बिहार में MBBS की पढ़ाई हिन्दी में भी कर सकेंगे छात्र, स्वास्थ्य मंत्री का बड़ा ऐलान, इसी सत्र में मिलेगा ऑप्शन
बिहार में अब एमबीबीएस की पढ़ाई छात्र हिंदी में भी कर सकेंगे। इसी सत्र से छात्रों को ऑप्शन मिलेगा। इसका ऐलान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने किया। ऐसा करने वाला बिहार देश का दूसरा राज्य बन गया है।
बिहार के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नए सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी में भी होगी। छात्र-छात्राओं के पास विकल्प होगा कि वे हिन्दी या अंग्रेजी से मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मेडिकल पाठ्यक्रम की पढ़ाई हिन्दी माध्यम से कराने की व्यवस्था प्रभावी कर दी है। छात्रों के सामने विकल्प होगा, वो चाहें तो हिन्दी या अंग्रेजी में पढ़ाई कर सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इस संदर्भ में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग, नई दिल्ली के निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप नीट (यूजी) 2024 में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के लिए इसी सत्र से हिन्दी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम राज्य में लागू होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बिहार देश का दूसरा राज्य बन गया है, जहां मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के छात्रों को हिन्दी में भी पढ़ाई करने का विकल्प रहेगा।
नौ सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी की अनुशंसा के आधार पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। इस कार्ययोजना को लेकर तीन सदस्यीय पदाधिकारियों के दल ने गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल का अध्ययन किया था। जहां हिन्दी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई हो रही है।
कमेटी ने रिपोर्ट दी कि लोकली ‘‘रिलीवेंट एंड ग्लोबली कॉम्पीटेंट’’ डॉक्टर बनाने में यह मॉडल काफी लाभदायक होगा। इससे चिकित्सा शिक्षा का सरलीकरण अंग्रेजी के साथ हिन्दी में करने से हिंदी के मेधावी छात्रों को मदद मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हिन्दी में पढ़ाई के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पुस्तकों की उपलब्धता से लेकर तमाम आवश्यक पहलुओं पर गहन विमर्श के बाद इसे प्रभावी बनाया जा रहा है।
सरकार ने ये फैसला अपनी दूरदर्शी नीति को ध्यान में रखकर ली है। बिहार जैसे प्रदेशों में अधिसंख्य आबादी हिन्दी भाषा का प्रयोग करती है। सरकार की ये भी प्राथमिकता रही है कि हम हिन्दी को ग्लोबल बनाएं और सरकारी कार्यों में भी हिन्दी का प्रयोग अधिक से अधिक करें।