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अनंत सिंह को यूं ही छोटे सरकार नहीं कहते, जेल से ही बीवी नीलम देवी को मोकामा चुनाव जिता दिया

अनंत सिंह की पत्नी और महागठबंधन प्रत्याशी नीलम देवी ने बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को 16488 वोटों से हरा दिया। नीलम देवी ने कहा कि हमारी जीत शुरू से ही पक्की थी। बस मतों का अंतर देखना था।

Malay Ojha हिन्दुस्तान, पटनाSun, 6 Nov 2022 05:46 PM
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Anant Singh Mokama: मोकामा में एक बार फिर से 'अनंतराज' आ गया है। अनंत सिंह की पत्नी और महागठबंधन प्रत्याशी नीलम देवी ने बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को 16488 वोटों से हरा दिया। नीलम देवी ने कहा कि हमारी जीत शुरू से ही पक्की थी। बस मतों का अंतर देखना था। उन्होंने कहा कि जनता मालिक होती है। अनंत सिंह हमेशा मोकामा की जनता के साथ रहे हैं, इसलिए वहां की जनता उन्हें हर बार आशीर्वाद देती है। यहां ‘छोटे सरकार’ के टक्कर में कोई नहीं।

पिछले 17 सालों से अनंत सिंह लगातार मोकामा से जीतते आ रहे हैं। 4 बार से इस सीट पर उनका कब्जा रहा है। कोर्ट से सजा होने के बाद अनंत सिंह को विधायकी छोड़नी पड़ी तो राजद ने अनंत की पत्नी नीलम देवी को उम्मीदवार बना दिया। इनका मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी और ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी से था। आखिरकार नीलम देवी अपने पति अनंत सिंह की जीत कायम रखी। 

वर्ष 1980 में बिहार ने पहली बार अनंत सिंह का नाम सुना था, तब उन्होंने मोकामा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार श्याम सुंदर सिंह धीरज के चुनाव जीतने में बड़ी भूमिका निभायी थी। दरअसल, उस समय कम्युनिस्ट नेता शिवशंकर शर्मा कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव मैदान में थे। मोकामा टाल इलाके के युवा नेता एवं अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह शिवशंकर शर्मा का साथ दे रहे थे।

हालांकि शिवशंकर शर्मा दिलीप सिंह की दबंग छवि के कारण उनका साथ नहीं लेना चाहते थे। तब, श्याम सुंदर सिंह धीरज ने दिलीप सिंह की ओर हाथ बढ़ाया। ऐसा माना जाता है कि धीरज की जीत में दिलीप सिंह का बड़ा हाथ था और दिलीप सिंह ने अपने छोटे भाई अनंत सिंह के साथ मिलकर मोकामा टाल के इलाके में कांग्रेस के पक्ष में वोटों की गोलबंदी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। 

इसके ठीक पांच साल बाद मोकामा का सियासी समीकरण बदल गया। इस बार श्याम सुंदर सिंह धीरज व शिवशंकर शर्मा के मुकाबले में दिलीप सिंह सामने आ गए। इस बार भी श्याम सुंदर सिंह धीरज कम मार्जिन से ही लेकिन चुनाव जीतने में सफल रहे। तब दिलीप सिंह ने धीरज पर सरकारी मिशनरी के दुरूपयोग करने का आरोप लगाया लेकिन दूसरी ओर अनंत सिंह मोकामा टाल क्षेत्र में तेजी से चर्चा में आ गए। तबतक उन पर कई संगीन आरोप भी लग चुके थे।

1990 एवं 1995 में दिलीप सिंह ने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और धीरज को चुनाव मैदान में हराया। इस बीच अनंत सिंह छोटे सरकार के रुप में मोकामा क्षेत्र में लोकप्रिय होते चले गए। हालांकि, 2000 के चुनाव में अनंत सिंह का साथ होने के बावजूद दिलीप सिंह चुनाव हार गए और मुकाबले में उतरे  बाहुबली सूरजभान सिंह को जीत हासिल हुई।  

2005 के बाद अनंत सिंह नेताजी बन चुके थे लेकिन अपराध से रिश्ता अब भी नहीं टूटा था। 2007 में उनपर एक महिला से दुष्कर्म करने और फिर हत्या का आरोप लगा। बताया जाता है कि एक इंटरव्यू के दौरान एक टीवी पत्रकार ने जब अनंत सिंह से इस आरोप के बारे में सवाल किए तो उनके समर्थकों ने पत्रकार की जमकर पिटाई की। इस मामले अनंत सिंह को जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उनकी विधायकी बनी रही। 

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2015 में नीतीश कुमार ने भी अनंत सिंह से दूरिया बना ली, वजह थी आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना, लेकिन बावजूद इसके मोकामा सीट अनंत सिंह के पास ही रही। अनंत सिंह के रुतबे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि जेल में रहते हुए भी छोटे सरकार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की।

2020 तक हालात फिर बदले लेकिन नहीं बदला तो अनंत सिंह का जीत का सिलसिला। इस बार अनंत सिंह आरजेडी से चुनाव लड़े और लगातार चौथी बार मोकामा में अपनी जीत दर्ज की, लेकिन अब अनंत सिंह की विधायकी खत्म हो चुकी है। दरअसल 2019 में अनंत सिंह के पुश्तैनी घर में छापेमारी हुई थी। उनके घर से एके 47 राइफल, दो हैंड ग्रेनेड और जिंदा कारतूस बरादम हुए। इस मामले में इसी साल जून में अनंत सिंह को दस साल की सजा सुनाई गई। इस सजा के बाद अपने आप उनकी विधायकी खत्म हो गई। 

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