Independence Day: रात 12 बजे रेडियो से आजादी की घोषणा सुनी, फहरा दिया तिरंगा; पूर्णिया के झंडा चौक पर परंपरा जारी
सोशल एक्टिविस्ट विपुल सिंह ने 1947 में 12 बजकर एक मिनट पर रेडियो पर भारत के आजादी की घोषणा हुई थी। तब पूर्णिया के रामेश्वर सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक ने मिलकर आधी रात को झंडा चौक पर तिरंगा फहराया।
Independence Day 2023: देश में वाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया दूसरी ऐसी जगह है, जहां आधी रात में तिरंगा फहराया जाता है। सन् 1947 से लगातार भट्ठा बाजार स्थित झंडा चौक पर ध्वजारोहण किया जाता है। इसके बाद तो यह परंपरा ही बन गई। स्वतंत्रता दिवस की 77 वीं वर्षगांठ पर हर साल की तरह पूर्णिया शहर के भट्ठा बाजार स्थित झंडा चौक पर वाघा बॉर्डर के तर्ज पर 14 अगस्त की रात 12 बजकर 1 मिनट पर तिरंगा फहराया जायेगा। इस दौरान सैकड़ों लोगों की मौजूदगी रहेगी। भारत माता की जय के नारे लगेंगे। स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जायेगा।
यहां ध्वजारोहण के दौरान लोगों में काफी उत्साह रहता है। शहर के बीचोबीच झंडा चौक पर मध्य रात्रि को सैकड़ों प्रबुद्धजनों, राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में ध्वजारोहण किया जाता है। इसके बाद उपस्थित लोगों के द्वारा राष्ट्रगान के बाद मिठाई का वितरण भी किया जाता है। रामेश्वर सिंह की परपोती वैष्णवी सिंह ने बताया कि वह भी अपने माता-पिता के साथ झंडा चौक पर तिरंगा लहराएंगी। उन्हें गर्व है कि उनके परदादा ने यह रिवायत शुरू की।
रेडियो पर घोषणा के साथ लहराया गया तिरंगा
सोशल एक्टिविस्ट विपुल सिंह ने 1947 में 12 बजकर एक मिनट पर रेडियो पर भारत के आजादी की घोषणा हुई थी। तब पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी व उनके दादा रामेश्वर सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक के साथ मिलकर आधी रात को ही झंडा चौक पर तिरंगा फहराया था। इसके बाद से लगातार पूर्णिया के भट्ठा बाजार में झंडा चौक पर झंडा फहराने की परंपरा चली आ रही है। वाघा के बाद पूर्णिया में ही आधी रात को झंडा फहराया जाता है। ये हमें स्वाधीनता संग्राम के दीवानों की याद दिलाती है।
राजकीय समारोह का दर्जा देने की मांग
समाजसेवी सोनी सिंह ने कहा कि झंडा चौक पर 14 अगस्त की मध्य रात्रि हर साल तिरंगा लहराया जाता है। इस समारोह को राजकीय दर्जा मिलना चाहिए। गत वर्षों राजकीय दर्जा के लिए समाजसेवी सोनी सिंह ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री को आवेदन भी दिया था। इससे पहले वह झंडा चौक पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को भी सम्मानित कर चुके हैं।