Hindustan Special: कटहल की सुरक्षा में लगाया नींबू का पेड़ कैसे बना किसान के लिए वरदान?
कटहल के पौधों को छोड़ किसान ने पूरे ढाई एकड़ जमीन में नींबू के पौधा लगाने का निश्चय किया। इसके लिए पूर्व में लगाए गए पौधों में कलम बांधना शुरू किया गया और अनगिनत नींबू के पौधे लगा दिये गए।
बिहार के जहानाबाद जिले के मोकीमपुर गांव के किसान विजय कुमार ने कभी सोचा भी नहीं होगा की कटहल के पेड़ की सुरक्षा के लिए उसके चारों ओर लगाए गए नींबू के पेड़ उसके लिए वरदान साबित होगा। दरअसल किसान ने अपनी ऊंची जमीन में धान की फसल की उपज नहीं होने के कारण उसमें प्रारंभ में कटहल के पौधे लगाए। कटहल जब फल देना शुरू किया तो गांव से दूर होने के कारण कटहल के फल की चोरी होने लगी। कटहल की सुरक्षा के लिए उसके चारों तरफ नींबू के पौधा लगाए गए, जिसका मात्र उद्देश्य था कि नींबू के पौधों में कांटे होने के कारण कोई भी व्यक्ति आसानी से कटहल के फल को नहीं तोड़ पाए। लेकिन नींबू के पौधों में जब फल आना शुरू हुआ तो किसान की सोच बदल गई।
कटहल के पौधों को छोड़ किसान ने पूरे ढाई एकड़ जमीन में नींबू के पौधा लगाने का निश्चय किया। इसके लिए पूर्व में लगाए गए पौधों में कलम बांधना शुरू किया गया और एक निश्चित समय के बाद अनगिनत नींबू के पौधे लगा दिये गये। अब वह नींबू बेचकर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि काफी कम मेहनत में प्रत्येक वर्ष अच्छी आमदनी होती है। लागत के नाम पर प्रत्येक वर्ष सभी पौधों पर दवा के छिड़काव में लगभग दस हजार रुपए खर्च होते हैं। सिंचाई की व्यवस्था करनी पड़ी है। गर्मी में दिनों में प्रत्येक सप्ताह सिंचाई जरूरी है। अब कटहल कम नींबू ही आय का मुख्य जरिया है।
बगीचे में फूलों से लदे पौधों के बारे में बताया कि जुलाई में नींबू तैयार हो जाएंगे। यह काफी कम मेहनत व लागत में आय का बड़ा स्रोत है। सबसे बड़ी बात यह है कि बाजार की समस्या नहीं है। हुलासगंज, इस्लामपुर एवं जहानाबाद के व्यापारी आकर यहां से माल ले जाते हैं तथा चारों ओर लगाये गये सागवान के सैकड़ों पौधे बागवानी की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं। सरकारी सहायता पर उन्होंने बताया कि हमे आज तक न तो कोई जानकारी है और न ही कोई पदाधिकारी देखने आये हैं। अपनी मेहनत के बल पर सपने को हकीकत में बदल रहे हैं।