साथी वाम दल की नसीहत
सीपीआई का कहना है कि माले की दावेदारी वाली सीटों पर भी सीपीआई का मजबूत जनाधार अभी भी है। पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा कि महागठबंधन में आरजेडी के बाद सबसे ज्यादा जनाधार वाली पार्टी सीपीआई है। ऐसे में पार्टी को 6 बार जीते जाने वाली सीट जहानाबाद, मधुबनी और मजबूत संगठन वाली बांका क्यों नहीं मिलनी चाहिए? महागठबंधन के घटक दलों को अनर्गल दावेदारी से परहेज करते हुए एकताबद्ध होकर चुनाव में उतरना चाहिए। किसी प्रकार के टकराव अथवा दोस्ताना संघर्ष से बचना चाहिए। खगड़िया में सीपीआई का मजबूत जनाधार है। इसके बाद भी यह सीट सीपीएम को देने पर पार्टी की कोई आपत्ति नहीं है।
सीवान लोकसभा सीट से इंद्रदीप सिन्हा लड़ते थे और कुछ सौ वोट से ही हार गए थे। काराकाट लोकसभा सीट पर भी पार्टी का मजबूत जनाधार है। काराकाट लोकसभा सीट में पड़नेवाले गोह विधानसभा सीट पर सीपीआई को पांच बार जीत मिली थी। फिर भी भाकपा ने अपनी दावेदारी सीमित रखते हुए महागठबंधन के लिए एक बेहतर माहौल बनाने की पेशकश की है। उन्होंने अपील की है कि माले समेत महागठबंधन अनावश्यक दावेदारी से परहेज करें। बिहार में एनडीए को करारी शिकस्त देकर देश के सामने मिसाल पेश करें।