गुंजन सिंह का नॉमिनेशन कराने नवादा गए थे मनीष कश्यप, बीजेपी कैंडिडेट विवेक ठाकुर को देखते ही पांव में गिरे
बिहार में नवादा लोकसभा सीट पर डॉ. सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर ने बीजेपी से नामांकन दाखिल किया है जिनके सामने भाजपा से टिकट लेने में नाकाम रहे भोजपुरी गायक गुंजन सिंह निर्दलीय उतर गए हैं।
परिसमीन के बाद से बिहार में भूमिहार नेताओं के लिए एक सुरक्षित सीट साबित हो रहे नवादा लोकसभा क्षेत्र में गुरुवार को नामांकन के आखिरी दिन भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर ने पर्चा भरा। विवेक ठाकुर इस समय भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं और उनका दो साल का कार्यकाल बाकी है। बीजेपी से ही टिकट मांग रहे मशहूर भोजपुरी गायक गुंजन सिंह ने नवादा से निर्दलीय नामांकन कर दिया है। गुंजन के समर्थन में यू-ट्यूबर मनीष कश्यप भी नवादा पहुंचे थे। नामांकन के रास्ते में गुंजन सिंह और विवेक ठाकुर का दस्ता टकरा गया। गुंजन के साथ चल रहे मनीष कश्यप ने जैसे ही विवेक ठाकुर को देखा वैसे ही उनके पांव में गिर पड़े।
विवेक ठाकुर से आशीर्वाद लेकर मनीष कश्यप फिर गुंजन सिंह के साथ हो गए। मनीष को जब गिरफ्तार किया गया था तो विवेक ठाकुर ने इसका विरोध किया था और कहा था कि मनीष के साथ आतंकवादियों जैसा सलूक क्यों हो रहा है। मनीष राजनीतिक रूप से महागठबंधन और आरजेडी के खिलाफ बोलते रहे हैं इसलिए कई बार लगता है कि वो भाजपा के करीब हैं। इलाके में गायक के तौर पर लोकप्रिय गुंजन सिंह के निर्दलीय लड़ जाने से भूमिहार वोटों के बिखराव का खतरा पैदा हो गया है। गुंजन मैदान में टिके रहते हैं या भाजपा मनाकर नाम वापस करा लेती है, इस पर भूमिहारों की नजर टिकी है।
नवादा लोकसभा सीट से परिसीमन के बाद बेगूसराय के भोला सिंह, बड़हिया के गिरिराज सिंह और मोकामा के चंदन सिंह सांसद बने हैं। गुंजन सिंह इसे नवादा का बेटा, नवादा का नेता नारा देकर बाहरी बनाम लोकल कैंडिडेट के मुद्दे को हवा दे रहे हैं। भूमिहार और यादव बहुल नवादा सीट पर कुशवाहा और वैश्य वोटर बड़ी संख्या में हैं और चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं। लालू यादव की आरजेडी ने नवादा से श्रवण कुशवाहा को टिकट दिया है। नवादा से आरजेडी ने पहले राजबल्लभ यादव और पिछली बार उनकी पत्नी विभा देवी को लोकसभा चुनाव लड़ाया था लेकिन दोनों हार गए।
राजबल्लभ यादव के परिवार से विनोद यादव इस बार भी काफी समय से चुनाव की तैयारी कर रहे थे लेकिन लालू ने यादव के बदले आरजेडी से कोइरी कैंडिडेट देकर जेडीयू के नेता नीतीश कुमार का वोट तोड़ने की चाल चली है। एनडीए में शामिल रालोमो के नेता उपेंद्र कुशवाहा और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी कुशवाहा हैं। आरजेडी कैंडिडेट के तौर पर राजबल्लभ यादव 2014 और विभा देवी 2019 में डेढ़ लाख से कुछ कम वोट के अंतर से हारे थे। लालू ने मुस्लिम, यादव के साथ कुशवाहा वोट का कॉकटेल बनाने के लिए श्रवण को उतारा है।
बीजेपी और उसकी सहयोगी लोजपा के लिए यह सीट पिछले तीन चुनाव से केकवॉक साबित हुई है। पार्टी कोई हो, कैंडिडेट कोई हो, उसकी जीत तय है। यादव और मुसलमान के वोट से यह सीट आरजेडी नहीं जीत पा रही। भाजपा ने इस बार भी भूमिहार वोट को ध्यान में रखकर विवेक ठाकुर को उतारा है। नवादा में कोइरी वोटर जाति देखकर वोट करते हैं या दिल्ली और पटना में अपना नेता देखकर, सारा खेल इस पर तय होने वाला है। गुंजन सिंह भूमिहार वोटरों के बीच बाहरी और स्थानीय की भावना भड़का सकते हैं जिन्हें कुछ दूसरी जातियों के वोट भी गायिकी की लोकप्रियता के कारण मिल सकता है। बीजेपी के लिए भूमिहार वोटों का बंटवारा रोकने के लिए गुंजन सिंह को बिठाना असली चुनौती है जिसका जवाब 2 अप्रैल को नाम वापसी के दिन तक मिल सकता है।
नवादा के मौजूदा सांसद चंदन सिंह लोजपा के टिकट पर जीते थे लेकिन बाद में पशुपति पारस की रालोजपा के साथ हो गए। बीजेपी और चिराग पासवान की डील में पशुपति पारस और उनकी पार्टी के साथ-साथ चंदन सिंह भी निपट गए। चंदन सिंह बाहुबली सूरजभान सिंह के भाई हैं। सूरजभान सिंह खुद बेगूसराय की बलिया लोकसभा से (अब बेगूसराय) और उनकी पत्नी वीणा देवी मुंगेर से सांसदी जीत चुके हैं। परिवार से किसी को टिकट नहीं मिल पाने की कसक सूरजभान सिंह को है लेकिन वो किसी का नुकसान करेंगे या सही समय के इंतजार में मौन धारण कर लेंगे, इसका असर भी नवादा, मुंगेर और बेगूसराय में दिखेगा।