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हिन्दुस्तान विशेष: दो दरगाहों के लिए दुनियाभर में मशहूर पटना का मनेर, मकबरे पर उकेरी गईं कुरान की आयतें

मनेर की छोटी दरगाह लाल पत्थर पर उकेरी गई नक्काशी की वजह से सूबे के सबसे खूबसूरत इमारतों में शुमार है। अपनी खूबसूरती के साथ-साथ सूफीमत को मानने वालों के लिए यह एक मुकद्दस स्थान है।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, पटनाFri, 7 July 2023 07:35 AM
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Hindustan Special: बिहार की राजधानी पटना में कई ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्थल हैं, जहां हर साल लाखों की संख्या में सूबे सहित देश-विदेश से सैलानी आते हैं। उन्हीं में से एक है मनेर का दरगाह शरीफ। मनेर, पटना से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वैसे तो यहां कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल हैं। मगर मनेरशरीफ अपनी दो दरगाहों के लिए मशहूर है। पहली को बड़ी दरगाह तो दूसरी को छोटी दरगाह कहा जाता है।

पीर हजरत मखदूम शाह याहिया मनेरी का मकबरा यहां स्थित है, जिसे बड़ी दरगाह के नाम से जाना जाता है। इस दरगाह में मखदूम साह याहिया मनेरी की मजार है। इस मजार पर अकीदतमंदों का हमेशा तांता लगा रहता है। वहीं, छोटी दरगाह में शाहदौलत का मकबरा है। सूबे के मुगलकालीन इमारतों में चुनार के लाल पत्थरों से निर्मित छोटी दरगाह सबसे प्रमुख है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार मनेर की छोटी दरगाह लाल पत्थर पर उकेरी गई नक्काशी की वजह से सूबे के सबसे खूबसूरत इमारतों में शुमार है। अपनी खूबसूरती के साथ-साथ सूफीमत को मानने वालों के लिए यह एक मुकद्दस स्थान है।

इस मकबरे की सीलिंग पर उकेरी गई कुरानशरीफ की आयतें पर्यटकों को विशेष रूप से अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं। छोटी दरगाह में दूसरा स्थान जहां सबसे ज्यादा पर्यटकों की रुचि रहती है वो स्थल है हुजरा शरीफ। जिसे गुफा के रूप से जाना जाता है। इसे लेकर कई दंत कथाएं है। हुजरा शरीफ ध्यान का केंद्र था। इसे पर्यटन विभाग ने सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया है।

हर साल लगते हैं दो मेले
हर साल यहां दो मेलों का आयोजन होता है। पहला मेला मखदूम साह याहिया मनेरी के सालाना उर्स के मौके पर लगता है। इसमें बिहार सहित बंगाल और जम्मू से मुरीद आते हैं। इस दौरान मनेर खानकाह में मखदूम साह याहिया मनेरी की शान में कव्वाली सहित बहुत सारी रस्में होती हैं। भीड़ लाखों में जुटती है।

दूसरा मेला जेठ के अंतिम रविवार को लगता है। इस मेले को शोहबत मेला के नाम से जाना जाता है। इस मेले में मुस्लिम से ज्यादा हिन्दू आबादी शिरकत करती है। बिहार सरकार द्वारा इस दिन शाम के समय सूफी महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

पूर्वजों की यादों को ताजा करने आते हैं विदेशी पर्यटक
छोटी दरगाह की पेंटिंग ब्रिटिश म्यूजियम में लगी है। यूरोपीय देशों विशेष रूप से स्कॉटलैंड, हॉलैंड और इंग्लैंड से ज्यादातर पर्यटक यहां नवंबर से मार्च तक आते हैं। इन देशों के पर्यटकों को आने का प्रमुख कारण है कि ब्रिटिश काल में इन लोगों के पूर्वज दानापुर कैंट में रहे थे। उन्होंने अपनी डायरी में इस दरगाह और इससे जुड़ी हुई कहानियों को लिखा है। इसे देखने के बाद इनकी पुरानी स्मृतियां ताजी हो जाती हैं।

पर्यटकों की शिकायत
बाहर से आने वाले पर्यटकों की शिकायत है कि यहां वॉशरूम की व्यवस्था सही नहीं है। जो है उसकी साफ सफाई नहीं होती है। हालांकि पर्यटन विभाग ने यहां एक कैफेटेरिया और होटल का निर्माण कराया है। मगर हर समय गेट बंद रहने के कारण आम पर्यटक उधर जाते ही नहीं हैं।

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